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नूंह जिले में प्रजनन दर सबसे ज्यादा, साक्षरता सबसे कम, कैसे लगे तेजी से बढ़ी रही जनसंख्या पर लगाम?

विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day 2021) के अवसर पर आज हरियाणा के नूंह जिले की बात करते हैं. नूंह देश का सबसे पिछड़ा जिला है, लेकिन हरियाणा में सबसे ज्यादा प्रजनन दर (fertility rate) और सबसे कम साक्षरता दर (literacy rate) नूंह में ही है. ऐसे में लगातार बढ़ती आबादी नूंह जिले की तरक्की में कहीं ना कहीं बाधा बन रही है.

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Published : Jul 11, 2021, 7:54 PM IST

World Population Day
World Population Day

नूंह: हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए 1989 में पहली बार विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत हुई. बात करें अपने देश की तो भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है. दुनिया की आबादी में से 17.5 प्रतिशत हिस्‍सा भारत का है. बढ़ती आबादी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि अगले कुछ साल में हो हम चीन को पछाड़कर दुनिया का सबसे ज्‍यादा आबादी वाला देश बन जाएंगे.

बात अगर हरियाणा की करें तो हरियाणा का मुस्लिम बाहुल्य जिला मेवात जनसंख्या के मामले में राज्य में टॉप के पांच जिलों में आता है. फर्टिलिटी रेट की अगर बात की जाए तो सूबे के सभी जिलों से तकरीबन दोगुना फर्टिलिटी रेट मेवात जिले का है. स्वास्थ्य विभाग के लिए ये बात चिंता बढ़ाने वाली है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक पहले के मुकाबले हालात तेजी से बदल रहे हैं. हालांकि जितनी अपेक्षा स्वास्थ्य विभाग को है उससे कहीं कम जागरूकता लोगों में दिखाई पड़ रही है.

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विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर डॉ. प्रवीण राज तंवर, उप सिविल सर्जन, नूंह से खास बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि अब नूंह जिले के लोग बच्चों के पैदा होने में अंतर रखने लगे हैं. खासकर बच्चों की पैदाइश में गैप के लिए महिलाएं इंजेक्शन लगवाने के लिए आगे आ रही हैं, लेकिन नसबंदी अभी भी राज्य में सबसे कम नूंह जिले में देखने को मिल रही है. बच्चों की संख्या हर कपल पर इस जिले में अधिक है. बच्चों में गैप नहीं होने की वजह से खून की कमी एवं मातृ शिशु मृत्यु दर के आंकड़े भी पिछले कुछ सालों में इस जिले में अच्छे नहीं रहे.

चिकित्सकों के मुताबिक मेवात जिले में जब महिलाओं की पहली डिलीवरी होती है उस समय वो पूरी तरह स्वस्थ होती है और खून की मात्रा भी काफी अधिक होती है, लेकिन अगले बच्चे के जन्म में अंतर कम होने की वजह से महिलाओं के बच्चों में लगातार खून की कमी इस जिले में देखने को मिलती है. अमूमन हर साल महिला यहां बच्चे को जन्म देती है. इसी वजह से बच्चों को जन्म देते समय मातृ और शिशु की मौत का खतरा बना रहता है.

ये भी पढ़ें- वैक्सीन लगवाने पर स्ट्रीट वेंडर फ्री में खिला रहा छोले भटूरे, प्रशासक ने की तारीफ

स्वास्थ्य विभाग मेवात में लोगों को जागरूक करने के लिए सरकारी गाड़ियों में माइक लगाकर प्रचार कर रहा है ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा परिवार नियोजन के समाधान को अपनाकर अपने जीवन को खुशहाल बना सकें. बता दें कि, देश की कुल जनसंख्या 130 करोड़ से अधिक है और हरियाणा की जनसंख्या ढाई करोड़ है. वहीं मेवात जिले की जनसंख्या तकरीबन 14 लाख है. जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए बार-बार कदम उठाए जाते हैं. नूंह में अब पहले की भांति हालात बदल तो रहे हैं, लेकिन काफी धीमी गति से.

