कुरुक्षेत्र: आज की आधुनिक दुनिया में सभी अपनी भाग दौड़ भरी जिंदगी में व्यस्त हैं. सभी को आगे निकलने की होड़ लगी है. किसी को किसी की परवाह नहीं, लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी को दूसरों के लिए न्यौच्छावर करने का प्रण ले लिया है. ये नर सेवा को ही नारायण सेवा समझते हैं. ऐसे ही एक शख्सियत हैं कुरुक्षेत्र के गांव दब खेड़ी में रहने वाले परगट सिंह.
करीब 12 हजार लाशों को नहर से निकाल चुके परगट सिंह
हरियाणा में हर साल सैकड़ों लोग नहरों में डूब कर अपनी जान गवां देते हैं, कुछ नहर में नहाते समय बह जाते हैं. कुछ लाशें संदिग्ध परिस्थितियों में बहती मिलती हैं. परगट सिंह ऐसे ही अनजान शवों को गहरी नहरों से निकालते हैं. परगट सिंह अब तक 11,832 लोगों के शवों को नहर से बाहर निकाल चुके हैं. पानी में गले-सड़े जिन शवों को कोई देखने से भी लोग कतराते है. उन्हें परगट सिंह निकाल कर. खुद अपने खर्चे पर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल पहुंचाते हैं. परगट सिंह सिर्फ शवों को ही बाहर नहीं निकालते. वो नहर में डूब रहे लोगों को जिंदा भी बचाते हैं. परगट सिंह अब तक 1665 से ज्यादा लोगों को दूसरी जिंदगी दे चुके हैं.
खुंखार मगरमच्छों को किया रेस्क्यू
परगट सिंह की महानता बस इतनी भर नहीं है. जिस क्षेत्र में परगट सिंह रहते हैं वहां बारिश के दिनों में एसवाईएल और भाखड़ा नहर से बाढ़ आ जाती है. इन दिनों खूंखार मगरमच्छ भी पानी के साथ रिहायशी क्षेत्रों में आ जाते हैं. परगट सिंह अब तक आधा दर्जन से ज्यादा मगरमच्छों को पकड़कर मगरमच्छ प्रजनन केंद्र में भिजवा चुके हैं.
दादा की मौत के बाद लोगों को बचाने का लिया प्रण
परगट सिंह को ये महान काम करने की जो प्रेरणा मिली. उसकी कहानी भी काफी रोचक है. जब परगट सिंह छोटे थे तो उनके दादा की मौत पानी में डूबने की वजह से हो गई थी. तभी छोटे परगट सिंह ने ठान लिया था कि वो ऐसे डूबते लोगों का सहारा बनेंगे. आप को जानकर हैरानी होगी की परगट सिंह ये काम निशुल्क करते हैं, पिछले 18 सालों में परगट सिंह ने किसी से 1 रुपये भी नहीं लिए, बल्कि खुद उनकी मदद करते हैं.
प्रशासन भी करता है तारीफ
मुश्किल वक्त में फंसे लोगों के लिए. परगट सिंह सच में किसी अवतार से कम नहीं है. स्थानीय प्रशासन भी प्रगट सिंह की काफी इज्जत करता है. वहीं इस मानवीय कार्य के लिए परगट सिंह पुलिस और कई समाजिक संस्थाओं से सैकड़ों बार सम्मानित हो चुके हैं.
सरकार ने नौकरी दे कर छीन ली
कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर पर जब गीता जयंती का आयोजन किया जाता है, तो वहां रेस्क्यू टीम के लिए परगट सिंह को याद किया जाता है. परगट सिंह को कुछ समय पहले सरकार ने ब्रह्मसरोवर पर गोताखोर की नौकरी दी थी. लेकिन लगभग 4 महीने बाद ही उन्हें नौकरी से हटा दिया गया और सैलरी तक नहीं दी गई, ईटीवी ने जब परगट सिंह की नौकरी के बारे में कुरुक्षेत्र एसपी से पूछा तो उन्होंने दो टूक शब्दों में कह दिया कि इस बारे में वो कुछ नहीं कह सकती हैं.
परगट सिंह ने हालांकि आज तक नौकरी या किसी मदद की लालच में ये काम नहीं किया. वो इसे परमात्मा का कार्य समझते हैं, लेकिन सवाल सिर्फ इतना है कि परगट सिंह के इस महान कार्य के बदले क्या समाज और प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती?
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