ETV Bharat / state

बदहाल हुआ पिहोवा का प्रसिद्ध सरस्वती तीर्थ स्थल, लॉकडाउन के बाद से नहीं बदला तालाब का पानी

लॉकडाउन से पहले इस तालाब की हर तीसरे महीने सफाई होती थी. अब देश में अनलॉक का चौथा चरण भी शुरू हो गया है. फिर भी अधिकारियों ने इसकी सुध नहीं ली. बता दें कि इस तालाब में सरस्वती नदी का पानी छोड़ा जाता है.

famous Saraswati pilgrimage site of Pihowa is in bad condition
famous Saraswati pilgrimage site of Pihowa is in bad condition
author img

By

Published : Sep 3, 2020, 2:38 PM IST

Updated : Sep 4, 2020, 7:06 AM IST

कुरुक्षेत्र: बुधवार से श्राद्ध पक्ष शुरू हो गए हैं. ऐसे में सैकड़ों श्रद्धालु पितृ सद्गति के लिए प्रसिद्ध पिहोवा सरस्वती तीर्थ पर स्नान, पिंडदान, गति, कर्म और तर्पण के लिए पहुंच रहे हैं, कोरोना महामारी के चलते इस बार तीर्थ में सन्नान करने पर पाबंदी है. श्रद्धालु सरकार की गाइडलाइन के साथ सिर्फ पिंडदान और पूजा कर सकते हैं. फिर भी श्रद्धालुओं को इस बार निराशा ही हाथ लग रही है. वजह है प्रशासन की अनदेखी.

लॉकडाउन के बाद से अभी तक इस तीर्थ के तालाब का पानी बदला नहीं गया है. नतीजा ये हुआ कि पानी में कीड़े रेंग रहे हैं. तालाब में खड़े पानी में काई लग चुकी है. सफाई व्यवस्था नहीं होने से जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हैं. आवार पशुओं भी तीर्थ स्थल में घूमते रहते हैं.

बदहाल हुआ पिहोवा का प्रसिद्ध सरस्वती तीर्थ स्थल

पिहोवा का प्रसिद्ध सरस्वती तीर्थ इन दिनों बदहाली पर आंसू बहा रहा है. कहने को तो ये तीर्थ मुख्यमंत्री मनोहर लाल ड्रीम प्रोजेक्ट है. इतना ही नहीं जब भी चुनाव नजदीक आते हैं तो सभी पार्टियों के मेनिफेस्टो में ये कुरुक्षेत्र का ये सबसे बड़ा और पहला मुद्दा होता है कि सरस्वती के नदी का उद्धार किया जाएगा. लेकिन हालात ये हैं कि अब सरस्वती नदी के इस पानी में कीड़े चल रहे हैं. प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

लॉकडाउन से पहले इस तालाब की हर तीसरे महीने सफाई होती थी. अब देश में अनलॉक का चौथा चरण भी शुरू हो गया है. फिर भी अधिकारियों ने इसकी सुध नहीं ली. बता दें कि इस तालाब में सरस्वती नदी का पानी छोड़ा जाता है. लेकिन बार यहां सरस्वती नदी का पानी नहीं छोड़ा गया. तालाब में जो भी पानी है वो बारिश का है. ज्यादा दिन खड़ा होने की वजह से ये पानी अब सड़ने लगा है.

क्या है इस तीर्थ की मान्यता?

हालांकि कोरोना महामारी की वजह से यहां धार्मिक अनुष्ठान और पिंडदान पर रोक लगाई हुई है, लेकिन तीर्थ पर पूजा की छूट दी गई है. अब श्राद्ध पक्ष शुरू होने के बाद श्रद्धालुओं का आवगमन शुरू हो गया है. लेकिन गंदे पानी से तीर्थ में तर्पण कैसे होगा, ये सवाल श्रद्धालु और तीर्थ पुरोहित के मन को कुरेद रहा है. पुराणों के मुताबिक सरस्वती तीर्थ में पिंडदान और गति कर्म करने का विशेष महत्व है. जिस प्रकार हरिद्वार अस्थि विसर्जन, कुरुक्षेत्र सूर्य ग्रहण स्नान, कपाल मोचन ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए विख्यात है. इसी तरह पिहोवा का सरस्वती तीर्थ पर पिंडदान कर मोक्ष के लिए प्रसिद्ध है.

ये भी पढ़ें- हिसार कृषि विश्वविद्यालय ने जारी की स्नात्तकोत्तर, पीएचडी प्रोग्रामों की परीक्षा की तारीख

यहां अन्न से बने पिंडों को मृतक जीव का स्वरूप मान कर पूजा करवाई जाती है. तत्पश्चात उस पिंड का जल से तर्पण किया जाता है. पिंडदान से पूर्व नवग्रह शांति पूजा कराई जाती है. वैसे तो साल भर यहां पिंडदान कराए जाते हैं, लेकिन श्राद्ध पक्ष में यहां पर पिंडदान करने का विशेष महत्व है. इस दौरान मित्रगण तीर्थ पर विराजमान रहते हैं और यजमान द्वारा किए गए दान को ग्रहण कर लेते हैं.

