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Sharadiya Navratri 2023: आज से शारदीय नवरात्रि शुरू, जानें मां दुर्गा के 9 अवतारों की पूजा और महत्व - शारदीय नवरात्रि

Sharadiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि 2023 की शुरुआत आज से हो रही है. सभी मनोकामनाएं पूरी करने माता रानी भक्तों के घर में विराजमान होंगी. नवरात्रि की संपूर्ण जानाकरी पूजा का सही विधि-विधान यहां विस्तार से पढ़ें.

Sharadiya Navratri 2023
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 14, 2023, 7:19 PM IST

Updated : Oct 15, 2023, 6:20 AM IST

जानें मां दुर्गा के 9 अवतारों की पूजा और महत्व

करनाल: आज (रविवार 15 अक्टूबर) से देवी दुर्गा का नौ दिवसीय पर्व नवरात्रि शुरू हो रहा है. रविवार को सुबह घट की स्थापना होगी. नवरात्रि 23 अक्टूबर तक चलेगा. जबकि 24 अक्टूबर यानी दशहरे वाले दिन मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन होगा. इस साल देवी दुर्गा का वाहन हाथी है. हिंदू शास्त्रों की मान्यता है कि नवरात्रि में जब देवी मां हाथी पर सवार होकर आती हैं, तो बारिश के भी योग बनते हैं. आइए जानते हैं नवरात्रि के नौ दिनों में कैसे माता रानी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए, जिससे मां प्रसन्न होकर अपने भक्तों के सारे कष्ट हर लेती हैं और भक्तों के सभी इच्छाएं भी पूरी करती है.

ये भी पढ़ें: Shardiya Navratri 2023: इस बार हाथी पर सवार होकर आ रही दुर्गा मां, मुर्गे पर करेंगी प्रस्थान, इन राशि के लोगों को सावधान रहने की जरूरत

शैलपुत्री को समर्पित है नवरात्रि का पहला दिन: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, नवरात्रि के पहले दिन माता दुर्गा के शैलपुत्री अवतार की पूजा-अर्चना की जाती है. माता पार्वती के रूप में पहला अवतार या जन्म हिमालय में लिया था. उसकी वजह से ही इसका नाम माता शैलपुत्री रखा गया था. घट स्थापना के समय सती माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है. जिससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है. माता शैलपुत्री अपने एक हाथ में त्रिशूल तो दूसरे हाथ में कमल रखती है और उनके सर के ऊपर आधा चांद नजर आता है. शैलपुत्री की पूजा गाय के घी में दीपक जलाने से की जाती है. जिससे माता रानी काफी प्रसन्न हो जाती हैं. माता रानी की पूजा-अर्चना पीले रंग के वस्त्र धारण करके करनी चाहिए.

दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा: ज्योतिषाचार्य विश्वनाथ ने बताया कि दुर्गा का दूसरा अवतार मां ब्रह्मचारिणी का होता है. नवरात्रि के नौ दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है. नवरात्रि के दूसरे दिन विशेष रूप से ब्रह्मचारी का पालन करना चाहिए. क्योंकि यह दुर्गा मां का यह रूप अविवाहित माना जाता है. इस दिन माता रानी की पूजा करने से भक्तों को अपने सभी कामों में सफलता मिलती है. नवरात्रि के दूसरे दिन भक्तों को हरे रंग के वस्त्र पहनकर माता रानी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. इस दिन माता रानी को शक्कर का भोग लगाया जाता है, जिससे माता रानी प्रसन्न हो जाती हैं.

नवरात्रि के तीसरा दिन चंद्रघंटा की आराधना: दुर्गा मां का तीसरा रूप चंद्रघंटा माता को माना जाता है. इस दिन भूरे रंग के वस्त्र पहनकर माता रानी की पूजा करनी चाहिए. माता रानी को दूध से बनी मिठाइयां काफी पसंद हैं. तो इस दिन भक्त दूध से बनी मिठाई का ही भोग लगाएं. शंख ध्वनि जरूर करनी चाहिए. इससे रोग दोष दूर होते हैं. माता की पूजी विधि-विधान से करने से संतान की प्राप्ति भी होती है. इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन जरूर करवाना चाहिए. ऐसा करने से माता रानी भक्तों को प्रसन्न होकर मनोवांछित फल देती हैं.

मां कुष्मांडा को समर्पित है नवरात्रि का चौथा दिन: नवरात्रि के चौथे दिन भक्त मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना करते हैं. माता कुष्मांडा को नारंगी रंग पसंद है. इस दिन भक्तों को नारंगी रंग के कपड़े पहनकर माता रानी की पूजा करना चाहिए. माता कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाया जाता है. माता रानी की पूजा करने से घर-परिवार में खुशहाली आती है. परिवार पर वायु का प्रकोप है तो माता की पूजा करने से काला जादू खत्म हो जाता है.

