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करगिल में शहीद हुए थे लान्स नायक जाकिर हुसैन, अब बेटा कर रहा फौज की तैयारी

पूरा देश 21वां कारगिल विजय दिवस मना रहा है. उन शहीदों को याद कर रहा है जिन्होंने भारत माता के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया. उन्हीं शूरवीरों में एक नाम पलवल जिले के लान्स नायक जाकिर हुसैन का भी है, जो करिगल युद्ध में 3 जुलाई 1999 को शहीद हो गए थे.

Lance Naik Zakir Hussain of Palwal was martyred in Kargil war
Lance Naik Zakir Hussain of Palwal was martyred in Kargil war
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Published : Jul 26, 2020, 11:35 PM IST

पलवल: भारत और पाकिस्तानी सेना के बीच वर्ष 1999 में करगिल युद्ध हुआ. ये युद्ध करीब 60 दिनों तक चला जिसमें भारत विजयी हुआ था. युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान में आज देश भर में करगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है. पलवल जिले के गांव सोफ्ता के रहने वाले लान्स नायक जाकिर हुसैन भी 3 जुलाई 1999 को देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे.

शहीद की याद में बनाया गया सरकारी स्कूल

शहीद जाकिर हुसैन को याद करते हुए तत्कालीन सरकार ने गांव में जाकिर हुसैन प्राथमिक विद्यालय बनवाया था. वहीं स्कूल के अंदर उनकी समाधि भी बनवाई गई थी. शहीद की पत्नी रजिया ने बताया कि सरकार ने उस दौरान उनकी काफी मदद की थी. परिवार के गुजर बसर के लिए एक पेट्रोल पंप भी दिया गया था.

कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे पलवल के लॉन्स नायक जाकिर हुसैन, देखें स्पेशल रिपोर्ट

लान्स नायक जाकिर हुसैन की पत्नि रजिया ने बताया कि उन्हें अपने पति की शहादत पर गर्व है. उन्होंने बताया कि उनका छोटा बेटा भी अपने पिता से प्रेरणा लेकर सेना में जाने की तैयारी कर रहा है. उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनका बेटा भी एक दिन देश की सेवा करेगा.

अब छोटा बेटा कर रहा फौज की तैयारी

शहीद जाकिर हुसैन के बेटे नवाज शरीफ ने बताया कि उनकी उम्र 20 साल है. अपने शहीद पिता और मां से प्रेरणा लेकर सेना में जाने की तैयारी कर रहा है. उन्होंने बताया कि उन्हें अपने पिता की शहादत पर गर्व है. वो भी अपने पिता की तरह देश की सेवा करना चहाता है.

सिस्टम भूला जाकिर हुसैन की शहादत !

करगिल विजय दिवस को 21 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन सरकार, जिला प्रशासन और ग्राम पंचायत ने शहीद लान्स नायक की समाधि पर आने की जहमत तक नहीं उठाई. ऐसे में सवाल ये उठता है कि जिन शूरवीरों ने अपनी जान की बाजी लगाकर भारत माता का मान-सम्मान बढ़ाया, उन शहीदों के लिए हमारा सिस्टम कितना संवेदनशील है.

ये भी पढ़ें- कारगिल दिवस विशेष: जिन वीरों ने देश के लिए शहादत दी, उनका शौर्य भूल गया सिस्टम

पलवल: भारत और पाकिस्तानी सेना के बीच वर्ष 1999 में करगिल युद्ध हुआ. ये युद्ध करीब 60 दिनों तक चला जिसमें भारत विजयी हुआ था. युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान में आज देश भर में करगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है. पलवल जिले के गांव सोफ्ता के रहने वाले लान्स नायक जाकिर हुसैन भी 3 जुलाई 1999 को देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे.

शहीद की याद में बनाया गया सरकारी स्कूल

शहीद जाकिर हुसैन को याद करते हुए तत्कालीन सरकार ने गांव में जाकिर हुसैन प्राथमिक विद्यालय बनवाया था. वहीं स्कूल के अंदर उनकी समाधि भी बनवाई गई थी. शहीद की पत्नी रजिया ने बताया कि सरकार ने उस दौरान उनकी काफी मदद की थी. परिवार के गुजर बसर के लिए एक पेट्रोल पंप भी दिया गया था.

कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे पलवल के लॉन्स नायक जाकिर हुसैन, देखें स्पेशल रिपोर्ट

लान्स नायक जाकिर हुसैन की पत्नि रजिया ने बताया कि उन्हें अपने पति की शहादत पर गर्व है. उन्होंने बताया कि उनका छोटा बेटा भी अपने पिता से प्रेरणा लेकर सेना में जाने की तैयारी कर रहा है. उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनका बेटा भी एक दिन देश की सेवा करेगा.

अब छोटा बेटा कर रहा फौज की तैयारी

शहीद जाकिर हुसैन के बेटे नवाज शरीफ ने बताया कि उनकी उम्र 20 साल है. अपने शहीद पिता और मां से प्रेरणा लेकर सेना में जाने की तैयारी कर रहा है. उन्होंने बताया कि उन्हें अपने पिता की शहादत पर गर्व है. वो भी अपने पिता की तरह देश की सेवा करना चहाता है.

सिस्टम भूला जाकिर हुसैन की शहादत !

करगिल विजय दिवस को 21 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन सरकार, जिला प्रशासन और ग्राम पंचायत ने शहीद लान्स नायक की समाधि पर आने की जहमत तक नहीं उठाई. ऐसे में सवाल ये उठता है कि जिन शूरवीरों ने अपनी जान की बाजी लगाकर भारत माता का मान-सम्मान बढ़ाया, उन शहीदों के लिए हमारा सिस्टम कितना संवेदनशील है.

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