करनाल: हरियाणा बुजुर्गों को वृद्धा पेंशन देने के मामले में (old age pension in haryana) देश के अन्य राज्यों से आगे है. प्रदेश में सबसे पहले इसकी शुरुआत तत्कालीन मुख्यमंत्री देवीलाल ने की थी. शुरू में वृद्धा पेंशन सौ रुपये दी गई थी. दो साल पहले डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने बुजुर्गों से वादा किया था कि सत्ता में आते ही बुजुर्गों की पेंशन में 51 सौ रुपये कर दूंगा. चुनाव के बाद से अब तक इसमें दो बार की बढ़त हुई है. अब राज्य में बुजुर्गों को मिलने वाली पेंशन की रकम ढाई हजार रुपये हो चुकी है, लेकिन राज्य के कुछ बुजुर्गों की पेंशन ही काट दी गई है. पेंशन कटने के मामले को लेकर ईटीवी भारत ने कुछ बुजुर्गों से बात कर सरकार के इस फैसले पर उनकी राय जाननी चाही कि उनका इस मसले पर क्या कहना है.
फिरोजपुर गांव के सरपंच गजे सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा पेंशन काटे (Old Age Pension Deducted In Haryana) जाने से बुजुर्गों को बड़ा झटका लगा है. क्योंकि ज्यादातर बुजुर्ग अपने बच्चों से अलग रहते हैं. ऐसे में पेंशन ही उनका एकमात्र सहारा है. उनके अकेले गांव में लगभग 20 लोगों की पेंशन काट दी गई है जो उनके पास अपनी शिकायत लेकर आते हैं. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए ताकि उनकी रोजी-रोटी चलती रहे.वहीं एक अन्य बुजुर्ग भतेरी देवी ने कहा कि गांव में ज्यादातर गरीब लोग रहते हैं. बुढ़ापे के समय हर किसी को अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए दो पैसे की जरूरत होती है. ऐसे में उनके लिए पेंशन काफी मददगार होती थी. अब जब उनकी पेंशन काट दी गई है वह गलत किया है. क्योंकि दाल रोटी से लेकर दवाई तक सभी पेंशन के ऊपर ही आश्रित थे.
ईटीवी भारत ने फिरोजपुर गांव के ही बुजुर्ग चंचल राम से भी इस बारे में बात की. पहले इन्हे भी पेंशन मिलती थी, लेकिन अब इनकी पेंशन काट दी गई है. इनका कहना है कि पेंशन के लिए जब-जब वह बैंक गए तब तब उन्हें उनकी पेंशन नहीं मिली. अंतिम बार जब वह बैंक गए तब उन्हें एक बैंक कर्मचारी ने बताया कि उनकी पेंशन काट दी गई है. उनकी पेंशन काटने का कारण यह है कि जिसकी सालाना आय दो लाख से ज्यादा है या परिवार में कोई नौकरी रहा है उन्हें पेशन नहीं मिलेगी. वहीं कुछ लोगों की यह कहकर भी पेंशन काट दी गई है कि वह अभी 60 साल के नहीं हुए हैं.
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हरियाणा में किन- किन सरकारों में बढ़ी पेंशन- हरियाणा में बुजुर्गों को दी जाने वाली पेंशन की शुरुआत देवीलाल सरकार ने की थी. उस दौरान सौ रुपये पेंशन मिला करती थी. इसके बाद साल 2004 में तत्कालीन सीएम ओमप्रकाश चौटाला ने पेंशन की इस राशि को बढ़ाकर 300 रुपये कर दिया. इसके बाद भुपेंद्र हुड्डा ने सीएम अपने कार्यकाल के दौरान पेंशन की इस राशि सात सौ रुपये की इजाफा कर दिया. जिसके बाद पेंशन की यह रकम एक हजार रुपये हो गई. साल 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने बुढ़ापा पेंशन को 2 हजार रुपये करने का वादा किया था. प्रदेश में सत्ता की कमान संभालते ही खट्टर सरकार ने हर साल 200 रुपये बढ़ाए. साल 2020 आते- आते पेंशन की यह राशि दो हजार पर पहुंच गई. अब पेंशन की इस राशि में 500 रुपये की और बढ़त हुई है. इससे बुजुर्गों को हर महीने ढाई हजार पेंशन दी जा रही है.
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