नूंह: पंजाब से अलग राज्य बने हरियाणा को 55 साल हो गए है, लेकिन फिर भी आज हरियाणा के पास अपना हाईकोर्ट और अपनी राजधानी नहीं (demand to make Haryana its capital and High Court) है. यह बात कंग्रेस के नेता करण सिंह दलाल ने कही. अब राज्य को अपना हाईकोर्ट और अपनी राजधानी दिलाने की मांग को लेकर नेता द्वारा एक मुहिम शुरू की गई (Karan Singh Dalal started campaign) है. इसी मुहिम के तहत करण सिंह नूह पहुंचे. नूंह बार रूम में आयोजित प्रोग्राम में पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल ने दोनों मांगो का बार के सदस्यों और वकीलों से समर्थन मांगा.
इस मौके पर बार की ओर से दोनों मांगो का पूरा समर्थन देने और अन्य लोगों को भी इस मुहिम से जोड़ने का भरोसा दिया. पूर्व मंत्री करण सिंह ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि बड़े अफसोस की बात है कि हरियाणा को राज्य बने 55 साल हो गए (Karan Singh Dalal demand for High Court) हैं, लेकिन अभी तक हमारे पास न तो अपनी राजधानी है और न ही अपना हाईकोर्ट है. जबकि पंजाब से अलग हुए हिमाचल प्रदेश के पास भी अपनी राजधानी अपना हाईकोर्ट है. इसके अलावा देश में बने कई राज्यों के पास अपने हाईकोर्ट और अपनी राजधानी है.
करण सिंह ने कहा मौजूदा सरकार लोगों की आंखों पर धूल झोंकने के लिए केवल हाईकोर्ट अलग बनाने की बात तो करती है लेकिन इसकी शुरुआत नहीं करती. उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में हरियाणा पंजाब का 40 और 60 की हिस्सेदारी (Karan Singh Dalal demand for haryana capital) है. चंडीगढ़ के पास करीब 27000 एकड़ जमीन है जिसमें से करीब 11000 एकड़ जमीन हरियाणा के हिस्से में आती हैं. सरकार को चाहिए कि 11000 एकड़ जमीन को सर्किल रेट पर बेचकर हरियाणा के बीचों बीच में नई राजधानी बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि हरियाणा की राजधानी बनने के बाद अपना अलग हाईकोर्ट, यूनिवर्सिटी होगी और प्रदेश के लोगों को काफी सुविधाएं मिलेंगी.
नेता ने कहा कि जब हरियाणा और मेवात के लोग चंडीगढ़ जाते है तो अपने आप को ठगा सा महसूस करते हैं. क्योकि दूसरी हरियाणा की भाषा हिंदी और पंजाब की भाषा पंजाबी है. वहां खाने-पीने में काफी फर्क है. अपनी राजधानी होगी तो हर जिले की अपनी पहचान होगी. उन्होंने कहा कि हरियाणा के लोगों का सम्मान बढ़ेगा और वकीलों का पैनल आगे बढ़ने में फायदा होगा. उन्होंने कहा फिलहाल इस मुहिम को अकेले शुरू किया है, लेकिन इस कार्य को वह अकेले नहीं कर सकते इसलिए जल्दी ही सभी दलों और समाज के प्रमुख और वकीलों की एक कमेटी गठित की जाएगी जो राजनीतिक से हटकर बिना खौफ के केवल इस मुहिम को बढ़ाने में कार्य करेंगे.
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