करनाल: इस साल रबी सीजन में गेहूं उत्पादन फिर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है. ये चौथी बार है, जब देश में लगातार गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. कृषि मंत्रालय द्वारा जारी अनुमान के अनुसार अब तक 107.2 मिलियन टन गेहूं उत्पादन हुआ है. जो चौथे और अंतिम अनुमान में और बढ़ने की उम्मीद है. गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन में हरियाणा के भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान का अहम योगदान है. जिसकी उन्नत किस्म के कारण ही देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है.
देश में लगातार चौथी बार गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन
करनाल स्थित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान देश का इकलौता अनुसंधान केंद्र है. जहां विकसित गेहूं की उत्तम किस्में विकसित की जाती हैं. इन्हीं किस्मों का गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन में अहम योगदान है. संस्थान का कहना है कि अगर मौसम अनुकूल रहता तो इस बार गेहूं उत्पादन 110 मिलियन टन की नई ऊंचाइयों को छू सकता था.
36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई
देश में इस साल गेहूं खेती का रकबा बढ़ने की वजह से भी गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होने अनुमान लगाया गया था. राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि जनवरी अंत तक तीन करोड़ 36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई हुई थी.
पिछले साल इसी दौरान गेहूं का ये रकबा दो करोड़ 99 लाख और इसके अलावा संस्थान ने कई ऐसी किस्में विकसित की हैं, जो ना केवल ज्यादा उत्पादन देती हैं बल्कि कम पानी और बीमारी रोधी भी हैं. किसानों ने बड़े पैमाने पर इन किस्मों की अपने खेतों में बिजाई की. जिससे इस बार गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है.
'किसान संभालेगा देश की अर्थव्यवस्था'
राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि कोरोना काल में कृषि देश की अर्थव्यवस्था में एक मजबूत स्तंभ बनकर उभरी है. अर्थव्यवस्था की धीमी गति को कृषि ही ऊंचा उठा सकती है. यही एक ऐसा क्षेत्र है, जो आने वाले दिनों में देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देगा.
डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप ने कहा कि कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं है. हमारे पास खाद्यान्न के पर्याप्त भंडार मौजूद हैं. कोई व्यक्ति भूखा नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि हमारे संस्थान में गेहूं की नई किस्म पर लगातार काम चल रहा है.
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