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भूमिगत पाइप लाइन योजना के तहत होती है पानी की बचत, सरकार देती है 50 प्रतिशत अनुदान, जानें कैसे करें अप्लाई

हरियाणा में भूजल स्तर तेजी से कम हो रहा है. पानी के दोहन को बचाने के लिए सरकार ने भूमिगत पाइप लाइन योजना चलाई है. जानें क्या है ये योजना और किसान कैसे उठा सकते हैं इसका लाभ.

underground pipeline scheme
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Published : May 20, 2023, 7:06 PM IST

भूमिगत पाइप लाइन योजना के तहत होती है पानी की बचत,

करनाल: हरियाणा सरकार ने किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई हुई हैं, ताकि किसान उन योजनाओं का लाभ उठाकर मुनाफा कमा सके. ऐसी ही एक योजना है भूमिगत पाइप लाइन योजना. हरियाणा में भूजल स्तर तेजी से कम हो रहा है. पानी के दोहन को बचाने के लिए सरकार ने ये योजना चलाई है. इस योजना के तहत किसानों को ट्यूबवेल से लेकर उस खेत तक जमीन के नीचे पाइप बिछाने पड़ते हैं. जिस खेत तक सिंचाई करनी होती है. यानी कि किसान भूमिगत पाइप लाइन के जरिए ट्यूबवेल के पानी को खेतों तक पहुंचाते हैं.

कृषि विभाग के मुताबिक इस प्रक्रिया से 30 से 40% पानी की बचत होती है. अगर किसान नालियों (खाल) के जरिए अपने खेतों की सिंचाई करते हैं, तो आधा पानी मिट्टी पी जाती है, इसमें लीकेज की समस्या भी रहती है. जिससे पानी ज्यादा लगता है. भूमिगत पाइप लाइन के जरिए किसानों को इन समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता. इससे पानी की बचत भी होती है. भूमिगत पाइप लाइन पर सरकार 50 प्रतिशत अनुदान दे रही है.

underground pipeline scheme
किसान भूमिगत पाइप लाइन के जरिए ट्यूबवेल के पानी को खेतों तक पहुंचाते हैं.

करनाल कृषि विभाग के उप निदेशक आदित्य प्रताप डबास ने बताया कि 1 एकड़ पर भूमिगत पाइप लाइन करने के लिए किसान का लगभग 1 लाख 20 हजार तक का खर्च आता है. ऐसे में 1 एकड़ पर किसान को अधिकतम 60 हजार रुपये तक का अनुदान दिया जाता है. जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि जो किसान नालियों (खाल) के जरिए खेतों की सिंचाई करते हैं. उन्हें नालियों से मिट्टी निकालने और उसमें से घास को साफ करने की जरूरत होती है.

underground pipeline scheme
भूमिगत पाइप लाइन पर सरकार 50 प्रतिशत अनुदान दे रही है.

किसानों को एक सीजन में कई बार नालियों की सफाई करनी पड़ती है. जिससे उनका वक्त तो ज्यादा लगता ही है साथ में काम भी पढ़ता है. इसके अलावा नालियों के जरिए खेतों की सिंचाई करते वक्त बीच में कई जगहों से नाका टूट जाता है. जिससे ठीक करने में किसानों को काफी परेशानी होती है. वहीं भूमिगत पाइप लाइन योजना स्मार्ट खेती के रूप में देखी जा रही है. क्योंकि इसे लगाने में सिर्फ एक बार खर्च होता है. इसके बाद इसकी मेंटेनेस की जरूरत नहीं, ना ही लीकेज की समस्या. पाइप के जरिए ट्यूबवेल का पानी सीधा खेतों तक पहुंचता है. इससे किसानों के समय की भी बचत होती है.

underground pipeline scheme
इस प्रक्रिया से 30 से 40% पानी की बचत होती है.

ये भी पढ़ें- बारिश से कपास की फसल को होगा फायदा, किसानों को कृषि विशेषज्ञों ने दी ये सलाह

कैसे करें अप्लाई: जिला कृषि उपनिदेशक डॉक्टर आदित्य प्रताप डबास ने बताया इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को अपने संबंधित जिला कृषि कार्यालय में संपर्क करें. वहां किसानों को आधार कार्ड, ट्यूबवेल के कनेक्शन का बिजली बिल और जमीन के कागजात जमा करवाने होते हैं. उसके बाद किसान विभाग में अप्लाई कर सकता है. कृषि विभाग की तरफ से कई फर्मों को हायर किया हुआ है. उन कंपनियों की पाइप लाइन अपनी इच्छा अनुसार किसान चयनित कर सकते हैं और अपने खेत में डलवा सकते हैं. कृषि विभाग के जरिए अप्लाई करने से उनको 50% तक अनुदान मिलता है.

