पलवल: हरियाणा के पलवल साइबर थाना पुलिस ने जज के साथ साइबर ठगी को अंजाम देने वाले गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार कर लिया है. साइबर गिरोह ने पलवल में कार्यरत एक न्यायाधीश का आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के जरिए साढ़े 24 हजार 500 रुपए की ठगी की थी. फिलहाल साइबर थाना पुलिस ने आरोपी को पूछताछ के लिए 7 दिन की रिमांड पर लिया है, ताकि गिरोह के अन्य सस्दस्यों को गिरफ्तार किया जा सके. (Palwal cyber police station)
साइबर ठग का नाम मोहम्मद फोजान है, जिसने पलवल में कार्यरत जज के खाते से आपने साथियों के खाते आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के जरिए साढ़े 24 हजार 500 रुपए की ठगी की थी. डीएसपी विजय पाल ने बताया कि कुसलीपुर स्थित ज्यूडिशियल कॉम्प्लेक्स में रहने वाले न्यायाधीश महेश कुमार ने शिकायत दी थी कि, उनके साथ ऑनलाइन ठगी की वारदात को अंजाम देकर साढ़े 24 हजार की राशि खाते से निकाल ली थी. अलग-अलग तीन बार में खाते से यह राशि सात नवंबर, 23 नवंबर और 25 नंबर को निकाली गई थी. जिसके बाद पुलिस ने मामले में जांच शुरू की.
पुलिस ने ठगी के लिए प्रयोग किए गए खातों और मोबाइल नंबरों की जांच की तो जांच में पुलिस आरोपियों की पहचान की. आरोपी बिहार के अररिया जिले के महलगांव में मेडिकल स्टोर चलाता था. आरोपी मोहम्मद फोजान ने पलवल की अदालत में अग्रिम जमानत याचिका भी लगाई थी जो कि रद्द की गई थी. डीएसपी विजयपाल ने बताया कि इस गिरोह में कई सदस्य हैं, जिनकी तलाश पुलिस द्वारा लगातार की जा रही है. जल्द ही सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. (Cyber fraud in palwal )
बता दें कि, इस गिरोह ने साइबर क्राइम से चार महीने में ही लाखों रुपए की राशि उड़ाई थी और लगातार यह गिरोह साइबर क्राइम की वारदातों में सक्रिय है. पुलिस ने इस गिरोह द्वारा ठगी के लिए उपयोग किए खातों की जांच की तो उसमें लाखों की ट्रांजेक्शन मिली. इस गिरोह ने चार महीनों में ही साइबर ठगी की सैकड़ों वारदातों को अंजाम देकर 25 लाख ठग लिए. (Crime News in Palwal)
इस तकनीक से ठगी करते हैं शातिर फ्रॉड: यह गिरोह आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम लेनदेन संबंधी वित्तीय धोखाधड़ी से फिंगर प्रिंट का रबर क्लोन बना लेते हैं. इसके बाद ठग पता लगाते हैं कि उक्त व्यक्ति का आधार कार्ड नंबर किसी बैंक खाते से जुड़ा है या नहीं. इसके बाद वे उन आधार कार्ड नंबरों को शॉर्ट लिस्ट करते हैं जो बैंक खातों से जुड़े होते हैं. इसके बाद साइबर ठग ऑनलाइन अकाउंट बनाते हैं. इसके बाद ठग इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन प्रोसेसिंग प्लेटफॉर्म के ऐप में लॉग इन करते हैं और बायोमेट्रिक डिवाइस एवं रबर फिंगर प्रिंट क्लोन का उपयोग कर लेनदेन शुरू करते हैं. ट्रांजेक्शन पूरा होते ही पैसा इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के वॉलेट में चला जाता है, जहां से ठग उक्त राशि को अपने बैंक खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं. (Cyber fraud in haryana)
ये भी पढ़ें: फतेहाबाद में बुजुर्ग के साथ ठगी, परिचित का दोस्त बनकर ठगे 4.20 लाख