पलवल: हरियाणा के पलवल जिले से 4 माह के एक बच्चे की मौत का मामला सामने आया है. मामले में परिजनों ने अस्पताल और एंबुलेंस चालक पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं. परिजनों की मानें तो पलवल शहर के सचिन अस्पताल और एंबुलेंस चालक की लापरवाही कि कीमत (child death in palwal) चार महीने के मासूम को अपनी जान से चुकानी पड़ी.
पीड़ित परिजनों का कहना है कि बच्चे को ऑक्सीजन (Baby dies due to lack of oxygen) की कमी थी, जिसके चलते सरकारी अस्पताल ने बच्चे को किसी दूसरे अस्पताल ले जाने को कहा था. जिसके बाद परिजन बच्चे को शहर के सचिन हॉस्पिटल (Sachin Hospital Palwal) ले गए और अस्पताल ने बच्चे को भर्ती भी कर लिया. बच्चा चार दिनों तक सचिन अस्पताल में ही रहा. जब बच्चे की तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी तो डॉक्टरों ने बच्चे को दिल्ली के कलावती अस्पताल रेफर कर दिया. जिसके लिए अस्पताल ने एंबुलेंस भेजने की बात भी कही.
अस्पताल ने एक एंबुलेंस चालक को बुलाया और इसके बाद डॉक्टर और अन्य अस्पताल कर्मचारियों ने बच्चे को एंबुलेंस के जरिए रवाना कर दिया. लेकिन सचिन अस्पताल द्वारा बुलाई गई एंबुलेंस का ऑक्सीजन सिलेंडर 6 किलोमीटर दूर गांव बघौला के नजदीक खत्म हो गया और बच्चे की हालत बिगड़ गई. जिसके बाद एंबुलेंस चालक सुंदर ने परिजनों ने से कहा कि पास के ही अस्पताल में ऑक्सीजन मिल जाएगी और चालक ने परिजनों को पास के ही एक क्लीनिक के पास उतार दिया.
परिजन जैसे ही क्लिनिक पहुंचे तो वहां उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिली. इसके बाद वे तुरंत एंबुलेंस की ओर भागे, लेकिन चालक मौके से एंबुलेंस समेत फरार हो गया था. परिजनों ने एंबुलेंस का नंबर HR-40 0801 बताया है. चालक के फरार होने के बाद परिजन बच्चे को लेकर डेढ़ किलोमीटर पैदल ही भागे और ऑटो से अस्पताल पहुंचे. लेकिन अस्पताल पहुंचने पर उनके बच्चे को मृत (Baby dies due to lack of oxygen in pawal) घोषित कर दिया गया. पीड़ित परिजनों ने आरोप लगाया है कि चालक शराब पीकर एंबुलेंस चला रहा था. परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन और एंबुलेंस चालक को बच्चे की मौत का जिम्मेवार ठहराया है.
वहीं, पीड़ित परिजनों ने एंबुलेंस चालक और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ शिकायत भी दर्ज करवाई है. परिजनों का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन ने एंबुलेंस की चेकिंग नहीं की, जिसके चलते उनके बच्चे की मौत हो गई. वहीं, शिकायत में जांच अधिकारी हेड कांस्टेबल सुशील कुमार ने जानकारी देते हुए कहा कि सीएमओ को लेटर लिखा जाएगा. सीएमओ से मामले की पूरी जानकारी लेंगे. जिसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी. साथ ही बच्चे के शव का पोस्टमार्टम किया जाएगा, जिसके आधार पर मामले की जांच की जाएगी.
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