नूंहः जिले में गर्भवती महिलाओं एवं नवजात बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर केंद्र व राज्य सरकार गंभीर नजर आ रही हैं. अल आफिया अस्पताल सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा एवं सीएचसी नगीना में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज दिल्ली की टीम ने प्रयोगशाला खोली है. इस दौरान गर्भवती महिलाओं व नवजात बच्चों में खून के सैंपल लेकर जांच की जाएगी जिससे संबंधित होने वाली बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा.
देशभर में 7 जगहों को चुना गया
महिलाओं और नवजातों में बढ़ रही गंभीर बीमारियों को देखते हुए देश भर के 7 स्थानों में नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद इस तरह के जरूरी कदम उठाए गए हैं. इसी में शामिल है हरियाणा का नूंह जिला. प्रदेश में इस प्रकार की ये पहली प्रयोगशाला है. सिविल सर्जन डॉ राजीव बातिश ने कहा कि मांडीखेड़ा एवं नगीना सरकारी अस्पताल में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के 5 सदस्य विशेषज्ञों की टीम पिछले काफी समय से नूंह जिले में डेरा डाले हुए है. जिन्होंने दोनों स्थानों पर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस प्रयोगशाला तैयार की है.
10 हजार गर्भवती महिलाओं की होगी जांच
उन्होंने बताया कि इस प्रयोगशाला में 10 हजार गर्भवती महिलाओं एवं करीब 5 हजार-6 हजार नवजात बच्चों में खून से संबंधित बीमारियों की जांच की जाएगी. कुल मिलाकर नीति आयोग में जो पैरामीटर पिछड़े जिलों की रैंकिंग के हिसाब से तय किए गए हैं. उनमें से 30 फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा हुआ है. इसी के चलते नूंह जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती देने के लिए केंद्र व राज्य सरकार मिलकर प्रयास कर रही हैं.
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मां और नवजात के लिए राहत की खबर
डॉ राजीव बातिश ने बताया कि प्रयोगशाला में जल्द ही जांच का काम शुरू हो जाएगा. इसके अलावा अगर किसी प्रकार का कोई टेस्ट गर्भवती महिलाओं या नवजात बच्चों का इस प्रयोगशाला में नहीं होगा तो उसके सैंपल दिल्ली भेजे जाएंगे. ऐसे में राज्य के लोगों के लिए राहत की खबर है कि अब गर्भवती महिलाओं व नवजात में खून से संबंधित बीमारी का जांच के बाद इलाज आसानी से संभव हो सकेगा.