कुरुक्षेत्र: जिले के पिहोवा कस्बे में स्थित भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है. इस मंदिर में पिंडदान का विशेष महत्व है. मान्यता है कि यहां पर बाबा श्रवणनाथ ने तप करके सिद्धि प्राप्त की थी और भगवान पशुपतिनाथ महादेव मंदिर का निर्माण करवाया था. इस मंदिर में स्थित शिवलिंग कसौटी पत्थर की एक शिला से निर्मीत है. 1763 ई में तत्कालीन महाराजा रणजीत सिंह द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था. नेपाल के बाद यह विश्व में दूसरा श्री पशुपतिनाथ महादेव जी का मंदिर है.
मंदिर के प्रांगण में रखी गई है भीम की कढ़ाई
इस मंदिर के प्रांगण में एक कड़ाई रखी गई है. जिसके बारे में कहा जाता है कि यह महाभारत के पात्र भीम की कड़ाई है. मान्यता है कि इस कढ़ाई में भीम के लिए भोजन बनाया जाता था और युद्ध के दौरान विश्राम करने के बाद भीम इसी जगह भोजन किया करते थे.
बाबा श्रवण नाथ ने कराया था इस मंदिर का निर्माण
प्राचीन काल में एक बाबा श्रवण नाथ ने तप करके सिद्धि प्राप्त की थी. जब बाबा श्रवण नाथ ने तप करने के लिए इस स्थान पर एक गुफा खुदवा रहे थे. तभी उन्हें इस गुफा के स्थान से हनुमान जी का अष्ट धातुओं से निर्मित एक मूर्ति प्राप्त हुई. बाबा श्रवण नाथ इस मूर्ति को हरिद्वार में स्थापित करना चाहते थे. लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद यह मूर्ति को उठाया नहीं जा सका. जिसके बाद इस मूर्ति को यहीं स्थापित कर दिया गया.
इसे भी पढ़ें: उठ गया महाभारत के इस रहस्य से पर्दा! जानें आखिर क्यों ईश्वर ने युद्ध के लिए चुना कुरुक्षेत्र की धरा
इस मंदिर के बारे में पुजारी विक्रांत ने बताया कि यह मंदिर नेपाल के पशुपति मंदिर के समान ही है. जो लोग नेपाल जाकर पशुपतिनाथ के दर्शन नहीं कर सकते वो श्रद्धालु यहां आकर पशुपतिनाथ के दर्शन करते हैं. पुजारी ने बताया कि पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है देशभर में 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद पशुपतिनाथ महादेव के दर्शन करना अनिवार्य है. जो विश्व भर में दो ही जगह पर हैं जिसमें एक नेपाल के काठमांडू में और दूसरा भारत के कुरुक्षेत्र जिले में है.
दानवीर कर्ण की नगरी करनाल, रोज सवा मन सोना दान करता था यहां का राजा