कुरुक्षेत्र: हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने शुक्रवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चार दिवसीय राज्य स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रम रत्नावली (ratnavali mahotsav at kurukshetra university) का शुभारंभ किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि हरियाणा की संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलवाने में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने एक अग्रदूत की भूमिका निभाई है. इसमें रत्नावली महोत्सव का भी महत्वपूर्ण योगदान है.
रत्नावली का संबंध महाराजा हर्षवर्धन के नाटक रत्नावली से जोड़कर देखा गया है. महाराजा हर्षवर्धन के समय में थानेसर में सांस्कृतिक परंपराओं एवं उत्सवों का आयोजन होता था. उसी परंपरा को इसी धरा पर जीवंत करने का काम कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने किया है. हरियाणा के राज्यपाल ने कहा कि इसके लिए मैं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को विशेष रूप से बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने लुप्त हुई संस्कृति एवं लूर जैसे लोकनृत्य को फिर से रत्नावली के मंच पर प्रस्तुत कर इतिहास बनाया है.
रत्नावली महोत्सव में इस बार 3 हजार से ज्यादा छात्र और छात्राएं हिस्सा ले रही हैं. जो 32 विधाओं, जिसमें लोकनृत्य, लोकगीत, लोकवाद्य यंत्र, स्वांग, भजन, रागिनी, कविता, हरियाणवी स्किट, रसिया समूह नृत्य करेंगे. रत्नावली उत्सव में सतीश कौशिक, राजेन्द्र गुप्ता एवं यशपाल शर्मा जैसे हरियाणा के कलाकार भी शामिल हुए. इस मौके पर हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि मुझे इस समारोह में आकर हार्दिक खुशी हो रही है.
राज्यपाल (haryana governor bandaru dattatreya) ने कहा कि किसी भी देश और प्रदेश की संस्कृति का विकास युवा पीढ़ी पर आधारित होता है. आज हरियाणा का युवा अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने में जुटा है. इसकी बानगी आप सभी इस रत्नावली महोत्सव में देख पाएंगे. इसी की बदौलत आज हरियाणवी संस्कृति का बॉलीवुड में भी डंका बज रहा है. देश में ही नहीं विदेशों में लोग हरियाणवी संस्कृति के कायल हुए हैं. युवा भारत की विशाल और कालजयी संस्कृति के प्रतिनिधि हैं.
उन्होंने कहा कि मुझे ये जानकार हार्दिक खुशी हो रही है कि रत्नावली समारोह को कामयाब बनाने में जहां एक ओर शिक्षकों एवं गैर शिक्षक कर्मचारियों का योगदान है. वहीं पर छात्र-छात्राएं इस समारोह के आयोजन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. हरियाणा के राज्यपाल ने कहा कि हरियाणा सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध प्रदेश रहा है. यहां की सांस्कृतिक विरासत का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है. इसी प्रदेश की धरा सरस्वती के तट पर वेदों की रचना हुई.
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राज्यपाल ने कहा कि यही वो धरा है. जहां पर महर्षि दधिची ने अपनी अस्थियां दान कर असुरों का संहार किया. इसी पवित्र धर्मक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश देकर जन कल्याण का संदेश दिया. महाराजा राज्यवर्धन एवं हर्षवर्धन ने थानेसर को अपनी राजधानी बनाकर पूरे भारत में यहां की लोक सांस्कृतिक परंपराओं को लोकप्रिय बनाया. हरियाणा को संगीत का देश भी कहा जाता है, क्योंकि हरियाणा में सैकड़ों गांवों का नामकरण संगीत के रागों एवं स्वर लहरियों पर आधारित हैं.