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शारदीय नवरात्र पर हिमाचल प्रदेश के श्री नैना देवी मंदिर में दिखी शानदार रौनक - haryana news in hindi

नवरात्रों के मौके पर मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है. रंग-बिरंगी लाइटों से पूरा मंदिरा दूधिया रोशनी से जगमगा उठा है. वहीं, रंग-बिरंगे फूल मंदिर की सुंदरता को चार चांद लगा रहे हैं.

श्री नैना देवी मंदिर
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Published : Oct 1, 2019, 9:12 AM IST

बिलासपुर: विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी मंदिर को इस बार शारदीय नवरात्रों के शुभअवसर पर रंग-बिरंगें फूलों और लाइटों से सजाया गया है. मंदिर की सजावट का कार्य हरियाणा की करनाल की समाजसेवी संस्था के ने किया है. नवरात्रों के मौके पर मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है. रंग-बिरंगी लाइटों से पूरा मंदिरा दूधिया रोशनी से जगमगा उठा है. वहीं, रंग-बिरंगे फूल मंदिर की सुंदरता को चार चांद लगा रहे हैं.

दुल्हन की तरह सजाया गया श्री नैना देवी मंदिर, देखें ये विडियो

जानें मंदिर का इतिहास
पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा दक्ष प्रजापति द्वारा एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया, लेकिन अपनी पुत्री सती व उसके पति शिव को यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया. सती बिना बुलाये ही यज्ञ में पहुंच गई परन्तु शिव के भारी अपमान स्वरूप यज्ञ कुंड में कूद पड़ी और अपनी देह त्याग दी. भगवान शिव ने व्याकुल होकर सती के शव को कंधे पर उठाया और हिमालय की ओर प्रस्थान कर गए. भगवान शिव अर्धांगिनी के इस प्रकार हुए देह त्याग पर बहुत व्यथित थे. शिव के इस प्रकार के भयंकर रूप को देखकर देवगणों ने भगवान विष्णु से शिव का क्रोध शांत करने की प्रार्थना की.

शिव के तांडव प्रहार से बचाने के लिए विष्णु जी ने सती के शव के अनेकों टुकड़े कर दिए. सती के अंग अलग-अलग स्थानों पर गिरते रहे, और जहां-जहां पर सती के अंगों के टुकड़े गिरे, उन्हीं स्थानों पर शक्तिपीठों की स्थापना हुई. जहां पर सती के नयन गिरे थे वहीं पर माता नैना देवी शक्तिपीठ की स्थापना की गई.

इस बार मंदिर न्यास की तैयारियां

हालांकि शारदीय नवरात्रों की तैयारियां मंदिर न्यास और अन्य विभागों के द्वारा चल रही हैं जिसके तहत मंदिर परिसर की सजावट के अलावा सफाई भी की जा रही है, ताकि नवरात्रों के दौरान माताजी का मंदिर परिसर पूरी तरह से स्वच्छ नजर आए. मंदिर न्यास के अध्यक्ष मेला अधिकारी सुभाष गौतम का कहना है कि मंदिर परिसर में असामाजिक तत्वों और जेब कतरों पर नजर रखने के लिए लगभग 65 सीसीटीवी कैमरे जगह जगह पर लगाए गए हैं. जिससे असामाजिक तत्वों पर पूरी तरह से नजर रखी जाएगी, ताकि मेला के दौरान श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी ना हो. इसके अलावा मंदिर परिसर के आसपास जहां पर पुलिसकर्मी होमगार्ड के जवान एवं एक्स सर्विसमैन फौजी तैनात की जाएंगी और सुरक्षा व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा जाएगा.

सुरक्षा की दृष्टि से इन चीजों पर रहेगा प्रतिबंध

सुभाष गौतम ने बताया कि मंदिर में कड़ाह प्रसाद और नारियल चढ़ाने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा सुरक्षा की दृष्टि से और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मेला के दौरान व्यवस्थाएं पूरी तरह से चाक-चौबंद कर दी गई हैं. उन्होंने बताया कि मेले के दौरान ओवरलोडिंग वाहनों पर पूरी तरह से इस पर शिकंजा कसा जाएगा. किसी भी प्रकार की ओवरलोडिंग बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की सुविधा का और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा. उन्होंने ने बताया कि मेला के दौरान सफाई व्यवस्था और अन्य कार्यों के लिए स्थाई कर्मचारी नियुक्त कर दिए गए हैं. मंदिर में सफाई व्यवस्था पर पूरा ध्यान केंद्रित रहेगा, ताकि शहर साफ सुथरा नजर आए.

