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Sawan 2023: इस साल 2 महीने तक चलेगा सावन, 19 साल बाद बन रहा ये अद्भुत संयोग, जमकर बरसेगी भगवान भोले की कृपा

हिंदू धर्म में सावन के महीने का बहुत बड़ा महत्व है. इस मास में भगवान शिव की सबसे ज्यादा पूजा की जाती है. शिव भक्तों के लिए खुशी की बात ये है कि इस बार सावन दो महीने तक चलेगा.

sawan 2023
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Published : Jul 1, 2023, 7:50 AM IST

करनाल: हिंदू धर्म में पंचांग के आधार पर दिनों की गणना की जाती है. उस आधार पर ही हर व्रत और त्योहार को मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदू वर्ष का पांचवा महीना सावन का होता है. सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है. इसी महीने में शिवरात्रि भी मनाई जाती है. शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए शिवभक्त कांवड़ यात्रा भी करते हैं.

ये भी पढ़ें- Asadhi Purnima 2023 : असाढ़ी पूर्णिमा पर नदियों में स्नान व दान का है खास महत्व, चंद्र दोष खत्म करने के लिए करें पूजा

इस बार सावन महीने की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है. इसका समापन 31 अगस्त को होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदू वर्ष के पांचवे महीने में सावन की शुरुआत कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से होती है. इस बार 4 जुलाई को कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा पड़ रही है. इसलिए सावन महीने की शुरुआत 4 जुलाई से होगी, जबकि इसका समापन 31 अगस्त को होगा.

2 महीने का होगा सावन: शिव भक्तों के लिए खुशी की बात ये है कि अबकी बार सावन एक नहीं बल्कि दो महीने का होगा. मतलब ये कि इस बार शिव भक्तों को भगवान शिव की आराधना के लिए 58 दिन मिलेंगे. इन दो महीनों में 8 सोमवार भी शामिल हैं. ज्योतिषाचार्य के अनुसार 2 महीने के सावन का शुभ संयोग 19 सालों बाद बन रहा है. जो काफी शुभ है.

सावन महीने का महत्व: सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित किया जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि जो भी इंसान सावन के महीने के सोमवार के व्रत रखता है. उनका विवाहित जीवन काफी खुशनुमा होता है. जो कुंवारी कन्या सोमवार का व्रत रखती है. उसको मनचाहा वर मिलता है. सोमवार के दिन व्रत रखने से भगवान भोलेनाथ की कृपा उनके साथ बनी रहती है और उनके परिवार में सुख समृद्धि होती है.

ये भी पढ़ें- जया पार्वती व्रत 2023 : ऐसे की जाती है माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की पूजा, ऐसे करें पारण

शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव को खुश करने के लिए भगवान शिव पर धतूरा, चंदन, बेल पत्थर, शहद आदि चढ़ाना चाहिए. भगवान शिव को ये बहुत ही ज्यादा पसंद है. जिसे भगवान शिव अपने भक्तों से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और उन पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि सावन महीने में सोमवार के व्रत रखने से इंसान की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत हो जाती है. जिससे उसका स्वास्थ्य अच्छा होता है. सावन के महीने में भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा-अर्चना करनी चाहिए.

सावन महीने के दौरान आएगा मलमास: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार 2023 का सावन का महीना 58 दिन का रहने वाला है. जो 4 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक रहेगा. इसे मलमास भी कहा जाता है. मलमास की शुरुआत 18 जुलाई से होगी, जबकि इसका समापन 16 अगस्त को होगा. इसलिए सावन के महीने में मलमास होने के चलते भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा अर्चना करनी चाहिए.

हिंदू पंचांग की गणना चंद्रमास और सौर मास के आधार पर की जाती है. वैदिक पंचांग में सौर मास 365 दिन का होता है, जबकि चंद्रमा मास 354 दिनों का होता है. इसलिए हिंदू पंचांग के अनुसार 1 साल में 11 दिन का अंतर आता है और 3 साल मे ये अंतर मिलाकर 33 दिन का हो जाता है. इन बढ़े हुए दिनों को ही अधिक मास कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदू वर्ष में हर तीसरे साल एक अतिरिक्त महीना होता है. जिसे अधिक मास या मलमास कहा जाता है.

ये भी पढ़ें- Kokila Vrat 2023 : ऐसे रखें कोकिला व्रत, जानें व्रत से जुड़ी खास बातें

सावन महीने के व्रत और त्योहार: सावन महीने में कुछ प्रमुख व्रत और त्योहार आने वाले हैं. जो इस प्रकार हैं. सावन महीने का आरंभ 4 जुलाई से हो रहा है, इसलिए 6 जुलाई को संकष्टी चतुर्थी, 13 जुलाई को कामिका एकादशी, 14 जुलाई को प्रदोष व्रत, 15 जुलाई को मासिक शिवरात्रि, 16 जुलाई को कर्क संक्रांति, 17 जुलाई को श्रावण अमावस्या, 29 जुलाई को पद्मिनी एकादशी, 30 जुलाई को प्रदोष व्रत, 1 अगस्त को पूर्णिमा व्रत, 4 अगस्त को संकष्टी चतुर्थी, 12 अगस्त को परम एकादशी, 13 अगस्त को प्रदोष व्रत, 14 अगस्त को मासिक शिवरात्रि, 16 अगस्त को अमावस्या, 17 अगस्त को सिंह संक्रांति, 19 अगस्त को हरियाली तीज, 21 अगस्त को नाग पंचमी, 27 अगस्त को श्रावण पुत्रदा एकादशी, 28 अगस्त को प्रदोष व्रत, 29 अगस्त को ओणम/थिरुवोणम, 30 अगस्त को रक्षा बंधन, 31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ सावन के महीने का समापन हो जाएगा.