भूमिगत पाइप लाइन योजना के तहत होती है पानी की बचत,

करनाल: हरियाणा सरकार ने किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई हुई हैं, ताकि किसान उन योजनाओं का लाभ उठाकर मुनाफा कमा सके. ऐसी ही एक योजना है भूमिगत पाइप लाइन योजना. हरियाणा में भूजल स्तर तेजी से कम हो रहा है. पानी के दोहन को बचाने के लिए सरकार ने ये योजना चलाई है. इस योजना के तहत किसानों को ट्यूबवेल से लेकर उस खेत तक जमीन के नीचे पाइप बिछाने पड़ते हैं. जिस खेत तक सिंचाई करनी होती है. यानी कि किसान भूमिगत पाइप लाइन के जरिए ट्यूबवेल के पानी को खेतों तक पहुंचाते हैं.

कृषि विभाग के मुताबिक इस प्रक्रिया से 30 से 40% पानी की बचत होती है. अगर किसान नालियों (खाल) के जरिए अपने खेतों की सिंचाई करते हैं, तो आधा पानी मिट्टी पी जाती है, इसमें लीकेज की समस्या भी रहती है. जिससे पानी ज्यादा लगता है. भूमिगत पाइप लाइन के जरिए किसानों को इन समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता. इससे पानी की बचत भी होती है. भूमिगत पाइप लाइन पर सरकार 50 प्रतिशत अनुदान दे रही है.

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किसान भूमिगत पाइप लाइन के जरिए ट्यूबवेल के पानी को खेतों तक पहुंचाते हैं.

करनाल कृषि विभाग के उप निदेशक आदित्य प्रताप डबास ने बताया कि 1 एकड़ पर भूमिगत पाइप लाइन करने के लिए किसान का लगभग 1 लाख 20 हजार तक का खर्च आता है. ऐसे में 1 एकड़ पर किसान को अधिकतम 60 हजार रुपये तक का अनुदान दिया जाता है. जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि जो किसान नालियों (खाल) के जरिए खेतों की सिंचाई करते हैं. उन्हें नालियों से मिट्टी निकालने और उसमें से घास को साफ करने की जरूरत होती है.

underground pipeline scheme
भूमिगत पाइप लाइन पर सरकार 50 प्रतिशत अनुदान दे रही है.

किसानों को एक सीजन में कई बार नालियों की सफाई करनी पड़ती है. जिससे उनका वक्त तो ज्यादा लगता ही है साथ में काम भी पढ़ता है. इसके अलावा नालियों के जरिए खेतों की सिंचाई करते वक्त बीच में कई जगहों से नाका टूट जाता है. जिससे ठीक करने में किसानों को काफी परेशानी होती है. वहीं भूमिगत पाइप लाइन योजना स्मार्ट खेती के रूप में देखी जा रही है. क्योंकि इसे लगाने में सिर्फ एक बार खर्च होता है. इसके बाद इसकी मेंटेनेस की जरूरत नहीं, ना ही लीकेज की समस्या. पाइप के जरिए ट्यूबवेल का पानी सीधा खेतों तक पहुंचता है. इससे किसानों के समय की भी बचत होती है.

underground pipeline scheme
इस प्रक्रिया से 30 से 40% पानी की बचत होती है.

ये भी पढ़ें- बारिश से कपास की फसल को होगा फायदा, किसानों को कृषि विशेषज्ञों ने दी ये सलाह

कैसे करें अप्लाई: जिला कृषि उपनिदेशक डॉक्टर आदित्य प्रताप डबास ने बताया इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को अपने संबंधित जिला कृषि कार्यालय में संपर्क करें. वहां किसानों को आधार कार्ड, ट्यूबवेल के कनेक्शन का बिजली बिल और जमीन के कागजात जमा करवाने होते हैं. उसके बाद किसान विभाग में अप्लाई कर सकता है. कृषि विभाग की तरफ से कई फर्मों को हायर किया हुआ है. उन कंपनियों की पाइप लाइन अपनी इच्छा अनुसार किसान चयनित कर सकते हैं और अपने खेत में डलवा सकते हैं. कृषि विभाग के जरिए अप्लाई करने से उनको 50% तक अनुदान मिलता है.

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