नूंहः किले के चारों तरफ निगरानी के लिए ऊंची-ऊंची मचानें बनवाई गई हैं. साथ ही सुरंग से लेकर घुड़साल और तालाब भी बनवाए गए हैं. घोड़ों को तिजारा राजस्थान की तरफ से किले तक पहुंचाया जाता था. कोटला गांव के चारों तरफ बड़ी-चौड़ी और ऊंची दीवारें थी.
किले के ठीक पास से सदियों पुराना पानी का एक झरना बहता है. झरने के पानी को आस-पास के लोग घरेलू कामों के लिए इस्तेमाल करते हैं. झरने से करीब सौ फीट ऊंचाई से पानी गिरता है, जो कुदरत का बेजोड़ नमूना है.
इस मुकाम और ऊंचाई पर बने कोटला किले का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम कोटला गांव पहुंची. हैरत की बात ये है कि मेवात की इन ऐतिहासिक इमारतों पर पुरात्तव विभाग से लेकर केंद्र और सूबे सरकार ने कभी ध्यान ही नहीं दिया. जिसके चलते किले का हाल बदहाल होता जा रहा है.