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कुरुक्षेत्र के किसान रणधीर ने रचा इतिहास, किचन गार्डनिंग में किया कई कीर्तिमान स्थापित - KURUKSHETRA FARMER RANDHIR SINGH

कुरुक्षेत्र के किसान रणधीर सिंह कई सालों से किचन गार्डनिंग कर रहे हैं. किचन गार्डनिंग में उन्हें कई अवॉर्ड भी मिल चुके हैं.

Success story of Kurukshetra farmer Randhir Singh
कुरुक्षेत्र के किसान ने रचा इतिहास (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 3, 2025, 7:50 AM IST

Updated : Feb 3, 2025, 9:59 AM IST

कुरुक्षेत्र: इन दिनों लोगों की थाली से ऑर्गेनिक सब्जियां लगभग खत्म हो चुकी है. हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो आज के दौर में भी किचन गार्डनिंग करके आर्गेनिक सब्जियों को उगाकर खाते हैं. ऐसे लोगों में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो सिर्फ अपने लिए ही किचन गार्डनिंग करते हैं. हालांकि कुछ लोग अपने साथ-साथ आस-पास के लोगों के लिए भी किचन गार्डनिंग करते हैं. तो कई लोग किचन गार्डनिंग में कीर्तिमान स्थापित कर लेते हैं.

कुरुक्षेत्र के किसान ने रचा इतिहास: ऐसे लोगों में कैथल जिले के रणधीर सिंह भी हैं. रणधीर सिंह पिछले कई दशक से किचन गार्डनिंग कर रहे हैं. इन्होंने अब तक किचन गार्डनिंग में लगभग 35 तरह की सब्जियां उगाई है. किचन गार्डन के जरिए रणधीर ने 16 बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है. वो ऑर्गेनिक तरीके से खेती करते हैं. किचन गार्डनिंग को ऑर्गेनिक तरीके से करने के चलते भारत में सबसे पहले रणधीर को ऑर्गेनिक खेती करने का राष्ट्रीय अवार्ड भी मिल चुका है. खास बात यह है कि रणधीर ने ये सारे कीर्तिमान ऑर्गेनिक खेती करके स्थापित किया है.

कुरुक्षेत्र के रणधीर की किचन गार्डनिंग (ETV Bharat)

साल 1992 में शुरू किया किचन गार्डनिंग: ईटीवी भारत ने किसान रणधीर सिंह से बातचीत की. उन्होंने बताया, "मैं पहले कैथल के जाजनपुर गांव में रहता था. वहां स्कूल टाइम से ही मुझे खेती करना पसंद था. थोड़ी बहुत पढ़ाई के बाद मैंने खेती का रूख किया. साल 1972 में अपनी पुश्तैनी जमीन पर मैंने खेती करनी शुरू कर दी, लेकिन बच्चे बड़े होने के बाद जब मैं नौकरी के लिए कैथल छोड़कर कुरुक्षेत्र में रहने लगा तो मुझे थोड़ी दिक्कत हुई. खरीदकर जो सब्जियां आती थी, उसे खाकर मुझे उल्टी होने लगी. इसके बाद मैंने मन बना लिया था कि अब खुद ही प्राकृतिक तरीके से ऑर्गेनिक खेती करूंगा. खुद भी स्वस्थ रहूंगा और अपने परिवार को भी स्वस्थ रखूंगा."

Randhir potatoes Farming
आलू की खेती करते रणधीर (ETV Bharat)

"साल 1992 में अपने घर के बाहर मैंने किचन गार्डनिंग शुरू की. वो भी बिल्कुल ऑर्गेनिक तरीके से. किचन गार्डन में इतनी मेहनत की कि वहां पर लगाई गई फसल पूरे भारत में मशहूर हो गई. अब मेरा मकसद है कि भारत के और भी किसान ऑर्गेनिक तरीके से खेती करें. जैसे ही नए-नए प्रयोग करके उन्होंने किचन गार्डन में ही कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं, ऐसे ही अन्य किसान भी खेती करके उसको मुनाफे का सौदा बनाएं और थोड़ी ही जगह में अच्छा मुनाफा ले." -रणधीर सिंह, किसान

