करनाल: पिछले साल हरियाणा में लंपी वायरस ने पशुओं पर जमकर कहर बरपाया था. अब तीन महीने के अंदर इस वायरस की स्वदेशी वैक्सीन पशुपालकों को उपलब्ध हो जाएगी. भारतीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार ने महाराष्ट्र सरकार और तीन अन्य बड़ी कंपनियों के साथ इस वैक्सीन को लेकर एमओयू साइन किया है. भारतीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली ने मिलकर इस लंपी त्वचा रोग की रोकथाम के लिए स्वदेशी वैक्सिंग प्रो वैक आईएनडी विकसित की है.
अब इस वैक्सीन को आम पशुपालकों तक पहुंचाने की तैयारी है. राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल में आयोजित पशु मेले में पहुंचे राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार ने भी अपना स्टॉल लगाया. जिसमें सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी डॉक्टर अजमेर सिंह ने देश भर से आए किसानों से इस स्वदेशी वैक्सीन की जानकारी साझा की. डॉक्टर अजमेर सिंह ने बताया कि लंपी वायरस गाय और भैंस दोनों में ही देखा गया है, लेकिन सर्वाधिक गायों को अपनी चपेट में लेता है. इससे गायों के शरीर पर जख्म हो जाते हैं.
जिसमें असहनीय दर्द होता है. इससे हल्का बुखार भी होता है. जिसके चलते पशु खाना छोड़ देता है. उन्होंने बताया कि लंपी की रोकथाम के लिए स्वदेशी वैक्सीन प्रोवैक आईएनडी को तैयार किया गया है. इसका 22 राज्यों में 1 लाख पशुओं पर किया गया परीक्षण सफल रहा है. खास बात ये भी है कि ये वैक्सीन गर्भवती पशुओं को भी लगाई जा सकती है. ये डोज 1 साल तक काम करती है. उन्होंने बताया कि अब इसे देश के बाजार में पहुंचाने का वक्त आ गया है. वहीं मेले के दूसरे दिन पशुओं की विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गई.
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जिसमें दुग्ध उत्पादन के साथ अच्छी नस्ल और सौंदर्य प्रतियोगिताएं शामिल रही. भैंसों की सौंदर्य प्रतियोगिता में कुरुक्षेत्र के राजकुमार की मुर्रा नस्ल की भैंस ने प्रथम स्थान हासिल किया जबकि खेदड़ गांव हिसार के प्रदीप की भैंस ने दूसरा स्थान पाया. विजेता किसानों ने कहा कि पशुपालन आज एक लाभदायक व्यवसाय बन गया है. इसमें रोजगार की अनेक संभावनाएं हैं. ऐसे में युवा पशुपालन अपनाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.