कुरुक्षेत्र: मंजू शर्मा नाम के एक महिला कुरुक्षेत्र के पंचायत विभाग में अकाउंटेंट का काम करती थी. महिला को 2015 में बिना कारण बताए सस्पेंड कर दिया था. महिला को करीब 4 साल बाद फिर से बहाली मिली और विभाग ने इस बार भी इसके साथ कुछ ऐसा ही किया. मंजू पर गबन के आरोप लगाए और उसे सस्पेंड कर दिया.
मामला पीर बाबा के चढ़ावे से शुरू हुआ और इच्छा मृत्यु तक पहुंच गया. पीर बाबा पर हर सप्ताह करीब 4 लाख रुपये का चढ़ावा भी आता था. महिला का कहना है कि अधिकारियों को हर सप्ताह 10-10 हजार रुपये जाते थे. इसी मामले में एक अधिकारी और कर्मचारी की शिकायत करना उसको मंहगा पड़ गया और अब वो खुद मरने को मजबूर हो रही है. महिला उसके परिवार के लोगों को भी परेशान करने का आरोप लगाए हैं.
ये है मामला
मंजू शर्मा पंचायत विकास एवं पंचायत विभाग हरियाणा के अंतर्गत कुरुक्षेत्र में अकाउंटेंट के पद पर आसीन थी वर्ष 2014 में मंजू पर ग्रामीण चौकीदार का वेतन वितरण करने के दौरान गबन का आरोप लगाया गया था महिला कर्मचारी पर आरोप था कि उसने चौकीदारों की वेतन की राशि अपने खाते में डलवाई है जबकि यह वेतन चौकीदारों को चेक के माध्यम से दिया जाना था इसी के चलते मंजू शर्मा समेत चार अन्य कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज करवाया गया था.
मंजू शर्मा को 13 जनवरी 2015 को निलंबित भी कर दिया गया था. मामला कुरुक्षेत्र कोर्ट में विचाराधीन है. मगर केस पेंडिंग की टिप्पणी के साथ विभाग ने महिला अफसर को 9 अगस्त 2019 को बहाली दे दी. मगर अब अचानक विभाग ने मंजू को फिर सस्पेंड बिना किसी कारण के कर दिया?
अधिकारियों के निशाने पर महिला!
इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगने वाली निलंबित मंजू शर्मा का कहना है कि बिना वजह उसे निशाना बनाया गया है. जबकि मामला ये ही कि वो भ्रष्टाचार की उस कड़ी में वह फिट नहीं बैठ रही थी. इसलिए उसे सस्पेंड कर दिया गया और झूठे केस में फंसा दिया गया. शाहाबाद में एक पीर बाबा के चढ़ावे को लेकर कुछ अफसर और कर्मचारी निरंतर उस पर वित्तीय गड़बड़ी करने का दबाव बनाते थे.
बतौर अकाउंटेंट उसकी ड्यूटी उन दिनों हर सप्ताह अन्य स्टाफ के साथ इस चढ़ावे की काउंटिंग करवाने में लगी थी. चढ़ावा भी हर सप्ताह करीब 4 लाख रुपये से अधिक होता था. संबंधित पीर बाबा उस वक्त पंचायत विभाग के अधीन था. मगर अब हरियाणा वक्फ बोर्ड में ट्रांसफर हो गया है.
मंजू ने बताया कि उन्होंने जब वित्तीय गड़बड़ी से साफ इंकार कर दिया तो उसे चौकीदारों के वेतन के गबन में फंसा दिया गया, इसका ऑडिट भी विभाग ने अपने स्तर पर करवा दिया. मंजू के अनुसार उनके खाते में वेतन का पैसा भी विभाग ने ही डलवाया और उसने सभी चौकीदारों को बांटा भी जिसका रिसीविंग प्रूफ भी उसके पास है.
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इतना ही नहीं आज तक एक भी चौकीदार ने वेतन ना मिलने की शिकायत की है. लिहाजा उनकी कोर्ट में यह भी मांग है कि मामले का ऑडिट किसी स्वतंत्र एजेंसी से करवाया जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. साथ ही पूरी साजिश का पर्दाफाश भी हो जाएगा.
महिला ने बताया कि उनके पति बच्चे समेत पूरा परिवार सालों से प्रताड़ित हो रहा है. प्रशासनिक सतर पर कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही. इसलिए थक हार कर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है.
महिला को बार-बार क्यों सस्पेंड किया जा रहा है कोई इसका जवाब किसी के पास नहीं है. कहीं ऐसा तो नहीं धांधली के आरोप में पीछे अधिकारियों का हाथ हो. जिसकी चाबी मंजू के पास है. इसमें ये भी सवाल है कि जब महिला को 2015 में सस्पेंड किया गया था तो फिर से उसे किस आधार पर बहाल किया गया और फिर से क्यों सस्पेंड कर दिया गया और महिला को उसकी सस्पेंसन की वजह क्यों नहीं बताई जा रही है.