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किसान दिवस: उत्सव मानने के बजाए आंदोलन के लिए मजबूर अन्नदाता - किसान आंदोलन कृषि कानून

किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार के इस रवैया से ना केवल दिल्ली की सीमाओं पर किसान विरोध कर रहे हैं, बल्कि गांव में भी किसान सरकार की हठधर्मिता से नाराज जबान पर आ गया है. इसी वजह से अभी भी किसान कड़ाके की ठंड में अपने घरों को छोड़कर लगातार धरना प्रदर्शन कर रहा है.

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उत्सव मानने के बजाए आंदोलन के लिए मजबूर अन्नदाता
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Published : Dec 24, 2020, 4:49 PM IST

नूंह: 23 दिसंबर... भारत में इस दिन को 'किसान दिवस' के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ था, जिन्होंने किसानों के जीवन और स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की थी. चौधरी चरण सिंह के इस अतुल्नीय कार्यों के सम्मान में साल 2001 में हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया, लेकिन आज विधी का विधान देखिए, किसान बेहद हताश और निराश है. ये निराशा दिल्ली के इर्द-गिर्द ही नहीं बल्कि गांव-गांव तक दिखाई पड़ रहा है.

आज धरतीपुत्र इन तीनों दलों को वापस लेने के लिए पिछले करीब 28 दिनों से लगातार धरना प्रदर्शन कर रहा है. लगातार बैठकों का दौर जारी है, लेकिन केंद्र सरकार का किसानों की मांगों पर अभी पूरी तरह से दिल नहीं पसीजा दिखाई दे रहा है. केंद्र सरकार के इस रवैया से ना केवल दिल्ली की सीमाओं पर किसान विरोध कर रहे हैं, बल्कि गांव में भी किसान सरकार की हठधर्मिता से नाराज जबान पर आ गया है.

उत्सव मानने के बजाए आंदोलन के लिए मजबूर अन्नदाता, देखिए वीडियो

कड़ाके की ठंड में आंदोलनरत अन्नदाता

किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार किसान हितेषी नहीं है यह तीनों कृषि कानून किसानों के खिलाफ है. जब किसान ही इन कानूनों को गलत बता रहा है तो फिर सरकार इन बिलों को रद्द करने की जिद पर क्यों अड़ी हुई है. क्यों अभी भी किसान कड़ाके की ठंड में अपने घरों को छोड़कर लगातार धरना प्रदर्शन कर रहा है.

nuh Farmers is on movement instead of celebrating kissan diwas
नगीना खंड में सालों से पानी नहीं आने की वजह से सूख चुकी कैनाल.

इन कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा के मेवात जिले के किसान भी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. मेवात के किसानों का कहना है कि किसी भी पार्टी की सरकार रही हो, किसानों के लिए जो भी दावे किए जाते हैं. उनमें कोई सच्चाई नहीं है.

60 गांवों में सूखा झेल रहा नगीना खंड

मेवात जिले के नगीना खंड के तकरीबन 60 गांव की भूमि को सिंचित करने के लिए नहरी पानी तक उपलब्ध नहीं है. इसके अलावा जिले के गांव में सिंचाई के पानी की कमी है.

nuh Farmers is on movement instead of celebrating kissan diwas
किसान के खेत में पानी लगने से बंजर होती जमीन

चौ. चरण सिंह के रास्ते क्यों नहीं सरकारें- किसान

किसानों का कहना है कि चौधरी चरण सिंह ने जो रास्ता धरतीपुत्र को दिखाया था उन पर किसान तो चल रहा है, लेकिन सरकार उस पर चलने का काम नहीं कर रही है. नगीना खंड में नहरों का पानी कई दशकों से यहां आया नहीं है. जमीन की गहराइयों में पानी जैसे सूख चुका है.

किसानों का कहना है कि एक भी किसान ऐसा नहीं मिला जो आज के हालात में खुश हो. ऐसे में किसान दिवस के मायने कोई मायने नहीं रह जाते. क्योंकि कोई उत्सव खुशी में मनाया जाता है, गमों में नहीं, आज कोरोना काल में लाखों किसान दिल्ली के आसपास कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे सड़कों पर रहने को मजबूर हैं फिर भी सरकार सुस्त है.

nuh Farmers is on movement instead of celebrating kissan diwas
खेतों को ठीक से पानी नहीं मिलने की वजह से बर्बाद होती फसलें.

