पलवल: हरियाणा में इन दिनों सरपंचों का हल्ला बोल जारी है. ई टेंडरिंग और राइट टू रिकॉल के कानून को लेकर सरपंचों का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है. विभिन्न गांव के सरपंच ई टेंडरिंग के खिलाफ पिछले एक महीने से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. विभिन्न गांव के सरपंच आज सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पलवल विधायक दीपक मंगला के निवास स्थान पर पहुंचे. जहां विधायक के ना मिलने पर उनके प्रतिनिधि राजीव को अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा.
'जनता ने चुना गांव का सरपंच': सरपंचों का कहना है कि गांव के विकास कार्य कराने के लिए जनता ने उन्हें चुनकर भेजा है. लेकिन सरकार ने उनके अधिकारों का हनन करते हुए उन्हें चोर साबित कर दिया है. सरपंचों ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर ई टेंडरिंग योजना लागू करनी ही थी, तो चुनाव से पहले ही लागू करके देख लेती. चुनाव से पहले पिछले 2 वर्ष के कार्यकाल में बीडीपीओ, एसडीओ और ठेकेदारों ने मिलीभगत कर भ्रष्टाचार किया.
'सरकार ने छिने सरपंचों के अधिकार': खातों से लाखों रुपये डकारे गए और अब सरकार सरपंचों को चोर समझ रही है. सरकार पहले एक साल उनके कार्य को देखती और उसके बाद ई टेंडरिंग योजना को लागू करती. उन्होंने कहा कि वह तो अपनी मांगों को लेकर पलवल के विधायक के निवास पर धरना प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपने के लिए एक एकत्रित हुए थे. लेकिन सरकार ने उनके इस अधिकार को भी समाप्त करने के लिए विधायक निवास पर पहले ही भारी पुलिस बल को तैनात कर दिया.
सरपंचों ने विधायक को सौंपा ज्ञापन: सरपंचों ने कहा कि सरकार द्वारा सरपंचों को विकास कार्य करवाने के लिए मात्र 2 लाख रुपये की अनुमति दी गई है. 2 लाख रुपये में तो बाथरूम भी नहीं बनता है. 2 लाख रुपये में से तो 56 हजार की जीएसटी कट जाती है. उन्होंने कहा कि आज विभिन्न गांवों के सरपंचों ने अपनी मांगों को लेकर पलवल विधायक दीपक मंगला के प्रतिनिधि राजीव को एक ज्ञापन सौंपा है.
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सरपंचों की सरकार को चेतावनी: इससे पहले उन्होंने होड़ल विधायक जगदीश नायर को ज्ञापन सौपा था. ज्ञापन के माध्यम से विधायक से यह मांग की गई है, कि वह उनकी मांग को विधानसभा सत्र में उठाने का काम करें. जिससे कि सरकार इस योजना को वापस ले. उन्होंने कहा कि अगर जिले के विधायकों ने उनकी इस मांग को विधानसभा में नहीं उठाया, तो वह गांव में विधायकों को घुसने नहीं देंगे. साथ ही विधायकों का बहिष्कार भी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि उन्हीं की बदौलत आज भाजपा सरकार सत्ता में राज कर रही है. बावजूद इसके सरपंचों की सुनवाई तक नहीं की जा रही है. जिसका खामियाजा भाजपा सरकार को आगामी चुनाव में भुगतना पड़ेगा और वह भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने का काम करेंगे.
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