करनाल: महिलाएं समाज का एक अहम हिस्सा हैं. बदलते वक्त के साथ महिलाएं भी राष्ट्र निर्माण में अपना अहम योगदान दे रही हैं. खेल जगत की बात करें, मनोरंजन की या फिर राजनीति के क्षेत्र में, महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी बड़ी भूमिका निभा रही हैं. आज हम आपको ऐसी ही एक नारी शक्ति से मिला रहे हैं जिन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा लहराकर इतिहास रचा है. हम बात कर रहे हैं पर्वतारोही अनीता कुंडू (mountaineer Anita Kundu) की.
12 साल से पर्वतारोहण कर रही अनीता कुंडू दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (world highest peak Mount Everest) को तीन बार फतह कर चुकी हैं. दो बार नेपाल और एक बार चीन की तरफ से इस चोटी को फतेह करने वाली अनीता कुंडू भारत की पहली महिला हैं. इसके अलावा अनिता कूंडू, अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी विनसन मासिफ, अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो, यूरोप की सबसे ऊंची चोटी एल्बर्स, दक्षिण अमेरिका की एकोनकागुआ के फतह किया.
इसके अलावा अनीता कुंडू ने ऑस्ट्रेलिया का कार्सटेंस पिरामिड शिखर, उत्तराखंड में रुदुगैरा के 5800 मीटर ऊंचे शिखर को फतेह कर चुकी हैं. उतरी अमेरिका की देनाली पर भी अनीता ने संघर्ष किया. माउंट एवरेस्ट के समान ही माउंट मनास्लू को भी हरियाणा की बेटी ने फतेह किया है. इन सभी उपलब्धियों के लिए अनीता को तेनजिंग नोर्गे नेशनल अवॉर्ड (Tenzing Norgay National Award) से सम्मानित किया जा चुका है.
बचपन में था कबड्डी का शौक: अनीता कुंडू हरियाणा के हिसार जिले के फरीदपुर गांव की रहने वाली हैं. अनीता को बचपन में कबड्डी का शौक था, जिसके चलते उसने 5वीं कक्षा से ही कबड्डी खेलना शुरू कर दिया, लेकिन अनिता अपने इस शौक को अधिक दिन नहीं रख पाई. साल 2001 में पिता की मौत के बाद अनीता ने कबड्डी खेलना छोड़ दिया. अनीता के परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं था. जिसके बाद अनिता ने परिवार की आर्थिक दशा को सुधारने के लिए नौकरी की तलाश की.
पिता की मौत के बाद समाज से लड़ी: 13 साल की उम्र में अपने पिता को खोने के बाद, अनीता को उनके रिश्तेदारों ने शादी करने के लिए मजबूर किया. अनीता ने शादी के विचार को सिरे से खारिज कर दिया और घर की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली. आय का कोई स्रोत नहीं होने के कारण, अनीता और उसकी मां ने दूध बेचना शुरू कर दिया और खेती में लग गए. चार बहन-भाइयों में अनीता कुंडू सबसे बड़ी हैं. अनीता की छोटी दोनों बहनें शादीशुदा हैं, जबकि बड़ी होने के बाद भी उन्होंने शादी नहीं की है.
ऐसे बदली अनीता की जिंदगी: अनीता की पढ़ाई हिसार से हुई और उन्होंने बीए की पढ़ाई जाट कॉलेज से की. इसके बाद प्राइवेट इंस्टीट्यूट से उन्होंने एमए हिस्ट्री से की. पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 2008 में वो हरियाणा पुलिस में बतौर कांस्टेबल के पद पर भर्ती हो गई. इसके बाद अनिता की जिंदगी बदलती चली गई. हरियाणा पुलिस में प्रशिक्षण के दौरान अनिता की रूचि पर्वतारोहण में हुई. हरियाणा पुलिस में प्रशिक्षण के दौरान, रॉक क्लाइम्बिंग के विचार ने अनीता को आकर्षित किया और वो इसके बारे में जानने कोशिश करने लगी.
बेफिक्र और दृढ़ निश्चय के साथ अनीता कुंडू ने अपने डीजीपी से मदद मांगी. जिन्होंने उन्हें पर्वतारोहण और उन्नत रॉक-क्लाइम्बिंग सीखने की अनुमति दी और उन्हें रॉक-क्लाइम्बिंग सीखने के लिए 2009 में उन्हें भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में स्थानांतरित कर दिया. जहां उन्होंने पर्वतारोहण में कई उन्नत पाठ्यक्रम किए. जैसे वजन प्रशिक्षण, उच्च ऊंचाई पर दौड़ना, जंगल में जीवित रहने के कौशल से लेकर भोजन या पानी के बिना जीवित रहना आदि. यहां उन्हें सबसे कठिन प्रशिक्षण से गुजरना पड़ा.
साल 2009 और 2011 के बीच अनीता ने माउंट सतोपंथ और माउंट कोकस्टेट सहित चुनौतीपूर्ण शिखरों पर चढ़ाई की. अनिता को पर्वतारोही होने के साथ शाकाहारी होने की सभी बाधाओं का सामना करना पड़ा. ठंड के मौसम के कारण आप दो महीने तक स्नान नहीं कर सकते हैं. चढ़ाई के दौरान सूखे मेवे, सूप और डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों पर जीवित रहना पड़ा. नेपाल की ओर से सफलतापूर्वक चोटी पर चढ़ने के बाद, अनीता ने पहली बार 2015 में चीन की ओर से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का प्रयास किया.
दुर्भाग्य से तब भूकंप आ गया. जिसकी वजह से अनीता को लगभग 22,000 फीट की ऊंचाई के बाद वापस लौटना पड़ा. हालांकि उनकी टीम कुछ सदस्य भूकंप से नहीं बच सके. 21 मई 2017 को अनिता ने फिर से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की. जहां वो राष्ट्रीय ध्वज फहराने में सफल रही. अनिता ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि मेरे पिताजी में एक जुनून था. बच्चों में मैं घर में सबसे बड़ी थी. मेरे पिता जी चाहते थे कि मैं एक अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज बनूं. जब मैं 12 साल की थी, तब मैंने बॉक्सिंग क्लास भी ज्वाइन कर ली थी, लेकिन पिता की मौत ने सब कुछ बदल दिया.
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