करनाल: हरियाणा के कई जिलों में भूमिगत जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है जिसके चलते करनाल के भी असंध ब्लॉक का क्षेत्र डार्क जोन में आ चुका है. इसका मुख्य कारण ये है कि जमीन के अंदर जो बरसात का पानी जाता है उसके संरक्षण के लिए अच्छे तरीके से व्यवस्था नहीं की जाती. लेकिन जिले में कुछ किसान ऐसे हैं जिन्होंने भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने लिए खुद बीड़ा उठाया है. गांव रमाना रमानी के किसानों ने बिना किसी सरकारी के मदद के अपन खेतों में वाटर रिचार्ज सिस्टम लगाए हैं जिससे बरसात के पानी को स्टोर कर लिया जाता है औख बेवजह पानी की बर्बादी नहीं होती है.
वाटर रिचार्ज सिस्टम लगाने वाले किसान भजनलाल ने हमें बताया कि वो पिछले पांच वर्षों से इस पर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पानी की बचत और वाटर रिचार्ज सिस्टम को लेकर अन्य किसानों को समझा भी रहे हैं कि कैसे इस सिस्टम की मदद से बरसात के पानी को सीधा जमीन के नीचे भेज दिया जाता है और इस तकनीक से पानी का दोहन होने से भी बचाया जाता है. साथ ही इस सिस्टम से किसानों की सैकड़ों एकड़ फसल भी बरसात के पानी में खराब होने से बच जाती है.
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किसान भजनलाल ने अन्य किसानों को बरसात के पानी को बचाने के लिए जागरुक किया जिसके बाद कई किसानों ने अपने खेतों में वाटर रिचार्ज सिस्टम लगवाए. उन किसानों ने खुद के रूपयों से ये वाटर रिचार्ज सिस्टम लगवाए हैं. किसानों ने कहा कि सरकार से हमें कोई मदद नहीं मिली हा. हमने 80 हजार रूपये खर्च कर वाटर रिचार्ज सिस्टम लगाए हैं जिससे हमारी फसल तो बर्बाद होने से बचती ही है साथ ही जमीन के नीचे जलस्तर भी बढ़ रहा है. किसानों से सरकार से मांग करते हुए कहा है कि उन्हें सब्सिडी दी जाए और स्कूल, सरकारी दफ्तरों की जगह खेतों में वाटर रिचार्ज सिस्टम लगवाएं जाए.
वहीं गांव बोला खालसा के किसानों का कहना है कि अगर 1 वाट रिचार्ज सिस्टम लगाया जाता है उसे केवल एक अकेले किसान की ही फसल बर्बाद होने से नहीं बचती बल्कि आसपास के सैकड़ों एकड़ फसल बरसात के पानी से बर्बाद होने से बताई जाती है. लेकिन किसानों ने सरकार और प्रशासन से नाराजगी भी जताई और उन्होंने कहा कि वो अपने पानी और जलस्तर को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं जिस पर अनुदान जरूर देना चाहिए. अगर सरकार इस पर अनुदान देगी तो लगभग हर किसान इस तकनीक को अपनाएगा.
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फिलहाल गांव रामाना रामानी और बोला खालसा में 5 वाटर रिचार्ज सिस्टम लगे हैं. इन किसानों ने अपनी जेब से 70 से 80 हजार रूपये खर्च कर वाटर रिचार्ज सिस्टम लगवाएं हैं. किसानों का कहना है कि सरकार हम पर आरोप लगाती है की हम धान और गेहूं की फसल लगाकर पानी की बर्बादी कर रहे हैं. इसलिए उन्होंने मेरी पानी मेरा विरासत योजना चलाई है. जिसमें किसानों को धान छोड़कर अन्य फसल लगाने पर अनुदान दिया जाता है. लेकिन सरकार अगर वाटर रिचार्ज सिस्टम पर भी कुछ अनुदान दे तो सरकार की यह योजना बिल्कुल सफल होगी और आने वाली पीढ़ियों को पानी नसीब हो पायेगा.