ETV Bharat / state

सीता माता के जन्म स्थान से हुआ मधुबनी पेंटिंग का जन्म, जानें क्या है खासियत - मधुबनी पेंटिंग का इतिहास

सबसे पुराना इतिहास मधुबनी पेंटिंग का माना जाता है. इस कला का उद्गम स्थान मिथिला को माना जाता है. जानें क्या है इस पेंटिंग की खासियत और इतिहास.

History of madhubani painting
History of madhubani painting
author img

By

Published : Mar 27, 2021, 9:35 PM IST

Updated : Mar 27, 2021, 10:44 PM IST

कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी के कलाकृति भवन में गांधी क्राफ्ट मेले का आयोजन किया गया. इस मेले में अनोखी और हमेशा जीवंत रहने वाली मधुबनी पेंटिंग हमेशा से ही चर्चा की विषय रही हैं. ये मधुबनी पेंटिंग कला हमारे इतिहास से जुड़ी देवी देवताओं का संजीव चित्रण करती नजर आती है. ये ऐसी कला है जो प्राचीन समय से हमारे इतिहास से हमें रूबरू कराती रही हैं. सबसे पुराना इतिहास मधुबनी पेंटिंग का माना जाता है. इस कला का उद्गम स्थान मिथिला को माना जाता है.

मिथिला वो जगह है जहां पर माता सीता का जन्म हुआ था. मिथिला में एक गांव है. जिस गांव का नाम जितवारपुर है. इस जगह ये पेंटिंग बनानी शुरू हुई थी. इस पेंटिंग पर काम कर रहे कलाकार ने बताया कि लंबे समय से उनका ये परिवारिक व्यवसाय रहा है. इससे जुड़े कई लोगों को पद्मश्री जैसे बड़े पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है.

सीता माता के जन्म स्थान से हुआ मधुबनी पेंटिंग का जन्म, जानें क्या है खासियत

मेले में घूमने के लिए आए पर्यटकों ने बताया कि ये अनोखी चीजें हैं. जिसमें हमारा इतिहास सम्माहित है. इन कलाकृतियों के द्वारा उन्हें पता चलता है कि प्राचीन समय में देवी देवताओं द्वारा किस तरह के काम किए गए हैं. इस पेंटिंग की खासियत ये है कि इसमें जितने भी रंग और दूसरी चीजें इस्तेमाल की जाती हैं. वो पूर्ण रुप से प्राकृतिक होती है. पेंटिंग बनाने वाले कलाकार ने बताया कि ये पेंटिंग अपने आप में एक अमर कृति है ये कभी खराब नहीं होती और ना ही इसका रंग खराब होता है.

ये भी पढ़ें- होली खेलने पर लगी रोक से लोगों में नाराज़गी, सरकार से पूछा- चुनाव में कोरोना कहां गया था?

अगर मधुबनी पेंटिंग की बात करें तो भगवान कृष्ण की रासलीलाएं, भगवान शिव के तांडव नृत्य और हिंदू धर्म में देवताओं के अग्रज माने जाने वाले गणेश की विभिन्न कलाकृतियां आपको यहां देखने को मिल जाएंगी. अगर मधुबनी पेंटिंग के खरीदारों की बात करें तो इसको बनाने वाले कलाकार ने बताया कि जो लोग इसकी कीमत को समझते हैं. वो किसी भी कीमत पर इसको अपने पास रखना चाहते हैं

कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी के कलाकृति भवन में गांधी क्राफ्ट मेले का आयोजन किया गया. इस मेले में अनोखी और हमेशा जीवंत रहने वाली मधुबनी पेंटिंग हमेशा से ही चर्चा की विषय रही हैं. ये मधुबनी पेंटिंग कला हमारे इतिहास से जुड़ी देवी देवताओं का संजीव चित्रण करती नजर आती है. ये ऐसी कला है जो प्राचीन समय से हमारे इतिहास से हमें रूबरू कराती रही हैं. सबसे पुराना इतिहास मधुबनी पेंटिंग का माना जाता है. इस कला का उद्गम स्थान मिथिला को माना जाता है.

मिथिला वो जगह है जहां पर माता सीता का जन्म हुआ था. मिथिला में एक गांव है. जिस गांव का नाम जितवारपुर है. इस जगह ये पेंटिंग बनानी शुरू हुई थी. इस पेंटिंग पर काम कर रहे कलाकार ने बताया कि लंबे समय से उनका ये परिवारिक व्यवसाय रहा है. इससे जुड़े कई लोगों को पद्मश्री जैसे बड़े पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है.

सीता माता के जन्म स्थान से हुआ मधुबनी पेंटिंग का जन्म, जानें क्या है खासियत

मेले में घूमने के लिए आए पर्यटकों ने बताया कि ये अनोखी चीजें हैं. जिसमें हमारा इतिहास सम्माहित है. इन कलाकृतियों के द्वारा उन्हें पता चलता है कि प्राचीन समय में देवी देवताओं द्वारा किस तरह के काम किए गए हैं. इस पेंटिंग की खासियत ये है कि इसमें जितने भी रंग और दूसरी चीजें इस्तेमाल की जाती हैं. वो पूर्ण रुप से प्राकृतिक होती है. पेंटिंग बनाने वाले कलाकार ने बताया कि ये पेंटिंग अपने आप में एक अमर कृति है ये कभी खराब नहीं होती और ना ही इसका रंग खराब होता है.

ये भी पढ़ें- होली खेलने पर लगी रोक से लोगों में नाराज़गी, सरकार से पूछा- चुनाव में कोरोना कहां गया था?

अगर मधुबनी पेंटिंग की बात करें तो भगवान कृष्ण की रासलीलाएं, भगवान शिव के तांडव नृत्य और हिंदू धर्म में देवताओं के अग्रज माने जाने वाले गणेश की विभिन्न कलाकृतियां आपको यहां देखने को मिल जाएंगी. अगर मधुबनी पेंटिंग के खरीदारों की बात करें तो इसको बनाने वाले कलाकार ने बताया कि जो लोग इसकी कीमत को समझते हैं. वो किसी भी कीमत पर इसको अपने पास रखना चाहते हैं

Last Updated : Mar 27, 2021, 10:44 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.