करनाल: हिंदू धर्म में पंचांग के आधार पर दिनों की गणना की जाती है. उस आधार पर ही हर व्रत और त्योहार को मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदू वर्ष का पांचवा महीना सावन का होता है. सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है. इसी महीने में शिवरात्रि भी मनाई जाती है. शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए शिवभक्त कांवड़ यात्रा भी करते हैं.

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इस बार सावन महीने की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है. इसका समापन 31 अगस्त को होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदू वर्ष के पांचवे महीने में सावन की शुरुआत कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से होती है. इस बार 4 जुलाई को कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा पड़ रही है. इसलिए सावन महीने की शुरुआत 4 जुलाई से होगी, जबकि इसका समापन 31 अगस्त को होगा.

2 महीने का होगा सावन: शिव भक्तों के लिए खुशी की बात ये है कि अबकी बार सावन एक नहीं बल्कि दो महीने का होगा. मतलब ये कि इस बार शिव भक्तों को भगवान शिव की आराधना के लिए 58 दिन मिलेंगे. इन दो महीनों में 8 सोमवार भी शामिल हैं. ज्योतिषाचार्य के अनुसार 2 महीने के सावन का शुभ संयोग 19 सालों बाद बन रहा है. जो काफी शुभ है.

सावन महीने का महत्व: सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित किया जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि जो भी इंसान सावन के महीने के सोमवार के व्रत रखता है. उनका विवाहित जीवन काफी खुशनुमा होता है. जो कुंवारी कन्या सोमवार का व्रत रखती है. उसको मनचाहा वर मिलता है. सोमवार के दिन व्रत रखने से भगवान भोलेनाथ की कृपा उनके साथ बनी रहती है और उनके परिवार में सुख समृद्धि होती है.

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शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव को खुश करने के लिए भगवान शिव पर धतूरा, चंदन, बेल पत्थर, शहद आदि चढ़ाना चाहिए. भगवान शिव को ये बहुत ही ज्यादा पसंद है. जिसे भगवान शिव अपने भक्तों से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और उन पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि सावन महीने में सोमवार के व्रत रखने से इंसान की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत हो जाती है. जिससे उसका स्वास्थ्य अच्छा होता है. सावन के महीने में भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा-अर्चना करनी चाहिए.

सावन महीने के दौरान आएगा मलमास: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार 2023 का सावन का महीना 58 दिन का रहने वाला है. जो 4 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक रहेगा. इसे मलमास भी कहा जाता है. मलमास की शुरुआत 18 जुलाई से होगी, जबकि इसका समापन 16 अगस्त को होगा. इसलिए सावन के महीने में मलमास होने के चलते भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा अर्चना करनी चाहिए.

हिंदू पंचांग की गणना चंद्रमास और सौर मास के आधार पर की जाती है. वैदिक पंचांग में सौर मास 365 दिन का होता है, जबकि चंद्रमा मास 354 दिनों का होता है. इसलिए हिंदू पंचांग के अनुसार 1 साल में 11 दिन का अंतर आता है और 3 साल मे ये अंतर मिलाकर 33 दिन का हो जाता है. इन बढ़े हुए दिनों को ही अधिक मास कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदू वर्ष में हर तीसरे साल एक अतिरिक्त महीना होता है. जिसे अधिक मास या मलमास कहा जाता है.

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सावन महीने के व्रत और त्योहार: सावन महीने में कुछ प्रमुख व्रत और त्योहार आने वाले हैं. जो इस प्रकार हैं. सावन महीने का आरंभ 4 जुलाई से हो रहा है, इसलिए 6 जुलाई को संकष्टी चतुर्थी, 13 जुलाई को कामिका एकादशी, 14 जुलाई को प्रदोष व्रत, 15 जुलाई को मासिक शिवरात्रि, 16 जुलाई को कर्क संक्रांति, 17 जुलाई को श्रावण अमावस्या, 29 जुलाई को पद्मिनी एकादशी, 30 जुलाई को प्रदोष व्रत, 1 अगस्त को पूर्णिमा व्रत, 4 अगस्त को संकष्टी चतुर्थी, 12 अगस्त को परम एकादशी, 13 अगस्त को प्रदोष व्रत, 14 अगस्त को मासिक शिवरात्रि, 16 अगस्त को अमावस्या, 17 अगस्त को सिंह संक्रांति, 19 अगस्त को हरियाली तीज, 21 अगस्त को नाग पंचमी, 27 अगस्त को श्रावण पुत्रदा एकादशी, 28 अगस्त को प्रदोष व्रत, 29 अगस्त को ओणम/थिरुवोणम, 30 अगस्त को रक्षा बंधन, 31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ सावन के महीने का समापन हो जाएगा.

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