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लॉकडाउन ने तोड़ी किसानों की कमर, औने-पौने दामों में बेचने पड़ रहे टमाटर

एनसीआर की मंडियों तक टमाटर कम ही पहुंच पा रहे हैं, क्योंकि पुलिस जगह-जगह बैरिकेडिंग कर किसानों से पूछताछ कर रही है. इसके अलावा मंडियों में भी भीड़भाड़ नहीं होने दी जाती, इसलिए जल्दबाजी में कम दामों पर ही किसानों को टमाटर बेचने पड़ रहे हैं.

effect of lockdown on tomato farmers of nuh
लॉकडाउन ने तोड़ी किसानों की कम
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Published : Apr 13, 2020, 8:01 PM IST

नूंह: लॉकडाउन की वजह से वैसे तो हर आम और खास लोगों को घरों में कैद होकर रहना पड़ रहा है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान टमाटर की फसल उगाने वाले किसानों को हो रहा है. इन दिनों टमाटर की फसल पककर पूरी तरह तैयार है, लेकिन मजदूर नहीं मिलने और उचित दाम नहीं मिलने के कारण फसल या तो खेतों में ही खराब हो रही है या फिर उसे औने पौने दामों में बेचा जा रहा है.

एनसीआर की मंडियों तक टमाटर कम ही पहुंच पा रहे हैं, क्योंकि पुलिस जगह-जगह बैरिकेडिंग कर किसानों से पूछताछ कर रही है. इसके अलावा मंडियों में भी भीड़भाड़ नहीं होने दी जाती, इसलिए जल्दबाजी में कम दामों पर ही किसानों को टमाटर बेचने पड़ रहे हैं.

लॉकडाउन ने तोड़ी किसानों की कमर, औने-पौने दामों में बेचने पड़ रहे टमाटर

नूंह के किसानों ने बताया कि टमाटर की फसल को तोड़ने वाले मजदूर अब अपने राज्यों के लिए पलायन कर चुके हैं. ना तो जिले की मंडियों में टमाटर की डिमांड है और ना ही एनसीआर की मंडियों तक फसल पहुंच पा रही है. अगर जैसे-तैसे कुछ किसान टमाटर मंडी तक लेकर भी जाते हैं तो वहां या तो खरीदार नहीं होते या फिर उन्हें भीड़ ज्यादा होने की वजह से टमाटर कम दामों पर ही बेचने पड़ रहे हैं.

ये भी पढ़िए: जानिए हरियाणा सरकार के पास कोरोना से लड़ने के सामान का कितना स्टॉक है ?

किसानों ने बताया कि इस बार टमाटर का उत्पादन काफी अच्छा हुआ है. हर साल वो 1 लाख से 2 लाख तक काम लेते थे, लेकिन इस बार 50 हजार का मुनाफा भी नहीं हो पा रहा है. नूंह के कई गांव में टमाटर की अच्छी खेती होती है, लेकिन इस बाक ये किसान मुनाफा तो छोड़िए अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. ऐसे में किसान सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं.

नूंह: लॉकडाउन की वजह से वैसे तो हर आम और खास लोगों को घरों में कैद होकर रहना पड़ रहा है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान टमाटर की फसल उगाने वाले किसानों को हो रहा है. इन दिनों टमाटर की फसल पककर पूरी तरह तैयार है, लेकिन मजदूर नहीं मिलने और उचित दाम नहीं मिलने के कारण फसल या तो खेतों में ही खराब हो रही है या फिर उसे औने पौने दामों में बेचा जा रहा है.

एनसीआर की मंडियों तक टमाटर कम ही पहुंच पा रहे हैं, क्योंकि पुलिस जगह-जगह बैरिकेडिंग कर किसानों से पूछताछ कर रही है. इसके अलावा मंडियों में भी भीड़भाड़ नहीं होने दी जाती, इसलिए जल्दबाजी में कम दामों पर ही किसानों को टमाटर बेचने पड़ रहे हैं.

लॉकडाउन ने तोड़ी किसानों की कमर, औने-पौने दामों में बेचने पड़ रहे टमाटर

नूंह के किसानों ने बताया कि टमाटर की फसल को तोड़ने वाले मजदूर अब अपने राज्यों के लिए पलायन कर चुके हैं. ना तो जिले की मंडियों में टमाटर की डिमांड है और ना ही एनसीआर की मंडियों तक फसल पहुंच पा रही है. अगर जैसे-तैसे कुछ किसान टमाटर मंडी तक लेकर भी जाते हैं तो वहां या तो खरीदार नहीं होते या फिर उन्हें भीड़ ज्यादा होने की वजह से टमाटर कम दामों पर ही बेचने पड़ रहे हैं.

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किसानों ने बताया कि इस बार टमाटर का उत्पादन काफी अच्छा हुआ है. हर साल वो 1 लाख से 2 लाख तक काम लेते थे, लेकिन इस बार 50 हजार का मुनाफा भी नहीं हो पा रहा है. नूंह के कई गांव में टमाटर की अच्छी खेती होती है, लेकिन इस बाक ये किसान मुनाफा तो छोड़िए अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. ऐसे में किसान सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं.

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