किचन गार्डन में उगाते हैं 35 तरह की सब्जियां: किसान रणधीर सिंह ने आगे कहा, "मैंने छोटे स्तर पर किचन गार्डनिंग शुरू किया था. अब हमारे पास एक समय में आलू, रतालू, टमाटर, गोभी, गिया, मटर, बंद गोभी, ब्रोकली ,लहसुन ,प्याज ,लौकी, पालक , मेथी, नींबू, चुकंदर ,मूली, गाजर, धनिया, तोरी सहित करीब 35 तरह की सब्जियां हैं. इसके साथ ही मैंने कई तरह के जड़ी-बूटी भी लगा रखे हैं. इसमें भी मुझे अवॉर्ड मिल चुका है. जो कि ऑर्गेनिक तरीके से तैयार किया जाता है. इतना ही नहीं सब्जियों के साथ-साथ गन्ना और कई प्रकार के फल भी लगाए हुए हैं. यह फल और अन्य फसलें भी ऑर्गेनिक तरीके से तैयार किए गए हैं, जो कि खाने में स्वादिष्ट भी होते ही हैं. साथ ही उसकी गुणवत्ता भी काफी अच्छी होती है. हालांकि अब उनकी उम्र भी काफी अधिक हो गई है. बावजूद इसके मैं किचन गार्डनिंग कर रहा हूं. मैं दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करता हूं, ताकि वो शुद्ध सब्जी खाकर स्वस्थ्य रहें."

Randhir garlic Farming
लहसुन की खेती करते रणधीर (ETV Bharat)

16 बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज: किसान रणधीर सिंह किचन गार्डन में लगाई गई सब्जी और अन्य फसलों में नवाचार के लिए 16 बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा चुके हैं, जो कि एक बड़ी उपलब्धि है.

Randheer gourd Farming
लौकी की खेती करते रणधीर (ETV Bharat)

इन खेती में दर्ज कराया रिकॉर्ड: किसान रणधीर सिंह ने इस बारे में कहा, "भारत में सबसे लंबी लौकी 6 फुट 2 इंच की तैयार करने के लिए मेरा नाम चार बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है. लहसुन में भी दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है. भारत में सबसे पहले लहसुन की एक गांठ 500 ग्राम और 700 ग्राम की तैयार करने के लिए मुझे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड मिला था. कोरोना काल में मैंने 920 ग्राम का लहसुन तैयार किया था, लेकिन महामारी के चलते उस समय लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड नहीं दिया गया. करेला में भी मुझे दो लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड मिले हैं, जबकि शलगम में भी दो लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड मिले हुए हैं. अरबी में भी लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड मिला हुआ है.एक अरबी की गांठ 3 किलो 250 ग्राम की तैयार की थी. एक सतावर और दो रतालू में भी लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड का किताब अपने नाम दर्ज करवाया है. ऐसे ही कुल 16 बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में मैंने अपना नाम दर्ज करवाया है."

Kurukshetra Randhir Kitchen gardening
रणधीर की किचन गार्डनिंग (ETV Bharat)

ऑर्गेनिक खेती में मिल चुका राष्ट्रीय पुरस्कार: किसान रणधीर सिंह ने कहा, "साल 1992 से ऑर्गेनिक तरीके से खेती कर रहा हूं, जिसके कारण साल 2001 में सरकार की ओर से ऑर्गेनिक तरीके से खेती करने के लिए मुझे नेशनल अवार्ड से नवाजा गया. सब्जियों को लेकर हरियाणा और पंजाब किसान मेलों में जाते हैं, जिसके चलते मुझे 219 बार फर्स्ट और सेकेन्ड अवॉर्ड मिला है. हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार की ओर से मुझे कृषि रतन और राय बहादुर जैसे बड़े पुरस्कार भी मिले हैं."

फ्री में किसानों को देते हैं बीज: रणधीर सिंह ने आगे कहा, "अब मेरा मकसद है कि मेरे साथ-साथ अन्य किसान भी ऑर्गेनिक तरीके से खेती करें. अपने किचन गार्डन में किसी भी प्रकार के रसायन का प्रयोग न करें. मैं जीव अमृत घोलमृत बनाकर उनका प्रयोग करता हूं. या देसी खाद का इस्तेमाल करता हूं. इससे पैदावार अच्छी होती है. रसायन के प्रयोग से हमारी फसलें और सब्जियों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है, हालांकि पैदावार अधिक होती है. लेकिन उससे स्वास्थ्य खराब होता है. अवॉर्डी सब्जियों के बीज फ्री में मैं किसानों को देता हूं. ताकि वो भी इस तरह की खेती कर अच्छी खासी कमाई करे. मेरी लोगों से अपील है कि ऑर्गेनिक ही खाएं और स्वस्थ्य रहें और दूसरे को भी स्वस्थ रखें."

यानी कि कुरुक्षेत्र के किसान रणधीर किचन गार्डेनिंग में ऑर्गेनिक तरीके से सब्जियां उगाकर इन्होंने कई कीर्तिमान अपने नाम किए हैं.

