नूंह: जिले में आजकल कोहरे की चादर और जानलेवा ठंड भले ही इंसान से लेकर मवेशियों-पक्षियों की मुसीबत बढ़ा रही हो, लेकिन गेहूं-सरसों के लिए ये मौसम बेहद अच्छा है. उत्पादन से लेकर क्वालिटी में सुधार इस सीजन की वजह से होने से इंकार नहीं किया जा सकता.
'किसानों को ठंड से घबराने की जरूरत नहीं है'
इसी सीजन को लेकर कृषि विभाग के उपनिदेशक चांदराम सिंगरोहा से बात की. उन्होंने किसानों से अपील की कि ठंड से डरने की जरूरत नहीं है. उप निदेशक चांदराम ने कहा कि नूंह जिले में अधिकतर लोग कृषि पर आधारित हैं. जिलेभर में 77100 हैक्टेयर भूमि में गेहूं की फसल बिजाई है.
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ठंड में बिजाई के करीब 21 दिन बाद गेहूं की फसल को सिंचाई करना बेहद जरूरी है. सिंचाई में देरी हुई तो फसल को नुकसान ठंड से हो सकता है या अन्य समस्याएं उत्पादन बेहतर होने को लेकर किसान के सामने आ सकती हैं, बात अगर सरसों की करें तो सरसों की बिजाई 24 हजार हैक्टेयर भूमि में पीला सोना खड़ा है.
ठंड में सरसों को सिंचाई करके बचाया जा सकता है. कड़ाके की ठंड सिर्फ उन किसानों की चिंता बढ़ा सकती है, जिनके पास सिंचाई के साधन नहीं हैं, लेकिन कई दिन पहले ओलावृष्टि के साथ हुई बरसात से पूरे इलाके के लोगों के लिए अच्छी खबर आई है.
'ठेड से किसानों को नुकसान नहीं फायदा होगा'
उप निदेशक ने कहा कि गेहूं की फसल को किसी भी तरह का कोई नुकसान अभी तक इलाके में देखने को नहीं मिल रहा है. पारा भले ही 8-9 डिग्री से रात के समय और भी नीचे लुढ़क रहा हो, लेकिन किसान की फसल को इस सीजन का नुकसान कम बल्कि मुनाफा अधिक है.