महेंद्रगढ़: बेटियां को बोझ समझ कोख में गाला घोटने वालों के मुंह पर करार तमाचा मारती ये तस्वीरें महेंद्रगढ़ जिले के बवानिया गांव की है. एक सामान्य परिवार में पली-बढ़ी बेटी चंचल ने अपने देश के सबसे बड़े संस्थान रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ)में वैज्ञानिक बन गांव ही नहीं पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है.
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महेंद्रगढ़ के गांव बवानिया में एक सामान्य परिवार में पली-बढ़ी बेटी चंचल के अपने देश के सबसे बड़े संस्थान रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन में वैज्ञानिक बनने पर गांव के ग्रामीणों ने बेटी चंचल का सम्मान समारोह आयोजित कर उन्हें सम्मानित किया.
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चंचल ने सर छोटू राम यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडल प्राप्त कर बी.टेक. किया. इसके बाद गेट की परीक्षा पास कर देश के सर्वोत्तम संस्थान आईआईटी कानपुर से गोल्ड मेडल के साथ एम.टेक किया.
इसके बाद उन्होंने अपनी लगन व मेहनत के बलबूते पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की परीक्षा पास कर वैज्ञानिक के पद को हासिल किया. उनकी इस उपलब्धि पर आज पूरे गांव को गर्व महसूस हो रहा है. ग्रामीणों ने अपने गांव की बेटी के उज्ज्वल भविष्य की कामना की है.
बेटी चंचल के माता-पिता ने बताया कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है कि उसने ये मुकाम हासिल कर आज उनका व उनके गांव का नाम रोशन किया है. उन्होंने कभी बेटा व बेटी में कोई भेदभाव नहीं किया और अपनी बेटी को बेटों से भी बढ़कर पाला है.
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चंचल पर पूरे गांव को गर्व है. तो माता पिता की खुशी का ठीकाना नहीं. आज फिर साबित हो गया कि बेटियां भी किसी तरफ से पीछे नहीं है. अगर चंचल जैसा मां-बाप हर किसी के हों. तो बेटी जरूर एक दिन नाम रोशन करेगी.