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ट्रॉमा सेंटर बनाने के लिए युवाओं ने निकाली रैली, अलवर से दिल्ली के बीच हाईवे पर नहीं एक भी ट्रॉमा सेंटर - नूंह में युवाओं ने निकाली रैली

नूंह में ट्रॉमा सेंटर बनवाने के लिए युवाओं ने रैली निकाल कर सरकार को चुनावी वादे पर ध्यान दिलाने की कोशिश की. इस दौरान लोगों ने बताया कि अलवर से दिल्ली जाने वाले हाइवे पर एक भी ट्रॉमा सेंटर नहीं होने के कारण यह सड़क खूनी सड़क बन गई है. इस हाईवे पर पिछले 6 सालों में 1300 लोगों की जान गई है.

Youths rally to build trauma center in nuh
ट्रामा सेंटर बनाने के लिए युवाओं ने निकाली रैली
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Published : Dec 12, 2019, 9:21 PM IST

नूंह : जिले में ट्रामा सेंटर बनवाने के लिए युवाओं ने रैली निकाल कर सरकार को चनावी वादे पर ध्यान दिलाने की कोशिश की. इस दौरान लोगों ने बताया कि अलवर से दिल्ली जाने वाली हाइवे पर एक भी ट्रामा सेंटर नहीं होने के कारण यह सड़क खूनी सड़क बन गई है.

उच्चतम न्यायालय के आदेश का भी नहीं हुआ पालन
उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार हाईवे पर 60 किलोमीटर की दूरी पर ट्रामा सेंटर होना चाहिए. विडंबना देखिए दिल्ली से गुरुग्राम, सोहना वाया नगीना, अलवप तक एक भी ट्रामा सेंटर नहीं है. इस मामले में विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने रैली निकालकर सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मौतों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया.

ट्रॉमा सेंटर बनाने के लिए युवाओं ने निकाली रैली

इसे भी पढ़ें : करनाल में ट्रैक्टर और स्कूटी में भिड़ंत, एक की मौत

इस मामले में समाजसेवी मोहम्मद शाद ने कहा कि नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के लिए एक आदेश पारित करते हुए कहा था कि हाईवे से लगते हुए सभी जिले में ट्रामा सेंटर बनना चाहिए. लेकिन आज उस निर्णय के 2 साल से भी ज्यादा हो गए लेकिन अभी तक इस पर नाम चर्चा तक नहीं हो रही है.

6 साल में 1300 मौतें हुई इस सड़क पर
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस सड़क पर पिछले 6 साल में 1300 से अधिक मौतें हो चुकी हैं. इन दुर्घटनाओं में चार हजार के करीब लोग घायल हुए हैं. इस संबंध में समाजसेवी राजुद्दीन ने बताया कि सामाजित संगठनों के अथक प्रयासों से मेवात में ट्रामा सेंटर बनने की घोषणा एमडीए की बैठक में हुई थी लेकिन आजतक इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. उन्होंने बताया कि सरकारी आकड़ों के अनुसार पिछले 6 साल में इस सड़क पर 1300 से ज्यादा लोगों की जान गई है और करीब चार हजार लोग घायल हैं. राजुद्दीन ने कहा कि यह सरकारी आकड़ा है तो आप समझ सकते हैं कि कितनी मौतें हो चुकी हैं अबतक. उन्होंने कहा कि इस सड़क को खूनी सड़क के नाम से जाना जाता है.

लोगों ने सरकार को दिया अल्टीमेटम
स्थानीय लोगों ने कहा कि यूपीए की सरकार ने 3 नवंबर 2008 को हाईवे के रुप में पुनर्गठन किया. ट्रामा सेंटर और हाईवे चौड़ीकरण की मांग को पूरा करने के लिए आंदोलन करेंगे. वहीं उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि सरकार अगर 30 दिसंबर तक जबाब नहीं देती है तो हम बड़ा आंदोलन करेंगे.

