कुरुक्षेत्र : हरियाणा में सबसे ज्यादा आलू उत्पादन करने वाला जिला कुरुक्षेत्र है. यहां किसान आलू की खेती से करते हैं मोटी कमाई. पूरे हरियाणा में कुरुक्षेत्र में एकमात्र पिपली मंडी है जहां पर दूसरे राज्यों से भी किसान आलू बेचने के लिए आते हैं.
आलू की कौन सी किस्मों का करें इस्तेमाल : आलू की कई उन्नत किस्में हैं जिसमें कुफरी ख्याति, कुफरी पुखराज, कुफरी सतलज, कुफरी लालिमा, कुफरी जवाहर और कुफरी सिंदूरी आती हैं. ये सभी किस्में 100 से 110 दिन लेती है और इन किस्मों को लगाने से किसान एक एकड़ से करीब 100 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं. वहीं कई किसान ऐसे भी होते हैं जो अपने खेत से कच्चे आलू उखाड़ लेते हैं, जिससे उनकी पैदावार 100 क्विंटल से कम हो जाती है
कहां से खरीदे बीज : आलू के बीज खरीदने के लिए हरियाणा का सबसे बड़ा संस्थान करनाल के शामगढ़ गांव में पोटैटो टेक्नोलॉजी सेंटर है जहां से आलू की उन्नत किस्मों के बीजों को आसानी से खरीदा जा सकता है. अगर कोई किसान वहां से बीज न लेना चाहे तो वो दूसरे आलू लगाने वाले किसानों से भी आलू के बीज खरीद सकता है या फिर जिला कृषि बागवानी विभाग में जाकर भी उनसे बीज ले सकता है
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कब करें आलू की बिजाई : किसी भी फसल के बेहतर उत्पादन के लिए उसकी बिजाई का रोल काफी अहम होता है.आलू की बात करें तो अक्टूबर महीने से ही आलू की बिजाई शुरू हो जाती है. अगर बिजाई ठीक से नहीं होगी तो उत्पादन पर ख़ासा असर पड़ता है. आलू की बिजाई के दौरान अगर जमाव अच्छा नहीं होगा तो पैदावार में भारी गिरावट आएगी. आलू की अच्छी पैदावार लेने के लिए उन्नत किस्म के बीज का चुनाव करें जिससे पैदावार में बढ़ोतरी हो और खेती में मुनाफा हो.
कैसे करें आलू की बिजाई : आज के वक्त में 90 % आलू की बिजाई पोटैटो प्लांटर मशीन से की जाती है. इस मशीन के साथ बिजाई करने से किसान के वक्त और पैसे दोनों की बचत होती है. बिजाई करते वक्त बीज से बीज की दूरी आलू के आकार के मुताबिक मशीन में निधारित की जाती है और लाइन से लाइन की दूरी करीब 55 से 60 सेंटीमीटर होनी चाहिए. इसके बाद सिंचाई खेत में नमी के मुताबिक ही करें. अगर सिंचाई के बाद खेत में खरपतवार नज़र आए तो 600 ग्राम पेंडीमेथलीन को 200 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के 20 दिन बाद स्प्रे करें. इससे किसानों को आसानी से खरपतवार से निजात मिल जाएगी.
खाद का कैसे करें इस्तेमाल : आलू की खेती करने में खाद की मात्रा काफी अहम होती है क्योंकि अगर खाद की मात्रा सही तरीके से ना डाली जाए तो पैदावार पर काफी असर पड़ता है. किसानों को सबसे पहले बिजाई के दौरान ही देसी खाद और वर्मी कम्पोस्ट डाल देना चाहिए. इसके बाद एक एकड़ के लिए 50 से 60 किलो नाइट्रोजन, 20 से 30 किलो फास्फोरस और 40 से 50 किलो पोटास बिजाई के दौरान ही डाल देना चाहिए.
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बढ़ेगा आलू का रकबा : कुरुक्षेत्र की बात करें तो पिछली बार 10 हज़ार हेक्टेयर में आलू की बिजाई की गई थी, वहीं इस बार 15 हज़ार हेक्टेयर में आलू की खेती का अनुमान है.
भावांतर योजना करेगी भरपाई : हरियाणा सरकार ने सब्जी और फलों की खेती करने वाले किसानों की हालत सुधारने के लिए भावांतर भरपाई योजना चलाई हुई है. इसमें आलू की फसल को भी शामिल किया गया है. अगर किसी आलू किसान को मंडी में फसल की सही कीमत नहीं मिलती है तो सरकार के निर्धारित मूल्य के मुताबिक उसकी भरपाई हरियाणा सरकार करती है.