ETV Bharat / state

नूंह: शहीद खुर्शीद अहमद का शव पहुंचा पैतृक गांव, नम आंखों से ग्रामीणों ने दी अंतिम विदाई

author img

By

Published : Oct 16, 2019, 9:37 AM IST

Updated : Oct 16, 2019, 10:21 AM IST

शहीद हुए बीएसएफ हवलदार खुर्शीद अहमद का शव उनके पैतृक गांव रायपुर पहुंच गया है. बीएसएफ के जवानों ने सलामी दी और पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहीद को सुपुर्द ए खाक किया गया.

martyr khurshid ahmed

नूंह: शहीद हुए बीएसएफ हवलदार खुर्शीद अहमद का शव उनके पैतृक गांव रायपुर पहुंच गया है. बीएसएफ के जवानों ने सलामी दी और पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहीद को सुपुर्द ए खाक किया गया.

शहीद खुर्शीद अहमद का शव उनके गांव पहुंचा

इस दौरान डीएसपी अशोक कुमार अपने पुलिस जवानों के साथ गांव में मौजूद थे. जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर बीएसएफ के जवानों द्वारा रायपुर गांव में लाया गया, जिसके बाद गांव में पूरी तरह से सन्नाटा छा गया था. शहीद का शव पहुंचने की खबर जैसे ही ग्रामीणों व इलाके के लोगों को लगी तो रायपुर गांव में भारी भीड़ जुट गई.

शहीद खुर्शीद अहमद का शव पहुंचा उनके गांव, देखें वीडियो

गांव में शहीद के शव पहुंचने को लेकर गांव वालों में किसी बात को लेकर नाराज दिखे और शहादत पर ही उन्होंने सवाल खड़े किए. हालांकि कुछ पूर्व सैनिकों ने लोगों के समझाने के बाद मामला शांत हो गया. शहीद को अंतिम विदाई देने की प्रक्रिया शुरू हो गई.

इस दौरान हुए थे शहीद

आपको बता दें कि असम जिले के सिलचर इलाके के आसपास गत 14 अक्टूबर को बीएसएफ के 3 जवान एनआरसी ड्यूटी के लिए पेट्रोलिंग कर रहे थे. उसी दौरान नक्सलियों की गोली ने खुर्शीद अहमद की जान ले ली. परिजनों को जैसे ही बीएसएफ के जवानों ने घटना की जानकारी दी तो उनके पैरों तले की जमीन खिसक गई.

आपको बता दें कि नूंह जिले के पुन्हाना खंड के गांव रायपुर में जन्मे खुर्शीद अहमद 1989 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे. तीन भाइयों में खुर्शीद अहमद अकेले सरकारी सेवा में कार्यरत थे. खुर्शीद अहमद दो बच्चों के पिता थे और अपने परिवार के साथ कई सालों से दिल्ली में रह रहे थे. आखिरकार देर रात बीएसएफ हवलदार खुर्शीद अहमद को पूरे राजकीय शोक के साथ भारी भीड़ में अंतिम विदाई दी.

ये भी जाने- पलवल अनाज मंडी में धान आवक शुरू, अब तक 35 हजार क्विंटल की हुई खरीद

नूंह: शहीद हुए बीएसएफ हवलदार खुर्शीद अहमद का शव उनके पैतृक गांव रायपुर पहुंच गया है. बीएसएफ के जवानों ने सलामी दी और पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहीद को सुपुर्द ए खाक किया गया.

शहीद खुर्शीद अहमद का शव उनके गांव पहुंचा

इस दौरान डीएसपी अशोक कुमार अपने पुलिस जवानों के साथ गांव में मौजूद थे. जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर बीएसएफ के जवानों द्वारा रायपुर गांव में लाया गया, जिसके बाद गांव में पूरी तरह से सन्नाटा छा गया था. शहीद का शव पहुंचने की खबर जैसे ही ग्रामीणों व इलाके के लोगों को लगी तो रायपुर गांव में भारी भीड़ जुट गई.

