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18 जुलाई से शुरू हो रहे हैं अधिक मास, अधिक मास में भूलकर भी ना करें मांगलिक कार्य

हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार सावन के महीने में अधिक मास आ रहा है. ये अधिक मास 18 जुलाई से शुरू होकर 16 अगस्त तक चलेगा. शास्त्रों में बताया गया है कि मलमास या अधिक मास के दिनों के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते.

sawan 2023
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Published : Jul 18, 2023, 8:04 AM IST

करनाल: हिंदू पंचांग के आधार पर ही सनातन धर्म में दिनों की गणना की जाती है. हिंदू पंचांग के आधार पर ही व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं. अभी सावन का महीना चल रहा है. खास बात ये है कि इस बार सावन दो महीने का है. 2 महीनों के सावन के बीच में मलमास या अधिक मास भी आ रहा है. शास्त्रों में बताया गया है कि मलमास या अधिक मास के दिनों के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते.

ये भी पढ़ें- 18 July Panchang : आज से सावन अधिकमास में करें भगवान शिव व विष्णु की पूजा, मनोकामनाएं होंगी पूरी

क्या होता है मलमास या अधिक मास? पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार एक चंद्र वर्ष 354 दिन का होता है, जबकि एक सौर वर्ष 365 दिन का होता है. जिसके चलते इन दोनों वर्षों में 11 दिन का अंतर होता है. 3 साल के बाद ये अंतर 33 दिन का हो जाता है. इस तरह 3 साल के बाद मलमास या अधिक मास आता है. इस बार ये अधिक मास सावन के महीने में आया है. जिसके चलते इस बार सावन 2 महीने का है.

कब से कब तक है अधिक मास? हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार सावन के महीने में अधिक मास आ रहा है. ये अधिक मास 18 जुलाई से शुरू होकर 16 अगस्त तक चलेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार एक सौर वर्ष में 12 संक्रांति आती हैं. जिस महीने में कोई भी संक्रांति नहीं होती, उस महीने में मलमास या अधिक मास आता है. मलमास के दिनों के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता, क्योंकि ये अशुभ दिन माने जाते हैं.

अधिक मास भगवान विष्णु को प्रिय: मान्यताओं के अनुसार अधिक मास का कोई भी स्वामी नहीं था. जिसके कारण अधिक मास की गिनती मुख्य महीनों में नहीं की जाती. बताया जाता है कि जब देवताओं के द्वारा महीनों का बंटवारा किया जा रहा था. तब किसी भी देवता ने अधिक मास लेने से मना कर दिया जिसके चलते अधिक मास बहुत ही ज्यादा उदास और दुखी हो गया था. उसने अपनी सारी व्यथा नारद को बताई.

नारद ने उनको विष्णु भगवान के पास जाने को कहा, उनकी बात मान कर अधिक मास भगवान विष्णु के पास गए और सारी कहानी भगवान विष्णु को सुनाई. तब भगवान विष्णु ने उन को अपनाया और कहा कि अधिक मास या मलमास तुम मुझे प्रिय होंगे. तुमको लोग पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जानेंगे, क्योंकि पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है. इसलिए मलमास या अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है.

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इस महीने का स्वामी विष्णु भगवान हैं. माना जाता है कि भगवान विष्णु ने अधिक मास को कहा कि जो भी इंसान अधिक मास के दिनों के दौरान दान पुण्य करेगा. उनको उसका बहुत ही ज्यादा फल मिलेगा. भगवान विष्णु ने कहा कि मलमास को सभी देवताओं ने ठुकराया है, इसलिए इस महीने में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाएंगे, इस महीने में सिर्फ विष्णु भगवान से संबंधित ही कार्य होंगे और उन कार्यों का ही इंसान को फल मिलेगा.

मलमास या अधिक मास में क्या ना करें: शास्त्रों में बताया गया है कि मलमास या अधिक मास अशुभ होते हैं. जिसके चलते मलमास या अधिक मास के दिनों के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. अधिक मास के दिन शुरू होते ही शादी विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि सभी पर रोक लग जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार अधिक मास के दिनों के दौरान किसी भी प्रकार के बाग बगीचे नहीं लगाने चाहिए.

मलमास के दौरान किसी भी प्रकार की प्रॉपर्टी नहीं खरीदनी चाहिए और ना ही निर्माण संबंधित किसी भी प्रकार का काम शुरू करना चाहिए. अधिक मास के दिनों के दौरान मांस मदिरा, अंडे, लहसुन, प्याज, नशीले पदार्थ, मछली, बासी भोजन, चावल का मांड, शहद, मूंग दाल, मसूर दाल, साग सब्जी, तिल का तेल, राई, गोभी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.

मलमास में क्या करें: शास्त्रों में बताया गया है कि अधिक मास के दिनों के दौरान सभी प्रकार के शुभ कार्यों पर रोक होती है, लेकिन अधिक मास के दिनों के दौरान भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए. अगर अधिक मास के दिनों के दौरान भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा करते हैं, तो उसका इंसान को बहुत फल मिलता है. ऐसा करने से उसके घर में सुख समृद्धि आती है.

