पलवल : इफको बिक्री केंद्र पर नैनो यूरिया की लांचिंग करते हुए एक प्रचार गाड़ी को रवाना किया (Nano Urea Launch in palwal) गया. लांचिंग के मौके पर कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. महावीर मलिक ने बताया कि नैनो यूरिया लिक्विड फॉर्म में दुनिया का सबसे पहला यूरिया खाद है. इसे नैनोबायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर कलोल गुजरात में तैयार किया गया है. यह पूर्णतया स्वदेशी है जो भारत को स्वावलंबी बनाने की दिशा में बहुत अच्छी पहल है. इससे किसान भी खुशहाल होंगे. इसके साथ ही नेनो यूरिया से पर्यावरण को किसी प्रकार की हानि नहीं होगी
कृषि उपनिदेशक डॉ. महावीर सिहं ने कहा कि इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड ने नैनो यूरिया लिक्विड तैयार किया है. इससे फसलों की पैदावार बढ़ेगी और किसानों की आमदनी बढ सकेगी. नैनो यूरिया डालने से खेत में उगाई फसलों में रासायनिक यूरिया खाद की तुलना में 5 से 10% उत्पादन भी अधिक होगा और इस से खेत की मृदा शक्ति भी बनी रहेगी. अब एक बोरी यूरिया खाद की जगह आधे लीटर की नैनो यूरिया की बोतल किसानो के लिए काफी होगी. उन्होंने बताया कि कैमिकल यूरिया को जब खेतों में डाला जाता है तो मात्र 30 प्रतिशत यूरिया ही फसल को प्राप्त होता है जबकि 70 प्रतिशत यूरिया वेस्ट हो जाता है. इससे मिट्टी की ऊवर्रक क्षमता कमजोर होती है.
![Nano Urea Launch in palwal](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14061312_kkki.jpg)
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कैमिकल यूरिया पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है. पर्यावरण को सुरक्षित करने तथा देश को स्वावलंबी बनाने के लिए इफको द्वारा नैनो यूरिया तैयार किया गया है. नैनो यूरिया आधा लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से फसल में डाले. नैनो यूरिया को जब फसल में स्प्रे किया जाता है तो इसका सीधा असर फसल में दिखाई देता है. यह किसानों को बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाता है. नैनो यूरिया पर्यावरण को शुद्ध बनाने में निमित है वहीं मृदा की ऊपजाऊ शक्ति को बरकरार रखता है. किसान कैमिकल यूरिया की जगह नैनो यूरिया का प्रयोग करें.
किसान दीपचंद ने बताया कि नैनो यूरिया का प्रयोग धान व बाजरे की फसलों में किया गया है. नैनो यूरिया कैमिकल यूरिया के मुकाबले काफी कारगर साबित हो रहा है. उन्होंने बताया कि गेहूं की फसल में भी नैनो यूरिया का प्रयोग करने के बारे में कृषि विभाग के अधिकारियों से जानकारी प्राप्त कर रहे है. उन्होंने बताया कि नैनो यूरिया के प्रयोग से पैदावार में बढोत्तरी होती है और यह यूरिया स्वदेशी निर्मित है. एक एकड़ में 500 मिली लीटर/ आधा लीटर डाला जाएगा. इसकी कीमत दो सौ चालीस रुपये होगी. जबकि रासायनिक यूरिया की कीमत 266. 50 पैसे है.
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