नूंह : जिले में ट्रामा सेंटर बनवाने के लिए युवाओं ने रैली निकाल कर सरकार को चनावी वादे पर ध्यान दिलाने की कोशिश की. इस दौरान लोगों ने बताया कि अलवर से दिल्ली जाने वाली हाइवे पर एक भी ट्रामा सेंटर नहीं होने के कारण यह सड़क खूनी सड़क बन गई है.

उच्चतम न्यायालय के आदेश का भी नहीं हुआ पालन
उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार हाईवे पर 60 किलोमीटर की दूरी पर ट्रामा सेंटर होना चाहिए. विडंबना देखिए दिल्ली से गुरुग्राम, सोहना वाया नगीना, अलवप तक एक भी ट्रामा सेंटर नहीं है. इस मामले में विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने रैली निकालकर सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मौतों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया.

ट्रॉमा सेंटर बनाने के लिए युवाओं ने निकाली रैली

इसे भी पढ़ें : करनाल में ट्रैक्टर और स्कूटी में भिड़ंत, एक की मौत

इस मामले में समाजसेवी मोहम्मद शाद ने कहा कि नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के लिए एक आदेश पारित करते हुए कहा था कि हाईवे से लगते हुए सभी जिले में ट्रामा सेंटर बनना चाहिए. लेकिन आज उस निर्णय के 2 साल से भी ज्यादा हो गए लेकिन अभी तक इस पर नाम चर्चा तक नहीं हो रही है.

6 साल में 1300 मौतें हुई इस सड़क पर
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस सड़क पर पिछले 6 साल में 1300 से अधिक मौतें हो चुकी हैं. इन दुर्घटनाओं में चार हजार के करीब लोग घायल हुए हैं. इस संबंध में समाजसेवी राजुद्दीन ने बताया कि सामाजित संगठनों के अथक प्रयासों से मेवात में ट्रामा सेंटर बनने की घोषणा एमडीए की बैठक में हुई थी लेकिन आजतक इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. उन्होंने बताया कि सरकारी आकड़ों के अनुसार पिछले 6 साल में इस सड़क पर 1300 से ज्यादा लोगों की जान गई है और करीब चार हजार लोग घायल हैं. राजुद्दीन ने कहा कि यह सरकारी आकड़ा है तो आप समझ सकते हैं कि कितनी मौतें हो चुकी हैं अबतक. उन्होंने कहा कि इस सड़क को खूनी सड़क के नाम से जाना जाता है.

लोगों ने सरकार को दिया अल्टीमेटम
स्थानीय लोगों ने कहा कि यूपीए की सरकार ने 3 नवंबर 2008 को हाईवे के रुप में पुनर्गठन किया. ट्रामा सेंटर और हाईवे चौड़ीकरण की मांग को पूरा करने के लिए आंदोलन करेंगे. वहीं उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि सरकार अगर 30 दिसंबर तक जबाब नहीं देती है तो हम बड़ा आंदोलन करेंगे.

