नूंह: पढ़े-लिखे युवा मधुमक्खी पालन से स्वरोजगार अपना कर अपने परिवार का गुजारा बेहतर ढंग से कर सकते हैं. हरियाणा में मधुमक्खी पालन करने वाले युवाओं की संख्या भले ही कम हो लेकिन यूपी में मधुमक्खी पालन करने वाले पढ़े-लिखे युवाओं की संख्या बहुत अधिक है. सरसों का सीजन जैसे ही आता है तो मधुमक्खी पालन यूपी से नूंह जिले की तरफ रुख कर लेते हैं. दरअसल नूंह जिला राज्य में सरसों उत्पादन में दूसरे नंबर पर आता है. सरसों के फूलों से मधुमक्खी बड़ी आसानी से बहुत जल्द शहद तैयार कर लेती हैं. जिसे बेचकर युवा अच्छा लाभ कमा लेते हैं. लेकिन सरसों की खेती या अन्य खेती में लगातार बढ़ रहा दवाइयों का छिड़काव मधुमक्खी पालन पर भी कहीं ना कहीं असर डाल रहा है. दवाइयों से मधुमक्खियां न केवल मर जाती हैं बल्कि शहद की मात्रा भी कम हो जाती है. दशकों को पहले जिस एक डब्बे से मधुमक्खी पालक 7 किलो से शहद जुटा लेते थे अब वह घटकर आधा यानि महज 3 किलोग्राम रह गया है.
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यूपी के मधुमक्खी पालन करने वालों ने बताया कि ना तो सरकार इस मामले पर उनको कोई सब्सिडी देती है और पिछले कुछ समय से भाव भी अच्छे नहीं मिल रहे हैं. जिसकी वजह से मधुमक्खी पालक का व्यवसाय घाटे का सौदा दिखाई देने लगा है. लेकिन इस साल कुछ भाव में बढ़ोतरी की गई है. जिससे उनका रोजगार चल रहा है.
कुल मिलाकर यूपी के पढ़े-लिखे नौजवानों की तर्ज पर हरियाणा के पढ़े-लिखे किसान भी मधुमक्खी पालक करके अच्छा व्यवसाय चला सकते हैं. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक एक साल से कम उम्र के बच्चों को शहद नहीं देना चाहिए. शहद कई बीमारियों में कार्य करता है साथ ही इंसान की इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है.
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