श्री नैना देवी मंदिर कैसे पहुंचें?
नैनादेवी मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पास का एयरपोर्ट चंडीगढ़ है, यहां से मंदिर की दूरी करीब 100 किमी है. सबसे पास का रेलवे स्टेशन आनंदपुर साहिब है. यहां से मंदिर की दूरी 30 किमी है. यह मंदिर नैशनल हाइवे 21 से जुड़ा है. चंडीगढ़ या आनंदपुर साहिब से आप टैक्सी भी हायर कर सकते हैं.

बिलासपुर: विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी मंदिर को इस बार शारदीय नवरात्रों के शुभअवसर पर रंग-बिरंगें फूलों और लाइटों से सजाया गया है. मंदिर की सजावट का कार्य हरियाणा की करनाल की समाजसेवी संस्था के ने किया है. नवरात्रों के मौके पर मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है. रंग-बिरंगी लाइटों से पूरा मंदिरा दूधिया रोशनी से जगमगा उठा है. वहीं, रंग-बिरंगे फूल मंदिर की सुंदरता को चार चांद लगा रहे हैं.

दुल्हन की तरह सजाया गया श्री नैना देवी मंदिर, देखें ये विडियो

जानें मंदिर का इतिहास
पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा दक्ष प्रजापति द्वारा एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया, लेकिन अपनी पुत्री सती व उसके पति शिव को यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया. सती बिना बुलाये ही यज्ञ में पहुंच गई परन्तु शिव के भारी अपमान स्वरूप यज्ञ कुंड में कूद पड़ी और अपनी देह त्याग दी. भगवान शिव ने व्याकुल होकर सती के शव को कंधे पर उठाया और हिमालय की ओर प्रस्थान कर गए. भगवान शिव अर्धांगिनी के इस प्रकार हुए देह त्याग पर बहुत व्यथित थे. शिव के इस प्रकार के भयंकर रूप को देखकर देवगणों ने भगवान विष्णु से शिव का क्रोध शांत करने की प्रार्थना की.

शिव के तांडव प्रहार से बचाने के लिए विष्णु जी ने सती के शव के अनेकों टुकड़े कर दिए. सती के अंग अलग-अलग स्थानों पर गिरते रहे, और जहां-जहां पर सती के अंगों के टुकड़े गिरे, उन्हीं स्थानों पर शक्तिपीठों की स्थापना हुई. जहां पर सती के नयन गिरे थे वहीं पर माता नैना देवी शक्तिपीठ की स्थापना की गई.

इस बार मंदिर न्यास की तैयारियां

हालांकि शारदीय नवरात्रों की तैयारियां मंदिर न्यास और अन्य विभागों के द्वारा चल रही हैं जिसके तहत मंदिर परिसर की सजावट के अलावा सफाई भी की जा रही है, ताकि नवरात्रों के दौरान माताजी का मंदिर परिसर पूरी तरह से स्वच्छ नजर आए. मंदिर न्यास के अध्यक्ष मेला अधिकारी सुभाष गौतम का कहना है कि मंदिर परिसर में असामाजिक तत्वों और जेब कतरों पर नजर रखने के लिए लगभग 65 सीसीटीवी कैमरे जगह जगह पर लगाए गए हैं. जिससे असामाजिक तत्वों पर पूरी तरह से नजर रखी जाएगी, ताकि मेला के दौरान श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी ना हो. इसके अलावा मंदिर परिसर के आसपास जहां पर पुलिसकर्मी होमगार्ड के जवान एवं एक्स सर्विसमैन फौजी तैनात की जाएंगी और सुरक्षा व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा जाएगा.

सुरक्षा की दृष्टि से इन चीजों पर रहेगा प्रतिबंध

सुभाष गौतम ने बताया कि मंदिर में कड़ाह प्रसाद और नारियल चढ़ाने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा सुरक्षा की दृष्टि से और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मेला के दौरान व्यवस्थाएं पूरी तरह से चाक-चौबंद कर दी गई हैं. उन्होंने बताया कि मेले के दौरान ओवरलोडिंग वाहनों पर पूरी तरह से इस पर शिकंजा कसा जाएगा. किसी भी प्रकार की ओवरलोडिंग बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की सुविधा का और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा. उन्होंने ने बताया कि मेला के दौरान सफाई व्यवस्था और अन्य कार्यों के लिए स्थाई कर्मचारी नियुक्त कर दिए गए हैं. मंदिर में सफाई व्यवस्था पर पूरा ध्यान केंद्रित रहेगा, ताकि शहर साफ सुथरा नजर आए.

श्री नैना देवी मंदिर कैसे पहुंचें?
नैनादेवी मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पास का एयरपोर्ट चंडीगढ़ है, यहां से मंदिर की दूरी करीब 100 किमी है. सबसे पास का रेलवे स्टेशन आनंदपुर साहिब है. यहां से मंदिर की दूरी 30 किमी है. यह मंदिर नैशनल हाइवे 21 से जुड़ा है. चंडीगढ़ या आनंदपुर साहिब से आप टैक्सी भी हायर कर सकते हैं.

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