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पलवल: पीटीआई टीचर्स के समर्थन में कुशलीपुर गांव में हुई महापंचायत

पीटीआई टीचर्स के समर्थन में पलवल के कुशलीपुर गांव में महापंचायत हुई. महापंचायत में फैसला किया गया कि वो इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात करेंगे.

Mahapanchayat held in Kushalipur village
Mahapanchayat held in Kushalipur village
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Published : Jul 16, 2020, 11:41 AM IST

पलवल: 1983 पीटीआई शिक्षकों ने नौकरी की बहाली को लेकर कुशलीपुर गांव में महापंचायत की. महापंचायत में खाप सदस्यों ने पीटीआई शिक्षकों को अपना समर्थन दिया. खाप पंचायत ने कहा कि वो मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात कर पीटीआई शिक्षकों को समायोजित करने की मांग करेंगे.

खाप पंचायत के प्रतिनिधि रतन सिहं सौरोत ने बताया कि पलवल जिले में खाप पंचायत ने पीटीआई टीचर्स का समर्थन किया है. अगर सरकार ने जल्द ही इनकी मागों पर ध्यान नहीं दिया तो खाप पंचायत पीटीआई टीचर्स के समर्थन में आगामी रूपरेखा तैयार करेंगे.

पीटीआई टीचर्स के समर्थन में कुशलीपुर गांव में हुई महापंचायत

हरियाणा शारीरिक शिक्षक संघ के उप प्रधान ने भी पीटीआई टीचर्स की मांगों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि सरकार को पीटीआई टीचर्स की मांग मान लेनी चाहिए. इससे पहले पीटीआई शिक्षकों ने प्रदेश के सभी विधायकों को ज्ञापन देकर सरकार से नौकारी बहाल करने की मांग की थी. पीटीआई अध्यापकों ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया. पीटीआई टीचर्स की ये लड़ाई कितनी लंबी चलेगी ये वक्त बताएगा.

क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में हाई कोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया था जिसमें हाई कोर्ट ने हुड्डा सरकार के दौरान भर्ती किए गए 1983 पीटीआई टीचर की भर्ती को रद्द कर दिया था. इससे पहले हाई कोर्ट की बेंच ने 11 सितंबर 2012 को भर्ती रद्द करने का फैसला किया था जिसके बाद 30 सितंबर 2013 को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने भी एकल बेंच के आदेश पर मोहर लगा दी थी.

ये भी पढ़ें- हर गांव में बनेंगे यूथ क्लब, आजकल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बच्चों को दे रहे हैं कोचिंग- खेल मंत्री

हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने 10 अप्रैल 2010 को फाइनल सिलेक्शन लिस्ट जारी कर यह नियुक्ति की थी. हाई कोर्ट ने कमीशन को निर्देश दिया था कि आयोग नियमों के तहत नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू करें और पांच महीनों के अंदर इस भर्ती प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए. हाई कोर्ट ने इस नियुक्ति प्रक्रिया में आयोग की भूमिका पर सवाल उठाया. हाई कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान साक्षात्कार होल्ड करवाने वाले आयोग की सिलेक्शन कमेटी के सदस्यों द्वारा कार्रवाई में शामिल होने से आयोग की नकारात्मक छवि को उजागर करता है. जिसके चलते सरकार ने पीटीआई टीचर्स को बर्खास्त किया था.

पलवल: 1983 पीटीआई शिक्षकों ने नौकरी की बहाली को लेकर कुशलीपुर गांव में महापंचायत की. महापंचायत में खाप सदस्यों ने पीटीआई शिक्षकों को अपना समर्थन दिया. खाप पंचायत ने कहा कि वो मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात कर पीटीआई शिक्षकों को समायोजित करने की मांग करेंगे.

खाप पंचायत के प्रतिनिधि रतन सिहं सौरोत ने बताया कि पलवल जिले में खाप पंचायत ने पीटीआई टीचर्स का समर्थन किया है. अगर सरकार ने जल्द ही इनकी मागों पर ध्यान नहीं दिया तो खाप पंचायत पीटीआई टीचर्स के समर्थन में आगामी रूपरेखा तैयार करेंगे.

पीटीआई टीचर्स के समर्थन में कुशलीपुर गांव में हुई महापंचायत

हरियाणा शारीरिक शिक्षक संघ के उप प्रधान ने भी पीटीआई टीचर्स की मांगों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि सरकार को पीटीआई टीचर्स की मांग मान लेनी चाहिए. इससे पहले पीटीआई शिक्षकों ने प्रदेश के सभी विधायकों को ज्ञापन देकर सरकार से नौकारी बहाल करने की मांग की थी. पीटीआई अध्यापकों ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया. पीटीआई टीचर्स की ये लड़ाई कितनी लंबी चलेगी ये वक्त बताएगा.

क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में हाई कोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया था जिसमें हाई कोर्ट ने हुड्डा सरकार के दौरान भर्ती किए गए 1983 पीटीआई टीचर की भर्ती को रद्द कर दिया था. इससे पहले हाई कोर्ट की बेंच ने 11 सितंबर 2012 को भर्ती रद्द करने का फैसला किया था जिसके बाद 30 सितंबर 2013 को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने भी एकल बेंच के आदेश पर मोहर लगा दी थी.

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हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने 10 अप्रैल 2010 को फाइनल सिलेक्शन लिस्ट जारी कर यह नियुक्ति की थी. हाई कोर्ट ने कमीशन को निर्देश दिया था कि आयोग नियमों के तहत नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू करें और पांच महीनों के अंदर इस भर्ती प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए. हाई कोर्ट ने इस नियुक्ति प्रक्रिया में आयोग की भूमिका पर सवाल उठाया. हाई कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान साक्षात्कार होल्ड करवाने वाले आयोग की सिलेक्शन कमेटी के सदस्यों द्वारा कार्रवाई में शामिल होने से आयोग की नकारात्मक छवि को उजागर करता है. जिसके चलते सरकार ने पीटीआई टीचर्स को बर्खास्त किया था.

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