नूंह: स्वच्छता के नाम पर भले ही केंद्र व राज्य सरकार लाखों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन धरातल पर इस अभियान की धज्जियां उड़ती दिखाई दे रही हैं. नूंह जिले के पिनगवां कस्बे में पूरी फिरनी पर गंदगी व कीचड़ के अलावा पानी भरा हुआ है, तो मुख्य मार्ग पर भी पानी की निकासी का पुख्ता प्रबंध नहीं है. गंदगी व जलभराव से लोग परेशान हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.
अस्पताल के सामने भी बदबू और कीचड़
सड़क के दोनों तरफ इतनी गंदगी है कि इस रास्ते से गुजरना तक दूभर हो रहा है. इसके अलावा नगीना-होडल मार्ग पर डॉक्टर हिम्मत राय पोपली के अस्पताल के ठीक सामने पानी सड़क पर भरा हुआ है. पापड़ा मार्ग मोड़ के सामने गांव की नालियों का पानी आकर जमा हो रहा है. जिसकी निकासी नहीं होने से पानी सड़क तक भर जाता है.
ग्राम पंचायत ने कूड़ा उठाने और झाड़ू लगाने के लिए कई सफाई कर्मचारी तो नियुक्त किए हुए हैं, लेकिन वह नाकाफी दिखाई दे रहे हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत पानी निकासी नहीं होने की है. पानी निकासी का पुख्ता इंतजाम नहीं होने के कारण ही पिनगवां-झिमरावट मार्ग पर लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं.
डंपिंग स्टेशन तक नहीं है
कूड़ा निस्तारण, डंपिंग स्टेशन का इंतजाम भी नहीं है, हालांकि ग्राम पंचायत ने पुनहाना-नगीना मुख्य मार्ग पर जगह-जगह कूड़ा डालने के लिए डस्टबिन लगाए हुए हैं और ट्रैक्टर ट्राली से इस कूड़े को दूर फेंका जा रहा है. अभी भी इस कस्बे में सफाई की बहुत ज्यादा गुंजाइश है.
विकास राशि आती है जमीन पर काम नहीं होता
सरकार और प्रशासन भले ही स्वच्छ भारत अभियान को लेकर कई जरूरी दिशा-निर्देश समय-समय पर देने के अलावा ग्राम पंचायतों को विकास राशि भी देता रहा है, लेकिन अधिकारियों को धरातल पर लोगों के साथ जुड़कर काम करने की आवश्यकता है. तभी जाकर शहरों-कस्बों व गांवों से गंदगी तथा कूड़ा करकट का नामोनिशान मिटाया जा सकता है. इसके साथ-साथ ही लोगों को भी स्वच्छ भारत अभियान में सहयोग करना बेहद लाजमी है.
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मेवात राज्य में सबसे पिछड़ा हुआ जिला है और इस जिले में पुन्हाना उपमंडल सबसे पिछड़ा हुआ है. पुन्हाना उपमंडल के गांव की शुरुआत पिनगवां कस्बे से ही होती है. पिनगवां कस्बे में ग्राम पंचायत की आमदनी भी अच्छी खासी है, लेकिन लगातार बढ़ती आबादी और पानी निकासी का इंतजाम ठीक नहीं होने से यह कस्बा भी साफ-सफाई रखने में असफल साबित हो रहा है.
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