शहीद खुर्शीद अहमद का शव पहुंचा उनके गांव, देखें वीडियो

गांव में शहीद के शव पहुंचने को लेकर गांव वालों में किसी बात को लेकर नाराज दिखे और शहादत पर ही उन्होंने सवाल खड़े किए. हालांकि कुछ पूर्व सैनिकों ने लोगों के समझाने के बाद मामला शांत हो गया. शहीद को अंतिम विदाई देने की प्रक्रिया शुरू हो गई.

इस दौरान हुए थे शहीद

आपको बता दें कि असम जिले के सिलचर इलाके के आसपास गत 14 अक्टूबर को बीएसएफ के 3 जवान एनआरसी ड्यूटी के लिए पेट्रोलिंग कर रहे थे. उसी दौरान नक्सलियों की गोली ने खुर्शीद अहमद की जान ले ली. परिजनों को जैसे ही बीएसएफ के जवानों ने घटना की जानकारी दी तो उनके पैरों तले की जमीन खिसक गई.

आपको बता दें कि नूंह जिले के पुन्हाना खंड के गांव रायपुर में जन्मे खुर्शीद अहमद 1989 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे. तीन भाइयों में खुर्शीद अहमद अकेले सरकारी सेवा में कार्यरत थे. खुर्शीद अहमद दो बच्चों के पिता थे और अपने परिवार के साथ कई सालों से दिल्ली में रह रहे थे. आखिरकार देर रात बीएसएफ हवलदार खुर्शीद अहमद को पूरे राजकीय शोक के साथ भारी भीड़ में अंतिम विदाई दी.

