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आंखों में बिना रौशनी के संयोगिता लोगों के जीवन में ला रही उजाला, ऐसे बना रही बच्चों का भविष्य

नारनौल की रहने वाली संयोगिता आखों से नहीं देख पाती हैं. लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और वो कर दिखाया जिससे लोगों को उन पर गर्व है.

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Published : Mar 7, 2019, 9:22 PM IST

संयोगिता ने कमजोरी को बनाई ताकत

महेंद्रगढ़: नारनौल की रहने वाली संयोगिता की आंखों में रौशनी की जगमगाहट भले ही न हो. लेकिन लोगों की जिंदगी में रौशनी भरने का इन्हें हुनर बखूबी आता है. अपनी मेहनत और लगन के दम पर ये दूसरों की जिंदगी को रौशन कर रही हैं.

अपनी कमजोरी को बनाया ताकत
संयोगिता ने कभी अपनी कमजोरी को खुद पर हावी नहीं होने दिया. बल्कि इसे अपनी ताकत बनाया और आज बतौर शिक्षिका सरकारी स्कूल में तैनात हैं. संयोगिता की अपनी पढ़ाई नेत्रहीन कन्या विद्यालय से की. उसके बात बीए किया.

sanyogita
संयोगिता ने कमजोरी को बनाई ताकत

बच्चों की जिंदगी में भर रही उजियारा
संयोगिता का कहना है कि शिक्षा के क्षेत्र को अपना प्रोफेशन इसलिए चुना क्योंकि मैं खुद ठीक से नही देख पाती हूं और अपनी बात सबके सामने और बच्चों को सक्षम करने का इससे बेहतर कोई और जरिया नहीं है.

महिलाओं नें होना चाहिए आत्मविश्वास
वहीं महिला सुरक्षा को लेकर उन्होंने कहा कि अगर महिलाओं का आत्मविश्वास अडिग है तो महिलाएं सुरक्षित रहेंगी. साथ ही अगर हमें अंदर से यकीन है, तो कोई भी ताकत नहीं जो हमारा बाल भी बांका कर सके.

महेंद्रगढ़: नारनौल की रहने वाली संयोगिता की आंखों में रौशनी की जगमगाहट भले ही न हो. लेकिन लोगों की जिंदगी में रौशनी भरने का इन्हें हुनर बखूबी आता है. अपनी मेहनत और लगन के दम पर ये दूसरों की जिंदगी को रौशन कर रही हैं.

अपनी कमजोरी को बनाया ताकत
संयोगिता ने कभी अपनी कमजोरी को खुद पर हावी नहीं होने दिया. बल्कि इसे अपनी ताकत बनाया और आज बतौर शिक्षिका सरकारी स्कूल में तैनात हैं. संयोगिता की अपनी पढ़ाई नेत्रहीन कन्या विद्यालय से की. उसके बात बीए किया.

sanyogita
संयोगिता ने कमजोरी को बनाई ताकत

बच्चों की जिंदगी में भर रही उजियारा
संयोगिता का कहना है कि शिक्षा के क्षेत्र को अपना प्रोफेशन इसलिए चुना क्योंकि मैं खुद ठीक से नही देख पाती हूं और अपनी बात सबके सामने और बच्चों को सक्षम करने का इससे बेहतर कोई और जरिया नहीं है.

महिलाओं नें होना चाहिए आत्मविश्वास
वहीं महिला सुरक्षा को लेकर उन्होंने कहा कि अगर महिलाओं का आत्मविश्वास अडिग है तो महिलाएं सुरक्षित रहेंगी. साथ ही अगर हमें अंदर से यकीन है, तो कोई भी ताकत नहीं जो हमारा बाल भी बांका कर सके.

Intro:महिला दिवस विशेष

खुद ठीक से देख भी नही पाती लेकिन बच्चों के जीवन में भर रही उजियारा

खुद अंध विद्यालय में पढ़ी और अब सरकारी स्कूल में बच्चो को कर रही है शिक्षित


नारनौल। 8 मार्च को जहां पूरा देश महिला दिवस के रूप में मनाएगा, वहीं जिला महेंद्रगढ़ में एक ऐसी महिला हैं जो खुद ठीक से देख भी नहीं पाती है, बस उनकी आंखों के आगे केवल हल्का से एक बिंब ही उभरता है। लेकिन अपनी इस कमजोरी को उन्होंने अपने पर कभी भी हावी नही होने दिया, बल्कि अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाया और अपने आत्मविश्वास के बल पर संयोगिता आज बतौर सरकारी स्कूल में अध्यापिका के पद पर अपनी सेवा दे रही है। यही नही उनकी कक्षा का परिणाम भी क्षत प्रतिशत रहता है। महिला दिवस के मौके पर ईटीवी संवाददाता अरविंद तक्षक से हुई उनकी खास बातचीत।




Body:सवाल 1- आपकी प्रारंभिक शिक्षा कैसे हुई और आपने शिक्षा के क्षेत्र को ही अपना प्रोफेशन क्यों चुना?

जवाब- मेरी प्रारंभिम शिक्षा नेत्रहीन कन्या विद्यालय नारनौल से हुई है। उसके बाद 12 वी तक की पड़ाई गल्र्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल नारनौल में पूरी की और वहीं मैं टॉपर रही हूं। इसके बाद स्नातक की पढ़ाई गल्र्स कॉलेज से की और यहां भी टॉपर रही। शिक्षा के क्षेत्र को अपना प्रोफेशन इसलिए चुना क्यों कि मैं खुद ठीक से नही देख पाती हूं और अपनी बात सबके सामने और बच्चों को सक्षम करने का इससे बेहतर कोई और जरिया नही है, इसलिए उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र को चुना।




Conclusion:सवाल 2- आपकी क्लास में बच्चों का रिजल्ट कैसा रहता है्?

जवाब- मेरी क्लास के बच्चों का रिजल्ट सेंट प्रसेंट रहता है और बच्चे उनकी पढ़ाई करने के तरीके से खुश रहते हैं।


सवाल 3- 8 मार्च को पूरा देश महिला दिवस के रूप में मनाता है और आपकी नजर में वर्तमान में महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं?

जवाब- आत्मविश्वास अगर महिलाओं का अडिग है तो महिलाएं सुरक्षित रहेंगी। साथ ही अगर हमें अंदर से यकीन है, तो कोई भी ऐसी शक्ति नही जो हमारा बाल भी बांका कर सके।  

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