ये भी पढ़ें: Shardiya Navratri 2023: जानिए किस दिन से हो रही है शारदीय नवरात्रि की शुरुआत, कलश स्थापना शुभ मुहूर्त और पूजा का विधि-विधान

नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा-अर्चना: ज्योतिषाचार्य विश्वनाथ ने बताया कि शास्त्रों में बताया गया है कि स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता है.मां की पूजा अर्चना से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. जो भी भक्त स्कंदमाता की पूजा करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. माता रानी को केले का भोग पसंद है. तो इस दिन पूजा-अर्चना करते समय माता रानी को केले का भोग लगाएं. माता रानी अपने सभी भक्तों की शारीरिक समस्या को दूर कर देती हैं.

नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित: कात्यानी माता शेर की सवारी करती हैं. माता की पूजा करने से भक्तों को कष्टों से मुक्ति मिलती है. माता रानी शत्रुओं का नाश करती है. माता कात्यायनी को लाल रंग पसंद है. इस दिन कात्यानी माता की पूजा लाल रंग के कपड़े पहन कर करें. माता रानी अपने भक्तों के भय और दुखों को हर लेती हैं. इस दिन माता रानी को शहद का भोग लगाएं.

सातवें दिन होती है कालरात्रि की पूजा: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि नवरात्रि का सातवां दिन मां दुर्गा को समर्पित है. मान्यता है कि यह मां दुर्गा का सबसे आक्रामक रूप होता है. जिसके चलते भक्त माता कालरात्रि की पूजा अर्चना करते हैं. माता रानी अपने आशीर्वाद से भक्तों के दुश्मनों का सर्वनाश करती हैं. मां कालरात्रि को गुड़ का भोग पसंद है. माता को प्रसन्न करके भक्त अपने सभी प्रकार के संकटों को दूर करती हैं.

नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की आराधना: इस दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा की जाती है. महागौरी को गुलाबी रंग काफी प्रिय है. इस दिन भक्तों को गुलाबी रंग के कपड़े पहन कर महागौरी की पूजा करनी चाहिए. महागौरी की पूजा संतान प्राप्ति के लिए की जाती है. इस दिन माता को नारियल का भोग लगाया जाता है. नारियल को दान भी किया जाता है. इस दिन आठ कन्याओं की पूजा भी की जाती है.

सिद्धिदात्री को समर्पित है नवरात्रि का नौवां दिन: सिद्धिदात्री देवी कमल के फूल पर विराजमान होती हैं. मान्यता है कि जो भी भक्त माता रानी की पूजा करते हैं, उनको सिद्धिदात्री का आशीर्वाद मिल जाता है. माता रानी को बैंगनी रंग प्रिय है. माता रानी को तिल काफी प्रिय होता है. इसलिए पूजा के दौरान तिल का भोग जरूर लगाएं. ऐसा करने से माता अपने भक्तों की मनोकामना को पूरा करती हैं. इन नौ दिनों में माता रानी की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से वरदायनी माता आपके परिवार को आशीर्वाद देती है और आपके घर से विदा होती हैं.

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जानें मां दुर्गा के 9 अवतारों की पूजा और महत्व

करनाल: आज (रविवार 15 अक्टूबर) से देवी दुर्गा का नौ दिवसीय पर्व नवरात्रि शुरू हो रहा है. रविवार को सुबह घट की स्थापना होगी. नवरात्रि 23 अक्टूबर तक चलेगा. जबकि 24 अक्टूबर यानी दशहरे वाले दिन मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन होगा. इस साल देवी दुर्गा का वाहन हाथी है. हिंदू शास्त्रों की मान्यता है कि नवरात्रि में जब देवी मां हाथी पर सवार होकर आती हैं, तो बारिश के भी योग बनते हैं. आइए जानते हैं नवरात्रि के नौ दिनों में कैसे माता रानी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए, जिससे मां प्रसन्न होकर अपने भक्तों के सारे कष्ट हर लेती हैं और भक्तों के सभी इच्छाएं भी पूरी करती है.

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शैलपुत्री को समर्पित है नवरात्रि का पहला दिन: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, नवरात्रि के पहले दिन माता दुर्गा के शैलपुत्री अवतार की पूजा-अर्चना की जाती है. माता पार्वती के रूप में पहला अवतार या जन्म हिमालय में लिया था. उसकी वजह से ही इसका नाम माता शैलपुत्री रखा गया था. घट स्थापना के समय सती माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है. जिससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है. माता शैलपुत्री अपने एक हाथ में त्रिशूल तो दूसरे हाथ में कमल रखती है और उनके सर के ऊपर आधा चांद नजर आता है. शैलपुत्री की पूजा गाय के घी में दीपक जलाने से की जाती है. जिससे माता रानी काफी प्रसन्न हो जाती हैं. माता रानी की पूजा-अर्चना पीले रंग के वस्त्र धारण करके करनी चाहिए.

दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा: ज्योतिषाचार्य विश्वनाथ ने बताया कि दुर्गा का दूसरा अवतार मां ब्रह्मचारिणी का होता है. नवरात्रि के नौ दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है. नवरात्रि के दूसरे दिन विशेष रूप से ब्रह्मचारी का पालन करना चाहिए. क्योंकि यह दुर्गा मां का यह रूप अविवाहित माना जाता है. इस दिन माता रानी की पूजा करने से भक्तों को अपने सभी कामों में सफलता मिलती है. नवरात्रि के दूसरे दिन भक्तों को हरे रंग के वस्त्र पहनकर माता रानी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. इस दिन माता रानी को शक्कर का भोग लगाया जाता है, जिससे माता रानी प्रसन्न हो जाती हैं.

नवरात्रि के तीसरा दिन चंद्रघंटा की आराधना: दुर्गा मां का तीसरा रूप चंद्रघंटा माता को माना जाता है. इस दिन भूरे रंग के वस्त्र पहनकर माता रानी की पूजा करनी चाहिए. माता रानी को दूध से बनी मिठाइयां काफी पसंद हैं. तो इस दिन भक्त दूध से बनी मिठाई का ही भोग लगाएं. शंख ध्वनि जरूर करनी चाहिए. इससे रोग दोष दूर होते हैं. माता की पूजी विधि-विधान से करने से संतान की प्राप्ति भी होती है. इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन जरूर करवाना चाहिए. ऐसा करने से माता रानी भक्तों को प्रसन्न होकर मनोवांछित फल देती हैं.

मां कुष्मांडा को समर्पित है नवरात्रि का चौथा दिन: नवरात्रि के चौथे दिन भक्त मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना करते हैं. माता कुष्मांडा को नारंगी रंग पसंद है. इस दिन भक्तों को नारंगी रंग के कपड़े पहनकर माता रानी की पूजा करना चाहिए. माता कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाया जाता है. माता रानी की पूजा करने से घर-परिवार में खुशहाली आती है. परिवार पर वायु का प्रकोप है तो माता की पूजा करने से काला जादू खत्म हो जाता है.

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नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा-अर्चना: ज्योतिषाचार्य विश्वनाथ ने बताया कि शास्त्रों में बताया गया है कि स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता है.मां की पूजा अर्चना से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. जो भी भक्त स्कंदमाता की पूजा करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. माता रानी को केले का भोग पसंद है. तो इस दिन पूजा-अर्चना करते समय माता रानी को केले का भोग लगाएं. माता रानी अपने सभी भक्तों की शारीरिक समस्या को दूर कर देती हैं.

नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित: कात्यानी माता शेर की सवारी करती हैं. माता की पूजा करने से भक्तों को कष्टों से मुक्ति मिलती है. माता रानी शत्रुओं का नाश करती है. माता कात्यायनी को लाल रंग पसंद है. इस दिन कात्यानी माता की पूजा लाल रंग के कपड़े पहन कर करें. माता रानी अपने भक्तों के भय और दुखों को हर लेती हैं. इस दिन माता रानी को शहद का भोग लगाएं.

सातवें दिन होती है कालरात्रि की पूजा: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि नवरात्रि का सातवां दिन मां दुर्गा को समर्पित है. मान्यता है कि यह मां दुर्गा का सबसे आक्रामक रूप होता है. जिसके चलते भक्त माता कालरात्रि की पूजा अर्चना करते हैं. माता रानी अपने आशीर्वाद से भक्तों के दुश्मनों का सर्वनाश करती हैं. मां कालरात्रि को गुड़ का भोग पसंद है. माता को प्रसन्न करके भक्त अपने सभी प्रकार के संकटों को दूर करती हैं.

नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की आराधना: इस दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा की जाती है. महागौरी को गुलाबी रंग काफी प्रिय है. इस दिन भक्तों को गुलाबी रंग के कपड़े पहन कर महागौरी की पूजा करनी चाहिए. महागौरी की पूजा संतान प्राप्ति के लिए की जाती है. इस दिन माता को नारियल का भोग लगाया जाता है. नारियल को दान भी किया जाता है. इस दिन आठ कन्याओं की पूजा भी की जाती है.

सिद्धिदात्री को समर्पित है नवरात्रि का नौवां दिन: सिद्धिदात्री देवी कमल के फूल पर विराजमान होती हैं. मान्यता है कि जो भी भक्त माता रानी की पूजा करते हैं, उनको सिद्धिदात्री का आशीर्वाद मिल जाता है. माता रानी को बैंगनी रंग प्रिय है. माता रानी को तिल काफी प्रिय होता है. इसलिए पूजा के दौरान तिल का भोग जरूर लगाएं. ऐसा करने से माता अपने भक्तों की मनोकामना को पूरा करती हैं. इन नौ दिनों में माता रानी की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से वरदायनी माता आपके परिवार को आशीर्वाद देती है और आपके घर से विदा होती हैं.

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Last Updated : Oct 15, 2023, 6:20 AM IST
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