Intro:ट्रामा सेंटर बनाने के लिए युवाओं ने निकाली रैली

जिले में हाईवे चौड़ीकरण में होने से होते हैं सबसे अधिक सड़क हादसे 
अलवर से दिल्ली के बीच हाईवे पर नहीं एक भी ट्रामा सेंटर
 संवाददाता नूंह मेवात। 
स्टोरी ;-  उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार हाईवे पर 60 किलोमीटर की दूरी पर ट्रामा सेंटर होना चाहिए। विडंबना देखिए दिल्ली से गुरुग्राम, सोहना वाया नगीना, अलवर तक एक भी ट्रामा सेंटर नहीं है। इस मामले को लेकर विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने रैली निकालकर सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मौतों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। मोहम्मद शाद का कहना है कि नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के लिए एक आदेश पारित करते हुए कहा था कि हाईवे से लगते हुए प्रत्येक जिले में ट्रामा सेंटर बनना चाहिए। समाजसेवी राजुद्दीन ने बताया कि सामाजिक संगठनों के अथक प्रयासों से मेवात में ट्रामा सेंटर बनाने की घोषणा एमडीए की बैठक में हुई थी लेकिन अमलीजामा नहीं पहनाने से क्षेत्र के लोगों में नाराजगी है। उहोंने बताया कि पिछले 6 साल के दौरान करीब 1300 से अधिक मौतें हाईवे पर हो चुकी है। इन दुर्घटनाओं में चार हजार के करीब लोग घायल हुए। यह सरकारी मौतें हैं सरकार ही इनके लिए जिम्मेदार हैं। दूसरा मेवात जिले के बीचो-बीच से हाईवे नंबर 248 खूनी हाइवे निकलता है जो सन 1980 तक देश के टॉप 10 हाईवे में गिना जाता था लेकिन उसका सरकार ने 30 साल तक हाईवे का दर्जा बंद कर दिया। यूपीए की सरकार ने 3 नवंबर 2008 दोबारा हाईवे के रूप में पुनर्गठन किया। नगीना खंड के दर्जनों स्कूलों में पढ़ने वाले 5000 से अधिक छात्रों को एकजुट करेंगे। ट्रामा सेंटर और हाईवे चौड़ीकरण की मांग को पूरा करवाने के लिए एक बड़ा आंदोलन चलाएंगे। बेहतर यही होगा कि 30 दिसंबर तक केंद्र व प्रदेश सरकार ट्रामा सेंटर और हाईवे चौड़ीकरण 248 पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें। अन्यथा बड़ा आंदोलन करना हमारी मजबूरी होगा जिसमें क्षेत्र के युवा स्कूलों के विद्यार्थी और गणमान्य लोग मौजूद होंगे।बाइट ;- राजुद्दीन  समाजसेवी बाइट ;- मुबारिक नौटकी कांग्रेसी नेता बाइट ;- मुनिराम जैन ग्रामीण बाइट ;- इल्यास कवी प्रधान 
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात। Body:ट्रामा सेंटर बनाने के लिए युवाओं ने निकाली रैली

जिले में हाईवे चौड़ीकरण में होने से होते हैं सबसे अधिक सड़क हादसे 
अलवर से दिल्ली के बीच हाईवे पर नहीं एक भी ट्रामा सेंटर
 संवाददाता नूंह मेवात। 
स्टोरी ;-  उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार हाईवे पर 60 किलोमीटर की दूरी पर ट्रामा सेंटर होना चाहिए। विडंबना देखिए दिल्ली से गुरुग्राम, सोहना वाया नगीना, अलवर तक एक भी ट्रामा सेंटर नहीं है। इस मामले को लेकर विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने रैली निकालकर सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मौतों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। मोहम्मद शाद का कहना है कि नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के लिए एक आदेश पारित करते हुए कहा था कि हाईवे से लगते हुए प्रत्येक जिले में ट्रामा सेंटर बनना चाहिए। समाजसेवी राजुद्दीन ने बताया कि सामाजिक संगठनों के अथक प्रयासों से मेवात में ट्रामा सेंटर बनाने की घोषणा एमडीए की बैठक में हुई थी लेकिन अमलीजामा नहीं पहनाने से क्षेत्र के लोगों में नाराजगी है। उहोंने बताया कि पिछले 6 साल के दौरान करीब 1300 से अधिक मौतें हाईवे पर हो चुकी है। इन दुर्घटनाओं में चार हजार के करीब लोग घायल हुए। यह सरकारी मौतें हैं सरकार ही इनके लिए जिम्मेदार हैं। दूसरा मेवात जिले के बीचो-बीच से हाईवे नंबर 248 खूनी हाइवे निकलता है जो सन 1980 तक देश के टॉप 10 हाईवे में गिना जाता था लेकिन उसका सरकार ने 30 साल तक हाईवे का दर्जा बंद कर दिया। यूपीए की सरकार ने 3 नवंबर 2008 दोबारा हाईवे के रूप में पुनर्गठन किया। नगीना खंड के दर्जनों स्कूलों में पढ़ने वाले 5000 से अधिक छात्रों को एकजुट करेंगे। ट्रामा सेंटर और हाईवे चौड़ीकरण की मांग को पूरा करवाने के लिए एक बड़ा आंदोलन चलाएंगे। बेहतर यही होगा कि 30 दिसंबर तक केंद्र व प्रदेश सरकार ट्रामा सेंटर और हाईवे चौड़ीकरण 248 पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें। अन्यथा बड़ा आंदोलन करना हमारी मजबूरी होगा जिसमें क्षेत्र के युवा स्कूलों के विद्यार्थी और गणमान्य लोग मौजूद होंगे।बाइट ;- राजुद्दीन  समाजसेवी बाइट ;- मुबारिक नौटकी कांग्रेसी नेता बाइट ;- मुनिराम जैन ग्रामीण बाइट ;- इल्यास कवी प्रधान 
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात। Conclusion:ट्रामा सेंटर बनाने के लिए युवाओं ने निकाली रैली

