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लॉकडाउन ने किया रोजेदारों को निराश, दुकानदारों को भी हुआ बड़ा नुकसान

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Published : May 3, 2020, 8:48 PM IST

कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लगाए गए लॉक डाउन ने इस बार रमजान के पवित्र महीने में होने वाली रौनक को नजर लगा दी है. जहां रोजेदारों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है वहीं दुकानदारों को भी काफी नुकसान हुआ है.

Lock down disappointed Rojedar and shopkeeper
लॉक डाउन ने किया रोजेदारों को निराश

नूंह: कोरोना काल में रमजान का पवित्र महीना इस बार रोजेदार से लेकर दुकानदारों तक के लिए फीका साबित हो रहा है. लॉकडाउन की वजह से बाजार गांव मस्जिद सभी जगह पर रोनक पूरी तरह से गायब और बीते सालों में इस रमजान के महीने में इन सभी जगहों पर अच्छी खासी चहल-पहल होती थी. अब वहां सन्नाटा पसरा है.

दुकानदारों को बड़ी निराशा

जिस रमजान के 1 महीने में पूरे साल भर की कमाई दुकानदार कर लेता था और बड़ी बेसब्री से मुस्लिम बाहुल्य जिलों में इस पवित्र रमजान माह का इंतजार होता था. उसी रमजान के महीने में इस बार ऐसी निराशा हाथ लगी. अब तो दुकानदारों-रोजेदारों को यह चिंता सता रही है कि 17 मई के बाद अगर लॉक डाउन खुल भी जाता है, तो ईद के पर्व में चंद दिन का समय बच जाएगा.

लॉक डाउन ने किया रोजेदारों को निराश, रिपोर्ट

क्या फीकी निकल जाएगी ईद ?

लॉक डाउन की वजह से दुकान खुल नहीं रही है . रोजेदारों को शहरी व इफ्तार में काम आने वाली वस्तुएं नहीं मिल रही है. इसके अलावा ईद का त्यौहार धीरे-धीरे नजदीक आता जा रहा है. शहरी- इफ्तार के अलावा इस बार खैरात भी कम हो रही है. चावल-चीनी इत्यादि जरूरत की चीजें नहीं मिल पा रही है. रोजेदार को तो लॉक डाउन का खामियाजा भुगतना ही पड़ रहा है, लेकिन इससे ज्यादा मार इस बार दुकानदार पर है. चीनी, चावल, कपड़ा, जूता, चप्पल ,रेडीमेड गारमेंटस ,सब्जी, फल, जेवरात की दुकानों पर इस बार मजदूरों का वेतन देने से लेकर दुकानों का किराया तक देने का लाला पड़ता दिख रहा है.

ये मार सिर्फ एक प्रकार के साथ सामान बेचने वाले दुकानदार पर नहीं है बल्कि हर प्रकार का सामान बेचने वाले दुकानदार वह हर मुसलमान पर है. लोग जैसे-तैसे सामान खरीद कर रमजान रखते हुए घरों में इबादत कर रहे हैं, लेकिन मस्जिदों में जो रौनक और जो बाजारों में भीड़भाड़ हर वर्ष रहती थी, वह इस वर्ष कहीं नजर नहीं आ रही है.

खरीददारी ना कर पाने की वजह से निराश मुसलमान

खास बात यह है कि रमजान के महीने में खर्च किए जाने वाले धन की हिसाब-किताब अल्लाह के यहां होता है, एक रुपए खर्च करने के बदले 70 रुपये उसे मिलते हैं. यही वजह है कि गरीब अमीर सभी मुसलमान इस महीने में दिल खोलकर हर प्रकार के सामान की खरीददारी करता है और इसी खरीदारी की वजह से दुकानदारों को अच्छी खासी आमद हो जाती है, लेकिन अब की बार सब घरों में बैठे हाथ मल रहे हैं और माथे पर चिंता की लकीरें हैं.

