नूंह: भीषण गर्मी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. इन दिनों बिजली कट होना आफत की तरह है. घंटों बिजली कट होने से पंखा, कूलर, फ्रिज जैसे तमाम उपकरण ठप पड़ जाते हैं, ऐसे में लोगों को एक बार फिर सैकड़ों वर्ष पुराने मिट्टी के बर्तन याद आने लगे हैं.
देश में प्रजापत बिरादरी के लोग कई दशकों से मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते आ रहे हैं, लेकिन आधुनिकता की मार ने मिट्टी के बर्तनों की डिमांड न के बराबर कर दी थी. जिससे प्रजापत बिरादरी के युवा अपने पुश्तैनी काम को छोड़ अलग रास्ते पर चल पड़े थे, लेकिन कोरोना काल में सेहत के लिए फिक्रमंद लोग एक बार फिर मिट्टी के बर्तनों की ओर लौट चुके हैं. अब मिट्टी के बर्तनों की डिमांड बढ़ गई है. जिससे कुम्हारों का काम दोबारा चल पड़ा है.
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लोगों का मानना है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना और पानी न केवल स्वादिष्ट लगता है, बल्कि मिट्टी के बर्तनों में पानी रखने और खाना बनाने से बीमारियां होने का खतरा कम होता है. वजह चाहे जो भी हो मगर राहत भरी खबर है कि लोगों का एक बार फिर मिट्टी के बर्तनों की तरफ रुझान बढ़ रहा है.
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