बता दें कि, 11 जुलाई 1987 को दुनिया की जनसंख्या 5 अरब हो गई थी. संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस पर चिंता प्रकट की. इसके बाद 11 जुलाई 1989 को संयुक्त राष्ट्र में बढ़ती आबादी को काबू करने और परिवार नियोजन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसके साथ ही पहली बार विश्व जनसंख्या दिवस मनाया गया. जिसके बाद से हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है.

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नूंह: हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए 1989 में पहली बार विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत हुई. बात करें अपने देश की तो भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है. दुनिया की आबादी में से 17.5 प्रतिशत हिस्‍सा भारत का है. बढ़ती आबादी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि अगले कुछ साल में हो हम चीन को पछाड़कर दुनिया का सबसे ज्‍यादा आबादी वाला देश बन जाएंगे.

बात अगर हरियाणा की करें तो हरियाणा का मुस्लिम बाहुल्य जिला मेवात जनसंख्या के मामले में राज्य में टॉप के पांच जिलों में आता है. फर्टिलिटी रेट की अगर बात की जाए तो सूबे के सभी जिलों से तकरीबन दोगुना फर्टिलिटी रेट मेवात जिले का है. स्वास्थ्य विभाग के लिए ये बात चिंता बढ़ाने वाली है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक पहले के मुकाबले हालात तेजी से बदल रहे हैं. हालांकि जितनी अपेक्षा स्वास्थ्य विभाग को है उससे कहीं कम जागरूकता लोगों में दिखाई पड़ रही है.

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विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर डॉ. प्रवीण राज तंवर, उप सिविल सर्जन, नूंह से खास बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि अब नूंह जिले के लोग बच्चों के पैदा होने में अंतर रखने लगे हैं. खासकर बच्चों की पैदाइश में गैप के लिए महिलाएं इंजेक्शन लगवाने के लिए आगे आ रही हैं, लेकिन नसबंदी अभी भी राज्य में सबसे कम नूंह जिले में देखने को मिल रही है. बच्चों की संख्या हर कपल पर इस जिले में अधिक है. बच्चों में गैप नहीं होने की वजह से खून की कमी एवं मातृ शिशु मृत्यु दर के आंकड़े भी पिछले कुछ सालों में इस जिले में अच्छे नहीं रहे.

चिकित्सकों के मुताबिक मेवात जिले में जब महिलाओं की पहली डिलीवरी होती है उस समय वो पूरी तरह स्वस्थ होती है और खून की मात्रा भी काफी अधिक होती है, लेकिन अगले बच्चे के जन्म में अंतर कम होने की वजह से महिलाओं के बच्चों में लगातार खून की कमी इस जिले में देखने को मिलती है. अमूमन हर साल महिला यहां बच्चे को जन्म देती है. इसी वजह से बच्चों को जन्म देते समय मातृ और शिशु की मौत का खतरा बना रहता है.

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स्वास्थ्य विभाग मेवात में लोगों को जागरूक करने के लिए सरकारी गाड़ियों में माइक लगाकर प्रचार कर रहा है ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा परिवार नियोजन के समाधान को अपनाकर अपने जीवन को खुशहाल बना सकें. बता दें कि, देश की कुल जनसंख्या 130 करोड़ से अधिक है और हरियाणा की जनसंख्या ढाई करोड़ है. वहीं मेवात जिले की जनसंख्या तकरीबन 14 लाख है. जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए बार-बार कदम उठाए जाते हैं. नूंह में अब पहले की भांति हालात बदल तो रहे हैं, लेकिन काफी धीमी गति से.

बता दें कि, 11 जुलाई 1987 को दुनिया की जनसंख्या 5 अरब हो गई थी. संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस पर चिंता प्रकट की. इसके बाद 11 जुलाई 1989 को संयुक्त राष्ट्र में बढ़ती आबादी को काबू करने और परिवार नियोजन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसके साथ ही पहली बार विश्व जनसंख्या दिवस मनाया गया. जिसके बाद से हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है.

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