ये भी पढ़ें- इस साल प्रत्येक महीने का खास राशिफल, जानें Varshik Rashifal 2023 में विस्तार से

अधिक मास के दिनों के दौरान ग्रह दोष को दूर करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए. अधिक मास या मलमास के दिनों के दौरान गरीब व जरूरतमंदों को भोजन कराना चाहिए. मलमास या अधिक मास के दिनों के दौरान दान करने का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इसलिए इन दिनों के दौरान ज्यादा से ज्यादा दान करें और पुण्य की प्राप्ति करें.

करनाल: हिंदू पंचांग के आधार पर ही सनातन धर्म में दिनों की गणना की जाती है. हिंदू पंचांग के आधार पर ही व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं. अभी सावन का महीना चल रहा है. खास बात ये है कि इस बार सावन दो महीने का है. 2 महीनों के सावन के बीच में मलमास या अधिक मास भी आ रहा है. शास्त्रों में बताया गया है कि मलमास या अधिक मास के दिनों के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते.

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क्या होता है मलमास या अधिक मास? पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार एक चंद्र वर्ष 354 दिन का होता है, जबकि एक सौर वर्ष 365 दिन का होता है. जिसके चलते इन दोनों वर्षों में 11 दिन का अंतर होता है. 3 साल के बाद ये अंतर 33 दिन का हो जाता है. इस तरह 3 साल के बाद मलमास या अधिक मास आता है. इस बार ये अधिक मास सावन के महीने में आया है. जिसके चलते इस बार सावन 2 महीने का है.

कब से कब तक है अधिक मास? हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार सावन के महीने में अधिक मास आ रहा है. ये अधिक मास 18 जुलाई से शुरू होकर 16 अगस्त तक चलेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार एक सौर वर्ष में 12 संक्रांति आती हैं. जिस महीने में कोई भी संक्रांति नहीं होती, उस महीने में मलमास या अधिक मास आता है. मलमास के दिनों के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता, क्योंकि ये अशुभ दिन माने जाते हैं.

अधिक मास भगवान विष्णु को प्रिय: मान्यताओं के अनुसार अधिक मास का कोई भी स्वामी नहीं था. जिसके कारण अधिक मास की गिनती मुख्य महीनों में नहीं की जाती. बताया जाता है कि जब देवताओं के द्वारा महीनों का बंटवारा किया जा रहा था. तब किसी भी देवता ने अधिक मास लेने से मना कर दिया जिसके चलते अधिक मास बहुत ही ज्यादा उदास और दुखी हो गया था. उसने अपनी सारी व्यथा नारद को बताई.

नारद ने उनको विष्णु भगवान के पास जाने को कहा, उनकी बात मान कर अधिक मास भगवान विष्णु के पास गए और सारी कहानी भगवान विष्णु को सुनाई. तब भगवान विष्णु ने उन को अपनाया और कहा कि अधिक मास या मलमास तुम मुझे प्रिय होंगे. तुमको लोग पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जानेंगे, क्योंकि पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है. इसलिए मलमास या अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है.

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इस महीने का स्वामी विष्णु भगवान हैं. माना जाता है कि भगवान विष्णु ने अधिक मास को कहा कि जो भी इंसान अधिक मास के दिनों के दौरान दान पुण्य करेगा. उनको उसका बहुत ही ज्यादा फल मिलेगा. भगवान विष्णु ने कहा कि मलमास को सभी देवताओं ने ठुकराया है, इसलिए इस महीने में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाएंगे, इस महीने में सिर्फ विष्णु भगवान से संबंधित ही कार्य होंगे और उन कार्यों का ही इंसान को फल मिलेगा.

मलमास या अधिक मास में क्या ना करें: शास्त्रों में बताया गया है कि मलमास या अधिक मास अशुभ होते हैं. जिसके चलते मलमास या अधिक मास के दिनों के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. अधिक मास के दिन शुरू होते ही शादी विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि सभी पर रोक लग जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार अधिक मास के दिनों के दौरान किसी भी प्रकार के बाग बगीचे नहीं लगाने चाहिए.

मलमास के दौरान किसी भी प्रकार की प्रॉपर्टी नहीं खरीदनी चाहिए और ना ही निर्माण संबंधित किसी भी प्रकार का काम शुरू करना चाहिए. अधिक मास के दिनों के दौरान मांस मदिरा, अंडे, लहसुन, प्याज, नशीले पदार्थ, मछली, बासी भोजन, चावल का मांड, शहद, मूंग दाल, मसूर दाल, साग सब्जी, तिल का तेल, राई, गोभी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.

मलमास में क्या करें: शास्त्रों में बताया गया है कि अधिक मास के दिनों के दौरान सभी प्रकार के शुभ कार्यों पर रोक होती है, लेकिन अधिक मास के दिनों के दौरान भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए. अगर अधिक मास के दिनों के दौरान भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा करते हैं, तो उसका इंसान को बहुत फल मिलता है. ऐसा करने से उसके घर में सुख समृद्धि आती है.

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अधिक मास के दिनों के दौरान ग्रह दोष को दूर करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए. अधिक मास या मलमास के दिनों के दौरान गरीब व जरूरतमंदों को भोजन कराना चाहिए. मलमास या अधिक मास के दिनों के दौरान दान करने का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इसलिए इन दिनों के दौरान ज्यादा से ज्यादा दान करें और पुण्य की प्राप्ति करें.

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