जिले में हाईवे चौड़ीकरण में होने से होते हैं सबसे अधिक सड़क हादसे 
अलवर से दिल्ली के बीच हाईवे पर नहीं एक भी ट्रामा सेंटर
 संवाददाता नूंह मेवात। 
स्टोरी ;-  उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार हाईवे पर 60 किलोमीटर की दूरी पर ट्रामा सेंटर होना चाहिए। विडंबना देखिए दिल्ली से गुरुग्राम, सोहना वाया नगीना, अलवर तक एक भी ट्रामा सेंटर नहीं है। इस मामले को लेकर विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने रैली निकालकर सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मौतों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। मोहम्मद शाद का कहना है कि नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के लिए एक आदेश पारित करते हुए कहा था कि हाईवे से लगते हुए प्रत्येक जिले में ट्रामा सेंटर बनना चाहिए। समाजसेवी राजुद्दीन ने बताया कि सामाजिक संगठनों के अथक प्रयासों से मेवात में ट्रामा सेंटर बनाने की घोषणा एमडीए की बैठक में हुई थी लेकिन अमलीजामा नहीं पहनाने से क्षेत्र के लोगों में नाराजगी है। उहोंने बताया कि पिछले 6 साल के दौरान करीब 1300 से अधिक मौतें हाईवे पर हो चुकी है। इन दुर्घटनाओं में चार हजार के करीब लोग घायल हुए। यह सरकारी मौतें हैं सरकार ही इनके लिए जिम्मेदार हैं। दूसरा मेवात जिले के बीचो-बीच से हाईवे नंबर 248 खूनी हाइवे निकलता है जो सन 1980 तक देश के टॉप 10 हाईवे में गिना जाता था लेकिन उसका सरकार ने 30 साल तक हाईवे का दर्जा बंद कर दिया। यूपीए की सरकार ने 3 नवंबर 2008 दोबारा हाईवे के रूप में पुनर्गठन किया। नगीना खंड के दर्जनों स्कूलों में पढ़ने वाले 5000 से अधिक छात्रों को एकजुट करेंगे। ट्रामा सेंटर और हाईवे चौड़ीकरण की मांग को पूरा करवाने के लिए एक बड़ा आंदोलन चलाएंगे। बेहतर यही होगा कि 30 दिसंबर तक केंद्र व प्रदेश सरकार ट्रामा सेंटर और हाईवे चौड़ीकरण 248 पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें। अन्यथा बड़ा आंदोलन करना हमारी मजबूरी होगा जिसमें क्षेत्र के युवा स्कूलों के विद्यार्थी और गणमान्य लोग मौजूद होंगे।बाइट ;- राजुद्दीन  समाजसेवी बाइट ;- मुबारिक नौटकी कांग्रेसी नेता बाइट ;- मुनिराम जैन ग्रामीण बाइट ;- इल्यास कवी प्रधान 
संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात। 
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