करनाल: आईसीएआर-अटारी जोधपुर रीजन के अंतर्गत आने वाले 25 कृषि संबंधित संस्थानों में महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल द्वारा ड्रोन डेमोंस्ट्रेशन में प्रथम स्थान किया है. एमएचयू के ड्रोन प्रोजेक्ट के तहत फरवरी माह तक 300 हेक्टेयर में ड्रोन डेमोंस्ट्रेशन का लक्ष्य हासिल किया है, जो निर्धारित टारगेट का करीब 124 प्रतिशत हैं. बता दे कि आईसीएआर-अटारी जोधपुर रीजन में जिनमें अंबाला, बीकानेर, भीलवाड़ा, दिल्ली, गुड़गांव, झुंझुनू, महेंद्रगढ़, सोनीपत, टांक, पाली, जोधपुर भरतपुर, अजमेर, करनाल, कोटा, उदयपुर, हिसार व अन्य क्षेत्र शामिल हैं, जिनको 31 मार्च तक 343 हेक्टेयर में ड्रोन का डेमोंस्ट्रेशन का लक्ष्य दिया गया था.
इनमें क्षेत्रों में एमएचयू द्वारा तीन सौ हेक्टेयर में ड्रोन डेमोंस्ट्रेशन किया, जबकि दूसरे स्थान पर कृषि विज्ञान केंद्र महेंद्रगढ़ 80 एकड़ जबकि कृषि विज्ञान केंद्र टांक 35 एकड़ में ड्रोन का डेमोंस्ट्रेशन किया गया हैं. लक्ष्य को हासिल करना एमएचयू के लिए गौरव की बात हैं. एमएचयू के ड्रोन प्रोजेक्ट के तहत शुरू से ही काफी सराहनीय कार्य किए गए हैं, जिनके चलते हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एमएचयू की ड्रोन पायलट निशा सोंलकी के कार्यों की सराहना की.
महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल के सह निदेशक विस्तार शिक्षा के डॉ. सतेंद्र यादव ने बताया कि ड्रोन प्रोजेक्ट 31 मार्च को समाप्त होगा. अब तक पूरे हरियाणा में एमएचयू 310 हेक्टयर में 256 किसानों को डेमोंस्ट्रेशन दिया जा चुका हैं, जो लक्ष्य का करीब 124 प्रतिशत प्राप्त किया हैं. उन्होंने कहा कि 16 फसलों के ऊपर कीटनाशक दवा, खाद व बायो फर्टिलाइजर के प्रदर्शनी प्लांट लगाया है. एमएचयू करनाल द्वारा ड्रोन खरीदे गए हैं और ट्रेनिंग संस्थान को विकल्प के रूप में रखा है.
ड्रोन के मुख्य उद्देश्य- किसानों के ऊपर दवाइयों का विपरीत असर न पड़े. क्योंकि सप्रे के दौरान दवा चढ़ने से किसानों को स्वास्थ्य संबंधित दिक्कतें होती रहती थी. वहीं, हरियाणा प्रदेश कृषि प्रधान राज्य हैं. अगर ड्रोन से सप्रे होगा तो किसानों पर दवा चढ़ने से होने वाले स्वास्थ्य संबंधित प्रभाव नहीं पड़ेगा. दूसरा पानी की बचत होगी, एक एकड़ में सप्रे करने पर 10 लीटर पानी लगेगा साथ ही सप्रे 7 मिनट में हो जाएगा. पूरे खेत में एक समान सप्रे होता हैं, न कही कम न कही ज्यादा.