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रानी रामपाल को मिला पद्म श्री अवॉर्ड, वो हॉकी स्टिक से सिर्फ खेली ही नहीं लड़ी भी!

रानी रामपाल को भारत सरकार ने पद्म श्री अवार्ड से सम्मानित करने का फैसला लिया है. रानी रामपाल भारतीय महिला हॉकी टीम की कैप्टन हैं. उन्होंने बेहद मुश्किल वक्त से निकल कर पूरी दुनिया में हॉकी स्टिक के बलबूते ख्याति हासिल की है, विस्तार से पढ़े रानी रामपाल के बारे में.

rani rampal will awarded by padam shree
रानी रामपाल, महिला हॉकी कैप्टन, भारत
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Published : Jan 25, 2020, 11:40 PM IST

कुरुक्षेत्र: हरियाणा की हॉकी खिलाड़ी रानी रामपाल को 2020 का पद्म श्री अवार्ड मिलेगा. रानी रामपल हरियाणा की इकलौती खिलाड़ी है जिनका नाम पद्म पुरस्कार में शामिल किया गया है. पद्म विभूषण पाने वालों में अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, जॉर्ज फर्नांडीस और एमसी मैरीकॉम का नाम शामिल है.

हॉकी स्टिक से सिर्फ खेली ही नहीं लड़ी भी
4 दिसंबर 1994 को कुरुक्षेत्र के शाहाबाद मारकंडा में रामपाल और राममूर्ति के घर जन्मी बिटिया का नाम रानी रखा गया. रानी रामपाल के पिता रामपाल सिंह रेहड़ा चलाते थे. रानी अपने पिता को अपना आदर्श मानती है. रानी रामपाल अपने पिता के नाम को अपने नाम साथ जोड़ती है.

rani rampal will awarded by padam shree
माता पिता के साथ रानी रामपाल

परिवार की वित्तीय स्थिति काफी कमजोर थी. गांव की शाहबाद हॉकी अकादमी की लड़कियां भारतीय टीम का हिस्सा थीं, जिस वजह से उसमें भी हॉकी खेलने का शौक जगा और उसने स्टिक उठा ली. रानी सिर्फ 13 साल की उम्र में ही भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल हो गई थी. कोच बलदेव सिंह ने उसमें हॉकी खिलाड़ी के गुण देखे और उसे तराशा.

rani rampal will awarded by padam shree
अपने घर पर रानी रामपाल

पिछले 11 साल से वह टीम इंडिया का हिस्सा हैं. चौथी क्लास में थी तो उसने ग्राउंड में लड़कियों को हॉकी खेलते देखा और खुद भी हॉकी खेलना शुरू किया. धीरे-धीरे रानी ने हॉकी में नाम कमाया. भारतीय हॉकी टीम की कैप्टन बनी. जैसे-जैसे वह हॉकी में आगे बढ़ी उनके परिवार की स्थिति भी सुधरी. रानी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छोटे से कस्बे शाहबाद, हरियाणा और भारत का नाम रोशन किया है.

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ग्राउंड में रानी रामपाल

डाइट में दूध में पानी मिला कर पीती थी रानी
रानी रामपाल की जिंदगी बेहद मुश्किलों भरा रहा. रानी जब अकादमी में प्रैक्टिस के लिए जाती थी तो डाइट में घर से दूध लेकर जाना जरूरी होता था, लेकिन रोजाना दूध लेकर जाना उसके लिए काफी मुश्किल था. इसलिए वो दूध में एक चौथाई पानी मिलाकर ले जाती थी, ताकि उसे अकादमी में प्रैक्टिस से बाहर न कर दिया जाए. ऐसी मुश्किलों को झेलते हुए उसने मौजूदा मुकाम हासिल किया है.

पढ़ें- चंडीगढ़ के जगदीश लाल आहूजा उर्फ लंगर बाबा को मिला पद्मश्री, गरीबों की सेवा में लगा दी करोड़ों की दौलत

विश्व कप खेलने वाली सबसे कम उम्र की हॉकी खिलाड़ी बनीं
रानी रामपाल 2010 में विश्व कप खेलने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई थीं. उनके लिए अपने सपने को पूरा करने की राह कांटों भरा रहा. रानी का टीम की अनुभवी खिलाड़ियों और कोच ने काफी समर्थन दिया.

