करनाल: जिस उम्र में लोग सोचना छोड़ देते हैं उस उम्र में भी 75 साल के एथलीट मुल्तान सिंह चौहान ( 75 year old athlete multan singh haryana ) ने खेलों की दुनिया में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं. मुल्तान सिंह चौहान हैमर थ्रो, शॉर्ट पुट, डिस्कस थ्रो तीन खेल खेलते हैं. साल 2015 से सीनियर नेशनल में लगातार गोल्ड लेकर भारत के नंबर वन खिलाडी रहे हैं. अब लगातार वह आगे और मुकाम हासिल करने के लिए प्रैक्टिस कर रहे हैं.
मुल्तान सिंह करनाल के शामगढ़ के रहने वाले (hammer throw player multan singh) हैं. उनका कहना है कि जब वह मात्र 17 साल के थे तब उनकी एक बाजू में फैक्चर चला गया था. इसके बाद डॉक्टर ने उनको आगे खेलने से मना कर दिया. इसके बावजूद भी उनके मन में जो खेल के प्रति प्रेम था वह कम नहीं हुआ. जब उनका बेटा गुरुदेव 12-13 साल का हुआ तब उन्होंने अपने बेटे को हैमर थ्रो का खिलाड़ी बनाया. मुल्तान सिंह का यह बेटा भी कई बार नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल घर ला चुका है. अब उनके बेटे हरियाणा पुलिस में एएसआई के पद पर तैनात हैं. फिलहलाल वे कुरुक्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे.
मुल्तान सिंह (multan singh) के दोबारा खेलने की कहानी का सिलसिला लगभग 45 साल के बाद शुरू हुआ. दरअसल उनके बेटे ने नेशनल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. वहां भी वह गोल्ड लेकर आया. इसके बाद मुल्तान सिंह के मन में भी दोबारा खेलने की आस जगी. साल 2014 में उन्होंने दोबारा प्रैक्टिस शुरू की. जब वह 68 साल के थे तब उन्होंने धर्मशाला में हुई सीनियर नेशनल प्रतियोगिता में हैमर थ्रो में गोल्ड मेडल प्राप्त किया. इसके बाद से वो लगातार अब तक सीनियर नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल करते चले आ रहे हैं.
मुल्तान सिंह के मुताबिक जब उन्होंने दोबारा 68 साल की उम्र में खेल शुरू किया. इस दौरान कुछ युवाओं ने उनका मजाक उड़ाया लेकिन जब उनका पहले ही बार में गोल्ड मेडल आ गया था तब सभी की बोलती बंद हो गई. अब हर कोई उनको गोल्ड मेडलिस्ट ताऊ बुलाता है. उन्होंने कहा कि मैने अपना हैमर थ्रो लेकर खेल शुरू किया था और खुद ही अपने गांव के सरकारी स्कूल में अपने लिए कोर्ट तैयार करवाया और प्रैक्टिस शुरू की.
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मुल्तान सिंह चौहान ने बताया कि उनको जब भी प्रैक्टिस करने का समय मिलता है वह तभी प्रैक्टिस करने के लिए निकल पड़ते हैं. कड़ी मेहनत के कारण ही उनको यह मुकाम हासिल हुआ है. उनका कहना है कि जो लोग मेरे 68 साल की उम्र में खलेने को लेकर मजाक बनाते थे. अब वही लोग मुझे सम्मानजनक नजरों से देखते हैं. इस उम्र में लोग बैठ कर आराम से खाना पसंद करते हैं. कुछ ऐसे लोग होते हैं जो लाठी के सहारे चलते हैं लेकिन मुल्तान सिंह चौहान ने इन सब को पछाड़कर अपने तीनों गेमों में कई कीर्तिमान स्थापित किए. साल 2018 में मुल्तान सिंह ने मलेशिया में एशियन प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया. जहां पर उन्होंने शॉट पुट में गोल्ड मेडल व हैमर थ्रो में सिल्वर मेडल लेकर देश का नाम रोशन किया. मुल्तान सिंह अब सिर्फ नेशनल लेवल के खिलाड़ी नहीं बल्कि इंटरनेशनल लेवल के खिलाड़ी बन चुके हैं.
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इस उम्र में इतनी उपलब्धि के बावजूद कहीं ना कहीं वो खेल विभाग और सरकार से नाराज भी हैं. उनका कहना है कि सरकार और खेल विभाग की तरफ से उनको कोई भी मदद नहीं मिलती. इसके कारण उनको प्रैक्टिस करने में समस्या आती है. ना ही करनाल में कोई ऐसा अच्छा कुछ है जो उनको अच्छी प्रैक्टिस करवाए लेकिन फिर भी कड़ी मेहनत के बावजूद उन्होंने लगातार छह साल सीनियर नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल लेकर अपने जिले और राज्य का नाम रोशन किया है. मुल्तान सिंह चौहान युवा पीढ़ी के लिए तो एक मिसाल है ही बाकी उम्र के लोगों के लिए भी एक मिसाल कायम कर रहे हैं. खेलने की कोई उम्र नहीं होती आपके मन में सिर्फ खेल के प्रति प्रेम और समर्पण होना चाहिए आप कोई भी मुकाम हासिल कर सकते हैं.
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