कुरुक्षेत्र: ब्रह्म सरोवर में काफी दूर-दूर से लोग स्नान करते आते हैं, लेकिन इसी को लेकर बहस छिड़ चुकी है. पिहोवा के गांव थाना के लोगों ने दावा किया है कि असली ब्रह्म सरोवर कुरूक्षेत्र में ना होकर पिहोवा के गांव थाना में है. जिसका वर्णन पुराणों में भी मिलता है.
कुरूक्षेत्र स्थित ब्रह्म सरोवर पर सूर्य ग्रहण और गीता जयंती पर विशाल मेला लगता है. हजारों फुट की लम्बाई-चौड़ाई वाले इस विशाल तीर्थ के बराबर का अन्य कोई इस तरह का सरोवर नहीं है, लेकिन आज इस ब्रह्मसरोवर पर ही सवाल खड़े हो गए.
कहा जा रहा है कि पिहोवा से सटे गांव थाना का सरोवर असली है. गांव थाना के ग्रामीणों ने दावा किया है असली ब्रह्मसरोवर कुरूक्षेत्र में नहीं है बल्कि पिहोवा के गांव थाना में है. यहां के ग्रामीणों ने कुरूक्षेत्र स्थित ब्रह्मसरोवर को कल्पित सरोवर बताया है.
ग्रामीणों ने बताया कि करीब 50 साल पहले पूर्व उपप्रधान मंत्री और गृहमंत्री स्व. गुलजारी लाल नंदा उनके गांव में आए थे और ब्रह्मसरोवर के निमार्ण के लिए ग्रामीणों से बात की थी. इस विशाल तालाब के आस-पास के क्षेत्र में ग्रामीणों के पशु आराम करते थे. इस कारण ग्रामीणों ने इस ब्रह्म सरोवर के निर्माण से साफ इन्कार कर दिया था. इस वजह से प्रधानमंत्री नंदा नाराज हो गए और ग्रामीणों को यह कहकर चले गए कि वह कुरूक्षेत्र में ब्रह्म सरोवर बना देगें. जिस कारण कुरूक्षेत्र सरोवर को बनाकर उसका नाम ब्रह्म सरोवर रख दिया.
पंडित राजेश कुमार ने पुराणों का हवाला देते हुए बताया कि असली ब्रह्मसरोवर का स्थान थाना गांव में स्थित है. गांव के नाम के बारे में उन्होंने बताया कि पुराणों में ब्रह्म स्थान नाम है जो कालांतर में बिगड़ कर स्थान से थाना बन गया.
ग्रामीणों ने बताया कि करीब 125 एकड़ में फैले सरोवर में हजारों साल पुराने पेड़ लगे हुए हैं जो आज भी वहां मौजूद है. इन्हीं पेड़ों के नीचे ऋषि मुनि तप किया करते थे आज यह सरोवर वन विभाग वह पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है. इस तालाब में हर साल करीब 150 प्रकार के विदेशी पक्षी आते हैं. इन पक्षियों की कुछ किस्में तो पहचानी गई है पर कुछ की पुष्टि वन विभाग भी नहीं कर पा रहा है.