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लॉकडाउन के बाद लाशों का अड्डा बनीं भाखड़ा-SYL नहर, जानें वजह - कुरुक्षेत्र ताजा समाचार

फिलहाल तो नहर में लाश मिलने का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है. नहर में मिलने वाली लाशों का संबंध या तो हत्या या फिर आत्महत्या से होता है. कई लाश तो पानी में इतनी सड़ चुकी होती हैं कि उनको बाहर निकलना भी मुश्किल होता है.

number of dead bodies increased due to lockdown
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Published : Oct 21, 2020, 9:51 PM IST

कुरुक्षेत्र: जिले की भाखड़ा-एसवाईएल नहर इन दिनों लाशों का अड्डा बनी हुई हैं. इन नहरों में लाश मिलने की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. डेड बॉडी की बढ़ती संख्या का जिम्मेदार लॉकडाउन को माना जा रहा है.

क्योंकि लॉकडाउन में बड़े पैमाने पर लोगों का रोजगार चला गया. जिसके बाद आर्थिक तंगी की वजह से ज्यादातर लोग अब इन नहरों में डूबकर आत्महत्या का रास्ता अपना रहे हैं.

लॉकडाउन के बाद लाशों का अड्डा बनीं भाखड़ा-SYL नहर

लगातार बढ़ रहे लाश मिलने के मामले

लॉकडाउन से पहले इन नहरों में महीने में 4 से 5 लाशें मिलती थी. अब लॉकडाउन के बाद 10 से 12 लाश प्रति महीने ये गोताखोर निकालते हैं. हालांकि इसका कोई सरकारी रिकॉर्ड नहीं है. क्योंकि शव की पहचान करने के बाद वो उनके परिजनों को सौंप दिया जाता है और फिर मामला उसी थाने में दर्ज होता है. जहां परिजन रहते हैं. शायद यही वजह है कि पुलिस के रिकॉर्ड में अभी मामले नहीं बढ़े हैं.

वहीं गोताखोर प्रगट सिंह की माने तो नहर में बढ़ती लाशों की संख्या चिंता का विषय है. जिस भी शव को प्रगट सिंह निकालते हैं उसकी जानकारी वो फेसबुक पेज के जरिए लोगों तक पहुंचाते हैं ताकि लाश की पहचान जल्द की जा सके. अक्तूबर में अभी तक 13 डेड बॉडी वो नहर से निकाल चुके हैं.

ये भी पढ़ें- पानी की किल्लत से जूझ रहे नूंह के 32 स्कूल, थैलियां खरीदकर प्यास बुझाते हैं बच्चे

फिलहाल तो नहर में लाश मिलने का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है. नहर में मिलने वाली लाशों का संबंध या तो हत्या या फिर आत्महत्या से होता है. कई लाश तो पानी में इतनी सड़ चुकी होती हैं कि उनको बाहर निकलना भी मुश्किल होता है. ज्यादातर मामलों में पुलिस की कार्रवाई जारी है.

कुरुक्षेत्र: जिले की भाखड़ा-एसवाईएल नहर इन दिनों लाशों का अड्डा बनी हुई हैं. इन नहरों में लाश मिलने की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. डेड बॉडी की बढ़ती संख्या का जिम्मेदार लॉकडाउन को माना जा रहा है.

क्योंकि लॉकडाउन में बड़े पैमाने पर लोगों का रोजगार चला गया. जिसके बाद आर्थिक तंगी की वजह से ज्यादातर लोग अब इन नहरों में डूबकर आत्महत्या का रास्ता अपना रहे हैं.

लॉकडाउन के बाद लाशों का अड्डा बनीं भाखड़ा-SYL नहर

लगातार बढ़ रहे लाश मिलने के मामले

लॉकडाउन से पहले इन नहरों में महीने में 4 से 5 लाशें मिलती थी. अब लॉकडाउन के बाद 10 से 12 लाश प्रति महीने ये गोताखोर निकालते हैं. हालांकि इसका कोई सरकारी रिकॉर्ड नहीं है. क्योंकि शव की पहचान करने के बाद वो उनके परिजनों को सौंप दिया जाता है और फिर मामला उसी थाने में दर्ज होता है. जहां परिजन रहते हैं. शायद यही वजह है कि पुलिस के रिकॉर्ड में अभी मामले नहीं बढ़े हैं.

वहीं गोताखोर प्रगट सिंह की माने तो नहर में बढ़ती लाशों की संख्या चिंता का विषय है. जिस भी शव को प्रगट सिंह निकालते हैं उसकी जानकारी वो फेसबुक पेज के जरिए लोगों तक पहुंचाते हैं ताकि लाश की पहचान जल्द की जा सके. अक्तूबर में अभी तक 13 डेड बॉडी वो नहर से निकाल चुके हैं.

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फिलहाल तो नहर में लाश मिलने का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है. नहर में मिलने वाली लाशों का संबंध या तो हत्या या फिर आत्महत्या से होता है. कई लाश तो पानी में इतनी सड़ चुकी होती हैं कि उनको बाहर निकलना भी मुश्किल होता है. ज्यादातर मामलों में पुलिस की कार्रवाई जारी है.

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