कुल मिलाकर भले ही नूंह जिले में कोरोनावायरस अधिकतर संख्या में ठीक हो कर घर लौट गए हो, और पिछले 14 दिन में महज एक केस सामने नहीं आया हो ,लेकिन अभी भी इस जिले के आम लोगों व दुकानदारों की मुसीबत कम नहीं हुई है. अब देखना यह है कि संकट के दौर में दुकानदार और आमजन कैसे बाहर आता है और हालात सामान्य होते हैं.
ये भी जानें-नूंह ने ऑरेंज जोन में कैसे बनाई जगह बता रहे हैं सीएमओ वीरेंद्र सिंह यादव

नूंह: कोरोना काल में रमजान का पवित्र महीना इस बार रोजेदार से लेकर दुकानदारों तक के लिए फीका साबित हो रहा है. लॉकडाउन की वजह से बाजार गांव मस्जिद सभी जगह पर रोनक पूरी तरह से गायब और बीते सालों में इस रमजान के महीने में इन सभी जगहों पर अच्छी खासी चहल-पहल होती थी. अब वहां सन्नाटा पसरा है.

दुकानदारों को बड़ी निराशा

जिस रमजान के 1 महीने में पूरे साल भर की कमाई दुकानदार कर लेता था और बड़ी बेसब्री से मुस्लिम बाहुल्य जिलों में इस पवित्र रमजान माह का इंतजार होता था. उसी रमजान के महीने में इस बार ऐसी निराशा हाथ लगी. अब तो दुकानदारों-रोजेदारों को यह चिंता सता रही है कि 17 मई के बाद अगर लॉक डाउन खुल भी जाता है, तो ईद के पर्व में चंद दिन का समय बच जाएगा.

लॉक डाउन ने किया रोजेदारों को निराश, रिपोर्ट

क्या फीकी निकल जाएगी ईद ?

लॉक डाउन की वजह से दुकान खुल नहीं रही है . रोजेदारों को शहरी व इफ्तार में काम आने वाली वस्तुएं नहीं मिल रही है. इसके अलावा ईद का त्यौहार धीरे-धीरे नजदीक आता जा रहा है. शहरी- इफ्तार के अलावा इस बार खैरात भी कम हो रही है. चावल-चीनी इत्यादि जरूरत की चीजें नहीं मिल पा रही है. रोजेदार को तो लॉक डाउन का खामियाजा भुगतना ही पड़ रहा है, लेकिन इससे ज्यादा मार इस बार दुकानदार पर है. चीनी, चावल, कपड़ा, जूता, चप्पल ,रेडीमेड गारमेंटस ,सब्जी, फल, जेवरात की दुकानों पर इस बार मजदूरों का वेतन देने से लेकर दुकानों का किराया तक देने का लाला पड़ता दिख रहा है.

ये मार सिर्फ एक प्रकार के साथ सामान बेचने वाले दुकानदार पर नहीं है बल्कि हर प्रकार का सामान बेचने वाले दुकानदार वह हर मुसलमान पर है. लोग जैसे-तैसे सामान खरीद कर रमजान रखते हुए घरों में इबादत कर रहे हैं, लेकिन मस्जिदों में जो रौनक और जो बाजारों में भीड़भाड़ हर वर्ष रहती थी, वह इस वर्ष कहीं नजर नहीं आ रही है.

खरीददारी ना कर पाने की वजह से निराश मुसलमान

खास बात यह है कि रमजान के महीने में खर्च किए जाने वाले धन की हिसाब-किताब अल्लाह के यहां होता है, एक रुपए खर्च करने के बदले 70 रुपये उसे मिलते हैं. यही वजह है कि गरीब अमीर सभी मुसलमान इस महीने में दिल खोलकर हर प्रकार के सामान की खरीददारी करता है और इसी खरीदारी की वजह से दुकानदारों को अच्छी खासी आमद हो जाती है, लेकिन अब की बार सब घरों में बैठे हाथ मल रहे हैं और माथे पर चिंता की लकीरें हैं.

कुल मिलाकर भले ही नूंह जिले में कोरोनावायरस अधिकतर संख्या में ठीक हो कर घर लौट गए हो, और पिछले 14 दिन में महज एक केस सामने नहीं आया हो ,लेकिन अभी भी इस जिले के आम लोगों व दुकानदारों की मुसीबत कम नहीं हुई है. अब देखना यह है कि संकट के दौर में दुकानदार और आमजन कैसे बाहर आता है और हालात सामान्य होते हैं.
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