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गोल मारती हुईं रानी रामपाल

ओलंपिक खेलों पर है पूरा ध्यान
अब रानी रामपाल का ध्यान जुलाई 2020 में जापान के टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों में पदक जीतने पर केंद्रित है. अभी वो न्यूजलैंड में है. शुक्रवार को ही मैच के दौरान भारतीय टीम की कप्तान रानी रामपाल के दो गोल की मदद से भारतीय महिला हॉकी टीम ने न्यू जीलैंड डेवलपमेंट टीम पर 4-0 की जीत के साथ ओलिंपिक वर्ष का पहला दौरा शुरू किया.

कुरुक्षेत्र: हरियाणा की हॉकी खिलाड़ी रानी रामपाल को 2020 का पद्म श्री अवार्ड मिलेगा. रानी रामपल हरियाणा की इकलौती खिलाड़ी है जिनका नाम पद्म पुरस्कार में शामिल किया गया है. पद्म विभूषण पाने वालों में अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, जॉर्ज फर्नांडीस और एमसी मैरीकॉम का नाम शामिल है.

हॉकी स्टिक से सिर्फ खेली ही नहीं लड़ी भी
4 दिसंबर 1994 को कुरुक्षेत्र के शाहाबाद मारकंडा में रामपाल और राममूर्ति के घर जन्मी बिटिया का नाम रानी रखा गया. रानी रामपाल के पिता रामपाल सिंह रेहड़ा चलाते थे. रानी अपने पिता को अपना आदर्श मानती है. रानी रामपाल अपने पिता के नाम को अपने नाम साथ जोड़ती है.

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माता पिता के साथ रानी रामपाल

परिवार की वित्तीय स्थिति काफी कमजोर थी. गांव की शाहबाद हॉकी अकादमी की लड़कियां भारतीय टीम का हिस्सा थीं, जिस वजह से उसमें भी हॉकी खेलने का शौक जगा और उसने स्टिक उठा ली. रानी सिर्फ 13 साल की उम्र में ही भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल हो गई थी. कोच बलदेव सिंह ने उसमें हॉकी खिलाड़ी के गुण देखे और उसे तराशा.

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अपने घर पर रानी रामपाल

पिछले 11 साल से वह टीम इंडिया का हिस्सा हैं. चौथी क्लास में थी तो उसने ग्राउंड में लड़कियों को हॉकी खेलते देखा और खुद भी हॉकी खेलना शुरू किया. धीरे-धीरे रानी ने हॉकी में नाम कमाया. भारतीय हॉकी टीम की कैप्टन बनी. जैसे-जैसे वह हॉकी में आगे बढ़ी उनके परिवार की स्थिति भी सुधरी. रानी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छोटे से कस्बे शाहबाद, हरियाणा और भारत का नाम रोशन किया है.

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ग्राउंड में रानी रामपाल

डाइट में दूध में पानी मिला कर पीती थी रानी
रानी रामपाल की जिंदगी बेहद मुश्किलों भरा रहा. रानी जब अकादमी में प्रैक्टिस के लिए जाती थी तो डाइट में घर से दूध लेकर जाना जरूरी होता था, लेकिन रोजाना दूध लेकर जाना उसके लिए काफी मुश्किल था. इसलिए वो दूध में एक चौथाई पानी मिलाकर ले जाती थी, ताकि उसे अकादमी में प्रैक्टिस से बाहर न कर दिया जाए. ऐसी मुश्किलों को झेलते हुए उसने मौजूदा मुकाम हासिल किया है.

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विश्व कप खेलने वाली सबसे कम उम्र की हॉकी खिलाड़ी बनीं
रानी रामपाल 2010 में विश्व कप खेलने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई थीं. उनके लिए अपने सपने को पूरा करने की राह कांटों भरा रहा. रानी का टीम की अनुभवी खिलाड़ियों और कोच ने काफी समर्थन दिया.

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गोल मारती हुईं रानी रामपाल

ओलंपिक खेलों पर है पूरा ध्यान
अब रानी रामपाल का ध्यान जुलाई 2020 में जापान के टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों में पदक जीतने पर केंद्रित है. अभी वो न्यूजलैंड में है. शुक्रवार को ही मैच के दौरान भारतीय टीम की कप्तान रानी रामपाल के दो गोल की मदद से भारतीय महिला हॉकी टीम ने न्यू जीलैंड डेवलपमेंट टीम पर 4-0 की जीत के साथ ओलिंपिक वर्ष का पहला दौरा शुरू किया.

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