नूंह: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बेटी की शादी के लिए उसकी उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने जा रही है. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद ये बिल लोकसभा में पेश हो चुका है. संसद में कानून बनने के बाद बेटी की शादी को 21 साल से पहले करना गैरकानूनी हो जाएगा. केंद्र सरकार के इस फैसले पर हरियाणा जमीयत उलेमा ए हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind On girls marriage age) भी अब विरोध में उतर चुका है.
मौलाना हकीमुद्दीन उलेमा ने कहा है कि लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 साल किया जाना गलत है. इसके बजाय सरकार को लड़कों की शादी की उम्र 21 से घटाकर 18 साल कर देनी चाहिए. लड़का और लड़की की उम्र दोनों 18 वर्ष कर दी जाए तो बेहतर होगा. उन्होंने कहा कि समाज की बहुत सी बुराइयों का सामना लड़कियों को करना पड़ता है, इसलिए किसी भी धर्म में उनके लिए कोई समय सीमा की आयु तय नहीं की गई है. लिहाजा 18 साल की जो आयु पहले से टिकी हुई है, वह सही है बल्कि लड़कों की उम्र भी लड़की की उम्र के बराबर ही कर देनी चाहिए.
मेवात के उलेमाओं ने इस बात का भी खंडन किया है की शादी की उम्र बढ़ने की चर्चाओं के बाद उलेमाओं के पास निकाह कराने के लिए ज्यादा लोग लाइन में लगे हैं. अगर सरकार इस तरह का कोई कानून लाती है तो इसका असर सिर्फ मेवात पर ही नहीं पड़ेगा बल्कि पूरे मुल्क में पड़ेगा.
वहीं दूसरी ओर मेवात की शिक्षित लड़कियों का मानना है कि अगर सरकार लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से 21 साल करती है तो उसमें लड़कियों को बहुत फायदा है. ना केवल बेहतर ढंग से वह पढ़ लिख कर आगे बढ़ सकती हैं, बल्कि आयु के हिसाब से उनका शारीरिक विकास भी हो जाता है. फिर खून की कमी जैसी दिक्कतें महिलाओं को नहीं आती हैं.
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जब इसके बारे में आमजन से जानना चाहा तो इसको लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है. पढ़े-लिखे समाज के लोग मानते हैं कि यह सरकार का सराहनीय कदम है और महिलाओं की भलाई के लिए यह कानून पारित हो जाना चाहिए. वहीं जब ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं को पुरुषों से शादी की उम्र बढ़ाई जाने के बारे में बातचीत की गई तो उन्होंने दो टूक कहा कि इसके समाज में गलत प्रभाव पड़ेंगे. जो लड़कियां पढ़ रही हैं अगर उनकी शादी की उम्र 21 या अधिक भी हो जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जो ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली लड़कियां हैं और पढ़ाई नहीं कर रही हैं. उनकी शादी 18 वर्ष की आयु में शादी हो जानी चाहिए.
क्या है जया जेटली समिति की सिफारिश
जून 2020 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा गठित जया जेटली समिति की सिफारिशों पर केंद्र सरकार महिलाओं की विवाह की कानूनी उम्र बढ़ा रही (legal minimum age of marriage for women) है. जया जेटली समित को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने महिलाओं के पोषण, एनीमिया की व्यापकता, शिशु मृत्यु दर (आईएमआर), मातृ मत्यु दर और शादी की उम्र के बीच संबंधों का पता लगाने को कहा. समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष जया जेटली की अध्यक्षता वाली समिति में नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल और कई मंत्रालयों के सचिव भी थे.
समिति को शादी की उम्र बढ़ाने और महिलाओं और बाल स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव का पता लगाना था. समिति को एक समय-सीमा की भी सिफारिश करनी थी जिसके जिसमें महिला की शादी करना ठीक रहेगा. 16 विश्वविद्यालयों के युवा वयस्कों से मिले फीडबैक के आधार पर समिति ने महिलाओं की शादी की उम्र को बढ़ाकर 21 साल करने की सिफारिश की. इसी सिफारिश के आधार पर केंद्र सरकार बाल विवाह संशोधन विधेयक 2021 लेकर (child marriage amendment bill 2021) आई है.
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