ये भी पढ़ें:करनाल के पधाना का टमाटर है खास, पाकिस्तान भी है दिवाना, रिलायंस जैसी कंपनी आती है खेत तक माल खरीदने

ये भी पढ़ें:करनाल में इंजीनियर बना किसान, नौकरी के साथ कर रहा आधुनिक खेती, दूसरे किसानों के लिए बना मिसाल

कुरुक्षेत्र: इन दिनों लोगों की थाली से ऑर्गेनिक सब्जियां लगभग खत्म हो चुकी है. हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो आज के दौर में भी किचन गार्डनिंग करके आर्गेनिक सब्जियों को उगाकर खाते हैं. ऐसे लोगों में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो सिर्फ अपने लिए ही किचन गार्डनिंग करते हैं. हालांकि कुछ लोग अपने साथ-साथ आस-पास के लोगों के लिए भी किचन गार्डनिंग करते हैं. तो कई लोग किचन गार्डनिंग में कीर्तिमान स्थापित कर लेते हैं.

कुरुक्षेत्र के किसान ने रचा इतिहास: ऐसे लोगों में कैथल जिले के रणधीर सिंह भी हैं. रणधीर सिंह पिछले कई दशक से किचन गार्डनिंग कर रहे हैं. इन्होंने अब तक किचन गार्डनिंग में लगभग 35 तरह की सब्जियां उगाई है. किचन गार्डन के जरिए रणधीर ने 16 बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है. वो ऑर्गेनिक तरीके से खेती करते हैं. किचन गार्डनिंग को ऑर्गेनिक तरीके से करने के चलते भारत में सबसे पहले रणधीर को ऑर्गेनिक खेती करने का राष्ट्रीय अवार्ड भी मिल चुका है. खास बात यह है कि रणधीर ने ये सारे कीर्तिमान ऑर्गेनिक खेती करके स्थापित किया है.

कुरुक्षेत्र के रणधीर की किचन गार्डनिंग (ETV Bharat)

साल 1992 में शुरू किया किचन गार्डनिंग: ईटीवी भारत ने किसान रणधीर सिंह से बातचीत की. उन्होंने बताया, "मैं पहले कैथल के जाजनपुर गांव में रहता था. वहां स्कूल टाइम से ही मुझे खेती करना पसंद था. थोड़ी बहुत पढ़ाई के बाद मैंने खेती का रूख किया. साल 1972 में अपनी पुश्तैनी जमीन पर मैंने खेती करनी शुरू कर दी, लेकिन बच्चे बड़े होने के बाद जब मैं नौकरी के लिए कैथल छोड़कर कुरुक्षेत्र में रहने लगा तो मुझे थोड़ी दिक्कत हुई. खरीदकर जो सब्जियां आती थी, उसे खाकर मुझे उल्टी होने लगी. इसके बाद मैंने मन बना लिया था कि अब खुद ही प्राकृतिक तरीके से ऑर्गेनिक खेती करूंगा. खुद भी स्वस्थ रहूंगा और अपने परिवार को भी स्वस्थ रखूंगा."

Randhir potatoes Farming
आलू की खेती करते रणधीर (ETV Bharat)

"साल 1992 में अपने घर के बाहर मैंने किचन गार्डनिंग शुरू की. वो भी बिल्कुल ऑर्गेनिक तरीके से. किचन गार्डन में इतनी मेहनत की कि वहां पर लगाई गई फसल पूरे भारत में मशहूर हो गई. अब मेरा मकसद है कि भारत के और भी किसान ऑर्गेनिक तरीके से खेती करें. जैसे ही नए-नए प्रयोग करके उन्होंने किचन गार्डन में ही कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं, ऐसे ही अन्य किसान भी खेती करके उसको मुनाफे का सौदा बनाएं और थोड़ी ही जगह में अच्छा मुनाफा ले." -रणधीर सिंह, किसान