कुरुक्षेत्र: बुधवार से श्राद्ध पक्ष शुरू हो गए हैं. ऐसे में सैकड़ों श्रद्धालु पितृ सद्गति के लिए प्रसिद्ध पिहोवा सरस्वती तीर्थ पर स्नान, पिंडदान, गति, कर्म और तर्पण के लिए पहुंच रहे हैं, कोरोना महामारी के चलते इस बार तीर्थ में सन्नान करने पर पाबंदी है. श्रद्धालु सरकार की गाइडलाइन के साथ सिर्फ पिंडदान और पूजा कर सकते हैं. फिर भी श्रद्धालुओं को इस बार निराशा ही हाथ लग रही है. वजह है प्रशासन की अनदेखी.

लॉकडाउन के बाद से अभी तक इस तीर्थ के तालाब का पानी बदला नहीं गया है. नतीजा ये हुआ कि पानी में कीड़े रेंग रहे हैं. तालाब में खड़े पानी में काई लग चुकी है. सफाई व्यवस्था नहीं होने से जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हैं. आवार पशुओं भी तीर्थ स्थल में घूमते रहते हैं.

बदहाल हुआ पिहोवा का प्रसिद्ध सरस्वती तीर्थ स्थल

पिहोवा का प्रसिद्ध सरस्वती तीर्थ इन दिनों बदहाली पर आंसू बहा रहा है. कहने को तो ये तीर्थ मुख्यमंत्री मनोहर लाल ड्रीम प्रोजेक्ट है. इतना ही नहीं जब भी चुनाव नजदीक आते हैं तो सभी पार्टियों के मेनिफेस्टो में ये कुरुक्षेत्र का ये सबसे बड़ा और पहला मुद्दा होता है कि सरस्वती के नदी का उद्धार किया जाएगा. लेकिन हालात ये हैं कि अब सरस्वती नदी के इस पानी में कीड़े चल रहे हैं. प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

लॉकडाउन से पहले इस तालाब की हर तीसरे महीने सफाई होती थी. अब देश में अनलॉक का चौथा चरण भी शुरू हो गया है. फिर भी अधिकारियों ने इसकी सुध नहीं ली. बता दें कि इस तालाब में सरस्वती नदी का पानी छोड़ा जाता है. लेकिन बार यहां सरस्वती नदी का पानी नहीं छोड़ा गया. तालाब में जो भी पानी है वो बारिश का है. ज्यादा दिन खड़ा होने की वजह से ये पानी अब सड़ने लगा है.

क्या है इस तीर्थ की मान्यता?

हालांकि कोरोना महामारी की वजह से यहां धार्मिक अनुष्ठान और पिंडदान पर रोक लगाई हुई है, लेकिन तीर्थ पर पूजा की छूट दी गई है. अब श्राद्ध पक्ष शुरू होने के बाद श्रद्धालुओं का आवगमन शुरू हो गया है. लेकिन गंदे पानी से तीर्थ में तर्पण कैसे होगा, ये सवाल श्रद्धालु और तीर्थ पुरोहित के मन को कुरेद रहा है. पुराणों के मुताबिक सरस्वती तीर्थ में पिंडदान और गति कर्म करने का विशेष महत्व है. जिस प्रकार हरिद्वार अस्थि विसर्जन, कुरुक्षेत्र सूर्य ग्रहण स्नान, कपाल मोचन ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए विख्यात है. इसी तरह पिहोवा का सरस्वती तीर्थ पर पिंडदान कर मोक्ष के लिए प्रसिद्ध है.

ये भी पढ़ें- हिसार कृषि विश्वविद्यालय ने जारी की स्नात्तकोत्तर, पीएचडी प्रोग्रामों की परीक्षा की तारीख

यहां अन्न से बने पिंडों को मृतक जीव का स्वरूप मान कर पूजा करवाई जाती है. तत्पश्चात उस पिंड का जल से तर्पण किया जाता है. पिंडदान से पूर्व नवग्रह शांति पूजा कराई जाती है. वैसे तो साल भर यहां पिंडदान कराए जाते हैं, लेकिन श्राद्ध पक्ष में यहां पर पिंडदान करने का विशेष महत्व है. इस दौरान मित्रगण तीर्थ पर विराजमान रहते हैं और यजमान द्वारा किए गए दान को ग्रहण कर लेते हैं.

Last Updated : Sep 4, 2020, 7:06 AM IST

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.