क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान

आपको बता दें कि किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की जिद पर अड़ा हुआ है तो सरकार के रुख में भी नरमी दिखाई नहीं दे रही है. धरतीपुत्र सड़क से लेकर संसद तक अपना विरोध दर्ज करा रहा है लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार को किसानों का दर्द दिखाई व सुनाई नहीं पड़ रहा है अब देखना यह है कि तीनों कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर किसान कब तक आंदोलन करते हैं या फिर सरकार के रुख में नरमी देखने को मिलती है परंतु इतना जरूर है कि इस बार का किसान दिवस हमेशा किसानों की परेशानी और बदहाली के लिए याद किया जाता रहेगा

ये पढ़ें- मुनाफे की खेती कर 20 महिलाओं को दे रही रोजगार हरियाणा की महिला किसान मंजू बाला

नूंह: 23 दिसंबर... भारत में इस दिन को 'किसान दिवस' के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ था, जिन्होंने किसानों के जीवन और स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की थी. चौधरी चरण सिंह के इस अतुल्नीय कार्यों के सम्मान में साल 2001 में हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया, लेकिन आज विधी का विधान देखिए, किसान बेहद हताश और निराश है. ये निराशा दिल्ली के इर्द-गिर्द ही नहीं बल्कि गांव-गांव तक दिखाई पड़ रहा है.

आज धरतीपुत्र इन तीनों दलों को वापस लेने के लिए पिछले करीब 28 दिनों से लगातार धरना प्रदर्शन कर रहा है. लगातार बैठकों का दौर जारी है, लेकिन केंद्र सरकार का किसानों की मांगों पर अभी पूरी तरह से दिल नहीं पसीजा दिखाई दे रहा है. केंद्र सरकार के इस रवैया से ना केवल दिल्ली की सीमाओं पर किसान विरोध कर रहे हैं, बल्कि गांव में भी किसान सरकार की हठधर्मिता से नाराज जबान पर आ गया है.

उत्सव मानने के बजाए आंदोलन के लिए मजबूर अन्नदाता, देखिए वीडियो

कड़ाके की ठंड में आंदोलनरत अन्नदाता

किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार किसान हितेषी नहीं है यह तीनों कृषि कानून किसानों के खिलाफ है. जब किसान ही इन कानूनों को गलत बता रहा है तो फिर सरकार इन बिलों को रद्द करने की जिद पर क्यों अड़ी हुई है. क्यों अभी भी किसान कड़ाके की ठंड में अपने घरों को छोड़कर लगातार धरना प्रदर्शन कर रहा है.

nuh Farmers is on movement instead of celebrating kissan diwas
नगीना खंड में सालों से पानी नहीं आने की वजह से सूख चुकी कैनाल.

इन कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा के मेवात जिले के किसान भी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. मेवात के किसानों का कहना है कि किसी भी पार्टी की सरकार रही हो, किसानों के लिए जो भी दावे किए जाते हैं. उनमें कोई सच्चाई नहीं है.

60 गांवों में सूखा झेल रहा नगीना खंड

मेवात जिले के नगीना खंड के तकरीबन 60 गांव की भूमि को सिंचित करने के लिए नहरी पानी तक उपलब्ध नहीं है. इसके अलावा जिले के गांव में सिंचाई के पानी की कमी है.

nuh Farmers is on movement instead of celebrating kissan diwas
किसान के खेत में पानी लगने से बंजर होती जमीन

चौ. चरण सिंह के रास्ते क्यों नहीं सरकारें- किसान

किसानों का कहना है कि चौधरी चरण सिंह ने जो रास्ता धरतीपुत्र को दिखाया था उन पर किसान तो चल रहा है, लेकिन सरकार उस पर चलने का काम नहीं कर रही है. नगीना खंड में नहरों का पानी कई दशकों से यहां आया नहीं है. जमीन की गहराइयों में पानी जैसे सूख चुका है.

किसानों का कहना है कि एक भी किसान ऐसा नहीं मिला जो आज के हालात में खुश हो. ऐसे में किसान दिवस के मायने कोई मायने नहीं रह जाते. क्योंकि कोई उत्सव खुशी में मनाया जाता है, गमों में नहीं, आज कोरोना काल में लाखों किसान दिल्ली के आसपास कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे सड़कों पर रहने को मजबूर हैं फिर भी सरकार सुस्त है.

nuh Farmers is on movement instead of celebrating kissan diwas
खेतों को ठीक से पानी नहीं मिलने की वजह से बर्बाद होती फसलें.

क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान

आपको बता दें कि किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की जिद पर अड़ा हुआ है तो सरकार के रुख में भी नरमी दिखाई नहीं दे रही है. धरतीपुत्र सड़क से लेकर संसद तक अपना विरोध दर्ज करा रहा है लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार को किसानों का दर्द दिखाई व सुनाई नहीं पड़ रहा है अब देखना यह है कि तीनों कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर किसान कब तक आंदोलन करते हैं या फिर सरकार के रुख में नरमी देखने को मिलती है परंतु इतना जरूर है कि इस बार का किसान दिवस हमेशा किसानों की परेशानी और बदहाली के लिए याद किया जाता रहेगा

ये पढ़ें- मुनाफे की खेती कर 20 महिलाओं को दे रही रोजगार हरियाणा की महिला किसान मंजू बाला

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