किचन गार्डन में उगाते हैं 35 तरह की सब्जियां: किसान रणधीर सिंह ने आगे कहा, "मैंने छोटे स्तर पर किचन गार्डनिंग शुरू किया था. अब हमारे पास एक समय में आलू, रतालू, टमाटर, गोभी, गिया, मटर, बंद गोभी, ब्रोकली ,लहसुन ,प्याज ,लौकी, पालक , मेथी, नींबू, चुकंदर ,मूली, गाजर, धनिया, तोरी सहित करीब 35 तरह की सब्जियां हैं. इसके साथ ही मैंने कई तरह के जड़ी-बूटी भी लगा रखे हैं. इसमें भी मुझे अवॉर्ड मिल चुका है. जो कि ऑर्गेनिक तरीके से तैयार किया जाता है. इतना ही नहीं सब्जियों के साथ-साथ गन्ना और कई प्रकार के फल भी लगाए हुए हैं. यह फल और अन्य फसलें भी ऑर्गेनिक तरीके से तैयार किए गए हैं, जो कि खाने में स्वादिष्ट भी होते ही हैं. साथ ही उसकी गुणवत्ता भी काफी अच्छी होती है. हालांकि अब उनकी उम्र भी काफी अधिक हो गई है. बावजूद इसके मैं किचन गार्डनिंग कर रहा हूं. मैं दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करता हूं, ताकि वो शुद्ध सब्जी खाकर स्वस्थ्य रहें."

Randhir garlic Farming
लहसुन की खेती करते रणधीर (ETV Bharat)

16 बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज: किसान रणधीर सिंह किचन गार्डन में लगाई गई सब्जी और अन्य फसलों में नवाचार के लिए 16 बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा चुके हैं, जो कि एक बड़ी उपलब्धि है.

Randheer gourd Farming
लौकी की खेती करते रणधीर (ETV Bharat)

इन खेती में दर्ज कराया रिकॉर्ड: किसान रणधीर सिंह ने इस बारे में कहा, "भारत में सबसे लंबी लौकी 6 फुट 2 इंच की तैयार करने के लिए मेरा नाम चार बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है. लहसुन में भी दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है. भारत में सबसे पहले लहसुन की एक गांठ 500 ग्राम और 700 ग्राम की तैयार करने के लिए मुझे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड मिला था. कोरोना काल में मैंने 920 ग्राम का लहसुन तैयार किया था, लेकिन महामारी के चलते उस समय लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड नहीं दिया गया. करेला में भी मुझे दो लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड मिले हैं, जबकि शलगम में भी दो लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड मिले हुए हैं. अरबी में भी लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड मिला हुआ है.एक अरबी की गांठ 3 किलो 250 ग्राम की तैयार की थी. एक सतावर और दो रतालू में भी लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड का किताब अपने नाम दर्ज करवाया है. ऐसे ही कुल 16 बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में मैंने अपना नाम दर्ज करवाया है."

Kurukshetra Randhir Kitchen gardening
रणधीर की किचन गार्डनिंग (ETV Bharat)

ऑर्गेनिक खेती में मिल चुका राष्ट्रीय पुरस्कार: किसान रणधीर सिंह ने कहा, "साल 1992 से ऑर्गेनिक तरीके से खेती कर रहा हूं, जिसके कारण साल 2001 में सरकार की ओर से ऑर्गेनिक तरीके से खेती करने के लिए मुझे नेशनल अवार्ड से नवाजा गया. सब्जियों को लेकर हरियाणा और पंजाब किसान मेलों में जाते हैं, जिसके चलते मुझे 219 बार फर्स्ट और सेकेन्ड अवॉर्ड मिला है. हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार की ओर से मुझे कृषि रतन और राय बहादुर जैसे बड़े पुरस्कार भी मिले हैं."

फ्री में किसानों को देते हैं बीज: रणधीर सिंह ने आगे कहा, "अब मेरा मकसद है कि मेरे साथ-साथ अन्य किसान भी ऑर्गेनिक तरीके से खेती करें. अपने किचन गार्डन में किसी भी प्रकार के रसायन का प्रयोग न करें. मैं जीव अमृत घोलमृत बनाकर उनका प्रयोग करता हूं. या देसी खाद का इस्तेमाल करता हूं. इससे पैदावार अच्छी होती है. रसायन के प्रयोग से हमारी फसलें और सब्जियों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है, हालांकि पैदावार अधिक होती है. लेकिन उससे स्वास्थ्य खराब होता है. अवॉर्डी सब्जियों के बीज फ्री में मैं किसानों को देता हूं. ताकि वो भी इस तरह की खेती कर अच्छी खासी कमाई करे. मेरी लोगों से अपील है कि ऑर्गेनिक ही खाएं और स्वस्थ्य रहें और दूसरे को भी स्वस्थ रखें."

यानी कि कुरुक्षेत्र के किसान रणधीर किचन गार्डेनिंग में ऑर्गेनिक तरीके से सब्जियां उगाकर इन्होंने कई कीर्तिमान अपने नाम किए हैं.

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Last Updated : Feb 3, 2025, 9:59 AM IST
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