नूंह जिले में तावडू कस्बे का मोर पंख रेस्ट हाउस अपने अंदर कई इतिहास समेटे हुए है. तावडू शहर से सटा मोर पंख कैनाल रेस्ट हाउस तकरीबन सात से आठ एकड़ भूमि में बना हुआ है. कैनाल रेस्ट हाउस तावडू में पुराने वृक्षों से लेकर राष्ट्रीय पक्षी मोर तक आज भी बड़ी तादाद में देखे जा सकते हैं. सबसे खास बात यह है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को आपातकाल में वर्ष 1975 में इसी रेस्ट हाउस में नजर बंद करके रखा गया था.
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रेस्ट हाउस का दो पूर्व पीएम से है जुड़ाव: बुजुर्गों के मुताबिक देश में आपातकाल के बाद जब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने इसी स्थान पर 3 अक्टूबर 1977 को मोर पंख रेस्ट हाउस का निर्माण कराया. आजकल इस रेस्ट हाउस की देखरेख का जिम्मा सिंचाई विभाग उठा रहा है. करीब 7 से 8 एकड़ में फैले इस रेस्ट हाउस की देखरेख के लिए महज एक चौकीदार नियुक्त किया हुआ है. देखरेख के अभाव में कैनाल रेस्ट हाउस तावडू अपनी सुंदरता खोता जा रहा है.
पुराने पेड़ गिरकर या टूटकर नीचे पड़े हुए हैं तो पहले के मुकाबले राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या भी यहां कम होती जा रही है. सिंचाई विभाग के अंतर्गत आने वाले मोर पंख रेस्ट हाउस में आज भी राष्ट्रीय पक्षी मोर की आवाज चारों तरफ सुनाई देती है. भीषण गर्मी में भी यहां मोर इन पुराने व छायादार वृक्षों के नीचे दिनभर अठखेलियां करते हुए देखे जा सकते हैं. इतना ही नहीं, अधिक वृक्ष होने के साथ- साथ पीने के लिए पानी का इंतजाम होने के चलते बंदर भी बड़ी संख्या में यहां दिनभर घूमते देखे जा सकते हैं.
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स्थानीय विधायक कराएंगे जीर्णोद्धार: मोर पंख रेस्ट हाउस की दयनीय स्थिति को देखते हुए सरकार ने अब इसकी कायापलट करने का फैसला किया है. स्थानीय विधायक संजय सिंह ने न केवल मोर पंख रेस्ट हाउस में जनता दरबार लगाकर लोगों की समस्याओं का निपटारा किया. वहीं क्षेत्र की जनता को भरोसा दिलाया कि मोरपंख रेस्ट हाउस के इतिहास को देखते हुए इसके जीर्णोद्धार पर तकरीबन 16 लाख रुपये की राशि खर्च की जाएगी. कुल मिलाकर दयनीय स्थिति में पहुंच चुके मोरपंख रेस्ट हाउस की सूरत बदलने जा रही है. क्षेत्र के भाजपा विधायक संजय सिंह इसे लेकर गंभीर दिखाई दे रहे हैं.
रेस्ट हाउस के नाम को लेकर है दिलचस्प वजह : तावडू शहर के लोगों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि यहां राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या अधिक थी. इसके कारण यहां पर उनके पंख बड़ी मात्रा में मिलते थे. इसीलिए इस जगह का नाम मोर पंख कैनाल रेस्ट हाउस रखा गया है. पहले इसे बंगला भी कहा जाता था. तावडू शहर में स्थित मोर पंख रेस्ट हाउस का इतिहास देश के पूर्व पीएम मोरारजी देसाई तथा आपातकाल से जुड़ा हुआ है. शहर के लोगों के मुताबिक मोरारजी देसाई को तकरीबन 19 महीने इसी जगह पर नजर बंद करके रखा गया था. उनकी सुरक्षा के लिए जो जवान लगाए गए थे. वह भी यहां सैर सपाटा करते तथा खेलकूद करते हुए देखे गए थे.
पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग: जानकारों का मानना है कि इस जगह और यहां के पार्क और पेड़ों की देखभाल की जाए तो इस ऐतिहासिक स्थल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है. सरकार यहां आने वाले पर्यटकों से अच्छा राजस्व जुटा सकती है. तावडू शहर से चंद किलोमीटर की दूरी पर कई बड़े होटल और गोल्फ कोर्स के मैदान हैं. अगर मोर पंख रेस्ट हाउस के इतिहास के बारे में प्रचार पसार किया जाए तो यहां आकर लोग पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं. कुल मिलाकर हरियाणा के सबसे पिछडे़ नूंह जिले में इतिहास को समेट और संजोकर रखने की जरूरत है.