ये भी जाने- पलवल अनाज मंडी में धान आवक शुरू, अब तक 35 हजार क्विंटल की हुई खरीद

Intro:संवाददाता नूह मेवातस्टोरी :- शहीद का शव पहुंचा रायपुर, नम आंखों से ग्रामीणों ने दी अंतिम विदाईअसम के नक्सल प्रभावित इलाके में पेट्रोलिंग के दौरान शहीद हुए बीएसएफ हवलदार खुर्शीद अहमद का शव मंगलवार को देर शाम उनके पैतृक गांव रायपुर पहुंचा । जहां बीएसएफ के जवानों ने सलामी दी और पूरे  राजकीय सम्मान के साथ शहीद को सुपुर्द ए खाक किया गया । इस दौरान डीएसपी अशोक कुमार अपने पुलिस जवानों के साथ गांव में मौजूद रहे । जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर बीएसएफ के जवानों द्वारा रायपुर गांव में लाया गया , तो पूरी तरह से सन्नाटा पसर गया । शहीद का शव पहुंचने की खबर जैसे ही ग्रामीणों व इलाके के लोगों को लगी तो रायपुर गांव में भारी भीड़ जुट गई । शहीद का  शव पहुंचा तो शुरुआत में वे कुछ बातों को लेकर नाराज दिखे और शहादत पर ही उन्होंने सवाल खड़े कर दिए । हालांकि कुछ पूर्व सैनिकों वे गणमान्य लोगों के समझाने के बाद मामला शांत हो गया और शहीद को अंतिम विदाई देने की प्रक्रिया शुरू हो गई । जानकारी के मुताबिक यह घटना असम जिले के सिलचर इलाके के आसपास गत 14 अक्टूबर को उस समय घटी जब बीएसएफ के 3 जवान एनआरसी ड्यूटी के लिए पेट्रोलिंग कर रहे थे । उसी दौरान नक्सलियों की गोली ने खुर्शीद अहमद की जान ले ली । परिजनों को जैसे ही बीएसएफ के जवानों ने घटना की जानकारी दी तो उनके पैरों तले की जमीन निकल गई । बीएसएफ के एएसआई मंगल मशीह ने पत्रकारों को बताया कि नक्सल प्रभावित इलाके में हर वक्त जवानों पर मौत का साया मंडराता रहता है । गत 14 अक्टूबर को पेट्रोलिंग के दौरान खुर्शीद अहमद की शहादत हुई , जब दुश्मन की गोली ने उन्हें लहूलुहान कर दिया । उन्होंने बताया कि शहीद खुर्शीद अहमद के शव को पहले सिलचर लाया गया । उसके बाद कोलकाता लाया गया , फिर हवाई जहाज से दिल्ली एयरपोर्ट पर लाया गया । जहां फ्लाइट कई घंटे देरी से पहुंची और जैसे ही शहीद का शव एयरपोर्ट पर आया तो बीएसएफ के जवानों ने उसे सलामी देते हुए उनके पैतृक गांव रायपुर का रुख कर लिया । सूरज ढलने के बाद बीएसएफ और पुलिस के अधिकारियों का काफिला जब खुर्शीद अहमद के शव को लेकर रायपुर गांव पहुंचा तो लोगों की आंखों से आंसू गिरने लगे गांव के लोग ही नहीं बल्कि उनके साथ करीब 2 साल तक नौकरी करने वाले पूर्व सैनिक भी उन्हें याद कर गमगीन हो उठे । आपको बता दें की नूह जिले के पुनहाना खंड के गांव रायपुर में जन्मे खुर्शीद अहमद 1989 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे । तीन भाइयों में खुर्शीद अहमद अकेले सरकारी सेवा में कार्यरत है खुर्शीद अहमद दो बच्चों के पिता थे और अपने परिवार के साथ कई सालों से दिल्ली में रह रहे थे ।खुर्शीद अहमद कि जिस तरह से शहादत हुई उस पर पूरे गांव के लोगों को गर्व है , लेकिन परिवार के साथ दिल्ली में पड़ोस में रहने वाले कुछ लोगों ने कहा कि शुरुआत में खुर्शीद अहमद के खुदकुशी करने की खबर दी गई थी और बाद में शहादत की खबर आई तो दिल और दिमाग अलग - अलग सोचने लगे । जिसे लेकर अंतिम विदाई देने में भी करीब 1 घंटे का विलंब हुआ । आखिरकार देर रात बीएसएफ हवलदार खुर्शीद अहमद को पूरे राजकीय शोक के साथ भारी भीड़ में अंतिम विदाई दी। बाइट ;- बीएसफ जवान बाइट ;- रायपुर  सरपंच बाइट ;- पूर्व फौजी। बाइट ;- शहीद  बीएसएफ हवलदार खुर्शीद अहमद  का लड़का  संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात। Body:संवाददाता नूह मेवातस्टोरी :- शहीद का शव पहुंचा रायपुर, नम आंखों से ग्रामीणों ने दी अंतिम विदाईअसम के नक्सल प्रभावित इलाके में पेट्रोलिंग के दौरान शहीद हुए बीएसएफ हवलदार खुर्शीद अहमद का शव मंगलवार को देर शाम उनके पैतृक गांव रायपुर पहुंचा । जहां बीएसएफ के जवानों ने सलामी दी और पूरे  राजकीय सम्मान के साथ शहीद को सुपुर्द ए खाक किया गया । इस दौरान डीएसपी अशोक कुमार अपने पुलिस जवानों के साथ गांव में मौजूद रहे । जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर बीएसएफ के जवानों द्वारा रायपुर गांव में लाया गया , तो पूरी तरह से सन्नाटा पसर गया । शहीद का शव पहुंचने की खबर जैसे ही ग्रामीणों व इलाके के लोगों को लगी तो रायपुर गांव में भारी भीड़ जुट गई । शहीद का  शव पहुंचा तो शुरुआत में वे कुछ बातों को लेकर नाराज दिखे और शहादत पर ही उन्होंने सवाल खड़े कर दिए । हालांकि कुछ पूर्व सैनिकों वे गणमान्य लोगों के समझाने के बाद मामला शांत हो गया और शहीद को अंतिम विदाई देने की प्रक्रिया शुरू हो गई । जानकारी के मुताबिक यह घटना असम जिले के सिलचर इलाके के आसपास गत 14 अक्टूबर को उस समय घटी जब बीएसएफ के 3 जवान एनआरसी ड्यूटी के लिए पेट्रोलिंग कर रहे थे । उसी दौरान नक्सलियों की गोली ने खुर्शीद अहमद की जान ले ली । परिजनों को जैसे ही बीएसएफ के जवानों ने घटना की जानकारी दी तो उनके पैरों तले की जमीन निकल गई । बीएसएफ के एएसआई मंगल मशीह ने पत्रकारों को बताया कि नक्सल प्रभावित इलाके में हर वक्त जवानों पर मौत का साया मंडराता रहता है । गत 14 अक्टूबर को पेट्रोलिंग के दौरान खुर्शीद अहमद की शहादत हुई , जब दुश्मन की गोली ने उन्हें लहूलुहान कर दिया । उन्होंने बताया कि शहीद खुर्शीद अहमद के शव को पहले सिलचर लाया गया । उसके बाद कोलकाता लाया गया , फिर हवाई जहाज से दिल्ली एयरपोर्ट पर लाया गया । जहां फ्लाइट कई घंटे देरी से पहुंची और जैसे ही शहीद का शव एयरपोर्ट पर आया तो बीएसएफ के जवानों ने उसे सलामी देते हुए उनके पैतृक गांव रायपुर का रुख कर लिया । सूरज ढलने के बाद बीएसएफ और पुलिस के अधिकारियों का काफिला जब खुर्शीद अहमद के शव को लेकर रायपुर गांव पहुंचा तो लोगों की आंखों से आंसू गिरने लगे गांव के लोग ही नहीं बल्कि उनके साथ करीब 2 साल तक नौकरी करने वाले पूर्व सैनिक भी उन्हें याद कर गमगीन हो उठे । आपको बता दें की नूह जिले के पुनहाना खंड के गांव रायपुर में जन्मे खुर्शीद अहमद 1989 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे । तीन भाइयों में खुर्शीद अहमद अकेले सरकारी सेवा में कार्यरत है खुर्शीद अहमद दो बच्चों के पिता थे और अपने परिवार के साथ कई सालों से दिल्ली में रह रहे थे ।खुर्शीद अहमद कि जिस तरह से शहादत हुई उस पर पूरे गांव के लोगों को गर्व है , लेकिन परिवार के साथ दिल्ली में पड़ोस में रहने वाले कुछ लोगों ने कहा कि शुरुआत में खुर्शीद अहमद के खुदकुशी करने की खबर दी गई थी और बाद में शहादत की खबर आई तो दिल और दिमाग अलग - अलग सोचने लगे । जिसे लेकर अंतिम विदाई देने में भी करीब 1 घंटे का विलंब हुआ । आखिरकार देर रात बीएसएफ हवलदार खुर्शीद अहमद को पूरे राजकीय शोक के साथ भारी भीड़ में अंतिम विदाई दी। बाइट ;- बीएसफ जवान बाइट ;- रायपुर  सरपंच बाइट ;- पूर्व फौजी। बाइट ;- शहीद  बीएसएफ हवलदार खुर्शीद अहमद  का लड़का  संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात। Conclusion:संवाददाता नूह मेवातस्टोरी :- शहीद का शव पहुंचा रायपुर, नम आंखों से ग्रामीणों ने दी अंतिम विदाईअसम के नक्सल प्रभावित इलाके में पेट्रोलिंग के दौरान शहीद हुए बीएसएफ हवलदार खुर्शीद अहमद का शव मंगलवार को देर शाम उनके पैतृक गांव रायपुर पहुंचा । जहां बीएसएफ के जवानों ने सलामी दी और पूरे  राजकीय सम्मान के साथ शहीद को सुपुर्द ए खाक किया गया । इस दौरान डीएसपी अशोक कुमार अपने पुलिस जवानों के साथ गांव में मौजूद रहे । जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर बीएसएफ के जवानों द्वारा रायपुर गांव में लाया गया , तो पूरी तरह से सन्नाटा पसर गया । शहीद का शव पहुंचने की खबर जैसे ही ग्रामीणों व इलाके के लोगों को लगी तो रायपुर गांव में भारी भीड़ जुट गई । शहीद का  शव पहुंचा तो शुरुआत में वे कुछ बातों को लेकर नाराज दिखे और शहादत पर ही उन्होंने सवाल खड़े कर दिए । हालांकि कुछ पूर्व सैनिकों वे गणमान्य लोगों के समझाने के बाद मामला शांत हो गया और शहीद को अंतिम विदाई देने की प्रक्रिया शुरू हो गई । जानकारी के मुताबिक यह घटना असम जिले के सिलचर इलाके के आसपास गत 14 अक्टूबर को उस समय घटी जब बीएसएफ के 3 जवान एनआरसी ड्यूटी के लिए पेट्रोलिंग कर रहे थे । उसी दौरान नक्सलियों की गोली ने खुर्शीद अहमद की जान ले ली । परिजनों को जैसे ही बीएसएफ के जवानों ने घटना की जानकारी दी तो उनके पैरों तले की जमीन निकल गई । बीएसएफ के एएसआई मंगल मशीह ने पत्रकारों को बताया कि नक्सल प्रभावित इलाके में हर वक्त जवानों पर मौत का साया मंडराता रहता है । गत 14 अक्टूबर को पेट्रोलिंग के दौरान खुर्शीद अहमद की शहादत हुई , जब दुश्मन की गोली ने उन्हें लहूलुहान कर दिया । उन्होंने बताया कि शहीद खुर्शीद अहमद के शव को पहले सिलचर लाया गया । उसके बाद कोलकाता लाया गया , फिर हवाई जहाज से दिल्ली एयरपोर्ट पर लाया गया । जहां फ्लाइट कई घंटे देरी से पहुंची और जैसे ही शहीद का शव एयरपोर्ट पर आया तो बीएसएफ के जवानों ने उसे सलामी देते हुए उनके पैतृक गांव रायपुर का रुख कर लिया । सूरज ढलने के बाद बीएसएफ और पुलिस के अधिकारियों का काफिला जब खुर्शीद अहमद के शव को लेकर रायपुर गांव पहुंचा तो लोगों की आंखों से आंसू गिरने लगे गांव के लोग ही नहीं बल्कि उनके साथ करीब 2 साल तक नौकरी करने वाले पूर्व सैनिक भी उन्हें याद कर गमगीन हो उठे । आपको बता दें की नूह जिले के पुनहाना खंड के गांव रायपुर में जन्मे खुर्शीद अहमद 1989 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे । तीन भाइयों में खुर्शीद अहमद अकेले सरकारी सेवा में कार्यरत है खुर्शीद अहमद दो बच्चों के पिता थे और अपने परिवार के साथ कई सालों से दिल्ली में रह रहे थे ।खुर्शीद अहमद कि जिस तरह से शहादत हुई उस पर पूरे गांव के लोगों को गर्व है , लेकिन परिवार के साथ दिल्ली में पड़ोस में रहने वाले कुछ लोगों ने कहा कि शुरुआत में खुर्शीद अहमद के खुदकुशी करने की खबर दी गई थी और बाद में शहादत की खबर आई तो दिल और दिमाग अलग - अलग सोचने लगे । जिसे लेकर अंतिम विदाई देने में भी करीब 1 घंटे का विलंब हुआ । आखिरकार देर रात बीएसएफ हवलदार खुर्शीद अहमद को पूरे राजकीय शोक के साथ भारी भीड़ में अंतिम विदाई दी। बाइट ;- बीएसफ जवान बाइट ;- रायपुर  सरपंच बाइट ;- पूर्व फौजी। बाइट ;- शहीद  बीएसएफ हवलदार खुर्शीद अहमद  का लड़का  संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात। 
Last Updated : Oct 16, 2019, 10:21 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.