नूंह: कोरोना महामारी के दौरान देश भर से भले ही डरावनी तस्वीरें सामने आ रही हो, लेकिन हरियाणा के मुस्लिम बाहूल्य जिला नूह मेवात में अभी भी हालात पूरी तरह काबू में दिखाई दे रही हैं. कोरोने केसों की संख्या तो पिछले स्ट्रेन के मुकाबले बढ़ी है. लेकिन ऑक्सीजन, वेंटिलेटर दवाइयां के लिए जो मारामारी देशभर में सामने आ रही है. ऐसा मंजर यहां कम दिखाई पड़ता है. श्मशान और कब्रिस्तान में शवों को अंतिम संस्कार करने के लिए जिस तरह से देश भर के राज्य जिलों में हालात बेकाबू है ऐसा इस जिले में बिल्कुल नहीं है.
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सिविल सर्जन डॉक्टर सुरेंद्र यादव ने कहा कि हरियाणा के मेवात जिले में दूसरे जिलों के मुकाबले अलग तरह का सिनेरियो है. उन्होंने कहा कि इस जिले में अल आफिया सामान्य अस्पताल मांडी खेड़ा और नल मेडिकल कॉलेज में ही कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है. उन्होंने बताया कि प्राइवेट अस्पताल जिले में नहीं है. जिन्हें कोई अस्पताल बनाया जा सके. उन्होंने बताया कि सामान्य अस्पताल मांडी खेड़ा में 100 बेड हैं. यहां 32 बेड कोरोना के लिए तैयार किए गए थे. जिनमें तीन वेंटिलेटर के बेड है.
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों में यहां 6 बेड और बढ़ा दिए गए हैं. जिससे अब कुल संख्या 38 है. और सभी 38 बेड भर्ती है. जरूरत पड़ने पर बेडों की संख्या मांडीखेड़ा से लेकर मेडिकल कॉलेज तक बढ़ाई जा रही है. राहत की खबर है कि स्वास्थ्य विभाग को मेडिकल कालेज और आयुष विभाग से जिला प्रशासन मेन पावर देने जा रहा है. इसके अलावा कुछ स्टाफ भी आ गया है. मेंटल हेल्थ इत्यादि कोरोना मरीजों की देखभाल के लिए लगाया है.
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सीएमओ ने बताया कि नल्हड़ मेडिकल कॉलेज में 16 आईसीयू तथा 58 बेड शुरुआत में थे. जिनकी संख्या बढ़कर 165 तक पहुंच गई है. मेडिकल कॉलेज को कोविड अस्पताल राज्य सरकार ने घोषित कर दिया है. इस मेडिकल कॉलेज में 650 बेड है. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने पीएचसी तथा सीएससी तथा तावडू में 5-5 बेड की व्यवस्था कर दी गई है. जल्द ही इन दोनों सीएचसी में 20 -20 बेड की व्यवस्था हो जाएगी.
डॉ सुरेंद्र ने कहा कि ऑक्सीजन दवाई इत्यादि की कोई कमी नहीं है. मैनपावर मिलते ही बेडों की संख्या तेजी से बढ़ा दी जाएगी. उपायुक्त धीरेंद्र 24 घंटे देखरेख में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि रमजान के महीने का भी असर देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग प्राइवेट डॉक्टरों से इलाज करा रहे हैं. अगर वही लोग सरकारी अस्पतालों में इलाज कराएं तो वह स्वास्थ्य विभाग के सिस्टम को रजिस्टर्ड हो जाएंगे और स्वास्थ्य विभाग की टीमें उनसे ना केवल फोन से संपर्क करेगी बल्कि घर-घर जाकर उनको दवाई देगी और उनके स्वास्थ्य पर नजर रखेगी.