करनाल: इस साल हिंदू पंचांग के अनुसार बहन भाई के प्रेम के प्रतीक का त्योहार रक्षाबंधन सावन की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है जो 30 अगस्त को मनाया जाएगा. इस दिन सभी बहनें अपने भाई को राखी बांधकर उनकी लंबी आयु की कामना करती है और भाई इस राखी के बंधन से यह प्रण लेता है कि वह हर विपदा में अपनी बहन की रक्षा करेगा. इस बार रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त को लेकर कुछ लोगों में असमंजस की स्थिति भी दिखाई दे रही है. क्योंकि इस बार रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल का साया रहेगा. माना जाता है कि भद्रा काल में बहन को अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांधनी चाहिए, वह अशुभ माना जाता है. तो आइए जानते हैं रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त क्या है.
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रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि, हिंदू पंचांग के अनुसार 30 अगस्त के दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है. इस दिन पूर्णमासी का आरंभ 30 अगस्त को सुबह 10:59 बजे से शुरू होगा, जबकि इसका समापन अगले दिन सुबह 7:04 बजे होगा. वहीं, इस दिन भद्रा कल भी लगेगा जिसकी शुरुआत 30 अगस्त पूर्णमासी की शुरुआत होते ही 10:59 बजे से शुरू होकर रात के 9:02 बजे खत्म होगा. काफी सालों बाद रक्षाबंधन के दिन भद्रा का इतना लंबा समय दिखाई दे रहा है, जो अशुभ माना जा रहा है.
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त: ज्योतिष आचार्य पंडित विश्वनाथ कहते हैं कि, जब भद्रा काल समाप्त हो जाए 30 अगस्त रात के 9:02 बजे के बाद और मध्य रात्रि 12:28 से पहले बहन अपने भाई को राखी बांध सकती है. यह प्रदोष काल मुहूर्त है जो सबसे शुभ है. उसके बाद अगर कोई बहन अपने भाई को राखी बांधना चाहती है, रक्षाबंधन का त्योहार सावन महीने की पूर्णमासी को मनाया जाता है. इसलिए पूर्णमासी 31 अगस्त को सुबह 7:04 बजे तक है. 31 अगस्त को सूर्योदय से सुबह 7:04 तक का रक्षाबंधन मनाया जा सकता है.
भद्राकाल में राखी बांधने से बचें: ज्योतिष आचार्य ने बताया कि, भद्रा काल में श्रावणी पर्व मनाना भी अशुभ माना जाता है. उन्होंने कहा कि, भूल कर भी रक्षाबंधन को भद्राकाल में नहीं मानना चाहिए यह बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है. पंडित विश्वनाथ ने बताया कि, पौराणिक समय से कथा चलती आ रही है कि भद्रा काल में लंकापति रावण की बहन ने रावण को राखी बांधी थी और उसी वर्ष भगवान श्री राम के द्वारा रावण का वध किया गया था. तब से यह मान्यता चलती आ रही है कि रक्षाबंधन के दिन कोई भी बहन अपने भाई को भद्रा काल में राखी नहीं बांधती.
राखी बांधने की विधि: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि, रक्षाबंधन के दिन शुभ मुहूर्त के भाई को राखी बांधने से पहले बहन और भाई दोनों को स्नान करके साफ सुथरा कपड़े पहनने चाहिए. उसके बाद बहन के द्वारा थाली को अच्छे से सजाया जाना चाहिए. सजाई गई थाली में देसी घी का दीपक पहले खाली घर के मंदिर में रखनी चाहिए और अपने इष्ट देवता बाल गोपाल को राखी अर्पित करनी चाहिए.
ऐसे सजाएं थाली: सजाई गई थाली में रोली कुमकुम, पीली सरसों के बीज, अक्षत, दीपक और राखी रखनी चाहिए, राखी बांधते समय भाई का मुंह पूरा दिशा में होना चाहिए.उसके बाद बहन को अपने भाई को तिलक लगाकर उसके दाहिने हाथ में राखी बांधने चाहिए राखी बांधने के बाद ही बहन अपने भाई की आरती उतारे, और उसके बाद भाई को मिठाई खिलाए. अगर भाई बहन से बड़ा है तो बहन को अपने भाई के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए. वहीं अगर बहन भाई से बड़ी है तो भाई को अपनी बहन के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए. और भाई को अपनी समर्थन अनुसार बहन को हर के तौर पर कोई भेंट देनी चाहिए.
भाई को राखी बांधते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए: मान्यता है कि राखी बांधते समय मंत्र का उच्चारण करना बहुत महत्वपूर्ण होता है. राखी बांधते समय इस मंत्र का उच्चारण शुभ माना गया है.
ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।