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Karwa Chauth 2023: करवा चौथ व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, जानिए क्या है इसका महत्व? - करवा चौथ का शुभ मुहूर्त

Karwa Chauth 2023 इस साल करवा चौथ का व्रत आज है. करवा चौथ व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त 1 नवंबर को शाम के 5:36 बजे से शुरू होकर शाम के 6:54 बजे तक है. मान्यता है कि महिलाएं पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए करवा चौथ के दिन निर्जला व्रत रखती हैं. आइए जानते हैं करवा चौथ का व्रत कैसे रखें और इस दिन क्या सावधानी बरतें...(Karwa Chauth 2023 Date Karwa Chauth Shubh muhurat Puja Vidhi significance of Karwa Chauth samagri)

Karwa Chauth 2023 Date Karwa Chauth Shubh muhurat
करवा चौथ का व्रत 2023
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 27, 2023, 7:12 AM IST

Updated : Nov 1, 2023, 6:40 AM IST

करवा चौथ व्रत का विधि-विधान.

करनाल: हिंदू पंचांग के अनुसार आज (बुधवार, 1 नवंबर को) करवा चौथ का व्रत है. करवा चौथ का व्रत कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे बड़ा और अहम व्रत होता है, क्योंकि इस व्रत को सुहागिन अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. इस व्रत को रखकर वह भगवान से अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं.महिलाएं जन्म-जन्म के साथ का भगवान से वरदान भी मांगती हैं. आइए आपको बताते हैं कि सुहागिन महिलाएं कैसे इस व्रत को रखें ? व्रत रखने के दौरान किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखें ?. वैसे करवा चौथ व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त 1 नवंबर को शाम के 5:36 बजे से शुरू होकर शाम के 6:54 बजे तक है. इस दिन पूजा का अमृत काल मुहूर्त शाम 7:34 बजे से शुरू होकर 9:13 बजे तक रहेगा. इस दौरान करवा चौथ की पूजा करने का सबसे अच्छा समय है.

करवा चौथ व्रत का महत्व: पंडित विश्वनाथ ने बताया सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत काफी महत्व रखता है. मान्यता है कि जो भी महिला अपने पति की लंबी उम्र के लिए सही विधि विधान से व्रत को रखती हैं तो भगवान महिला को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इससे दांपत्य जीवन प्रेम और स्नेह से भरा रहता है. इस व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं.

करवा चौथ व्रत विधि विधान: करवा चौथ के व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखने से पहले सुबह सूर्योदय से पहले स्नान इत्यादि सरगी खाकर व्रत रखने का प्रण लेती हैं. फिर वह भगवान भोलेनाथ के परिवार की पूजा अर्चना करती हैं. उसके बाद अपने पति से व्रत रखने का आशीर्वाद लेती हैं. दिन के दूसरे पखवाड़े तक वह बिना खाए पिए रहती हैं. प्रत्येक राज्य की अपनी संस्कृति के अनुसार दिन के दूसरे पखवाड़े के दौरान करवा चौथ व्रत की कथा सुनती हैं या पढ़ती हैं.

माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व: व्रत कथा सुनने के दौरान महिलाओं को एक थाली में एक कलश में पानी, फल और देसी घी का दीपक जलाकर रखना चाहिए. अपनी इच्छा अनुसार पैसे भी रखना चाहिए. हरियाणा की रीति के अनुसार कुछ सुहागिन महिलाएं अपनी थाली किसी बुजुर्ग महिला को नए वस्त्र देने के लिए भी रखती हैं. उसके बाद रात के समय वह छलनी में से चंद्रमा देवता के दर्शन करने के बाद अपने पति का दर्शन करती हैं. फिर अपना व्रत खोलती हैं. अगर कोई महिला बिना चंद्र देव के दर्शन किए ही पानी पी लेती है तो उसका व्रत खंडित हो जाता है. इस दिन भगवान श्री गणेश के माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व होता है.

ये भी पढ़ें: Sharad Purnima 2023 : ये है शरद पूर्णिमा की सही तारीख, खीर का भोग लगाने से पहले जान लीजिए खास बातें

करवा चौथ का शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि का आरम्भ 31 अक्टूबर को रात के 9:30 पर होगा, जबकि इसका समापन 1 नवंबर को रात के 9:19 बजे होगा इसलिए करवा चौथ का व्रत उदया तिथि के अनुसार 1 नवंबर को रखा जाएगा. करवा चौथ व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त 1 नवंबर को शाम के 5:36 बजे से शुरू होकर शाम के 6:54 बजे तक है. इस दिन पूजा का अमृत काल मुहूर्त शाम 7:34 बजे से शुरू होकर 9:13 बजे तक रहेगा. इस दौरान करवा चौथ की पूजा करने का सबसे अच्छा समय है.

करवा चौथ व्रत पौराणिक कथा: करवा चौथ व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती, श्री गणेश और चंद्रमा की पूजा करती हैं. मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ के लिए इस व्रत को रखा था. वहीं, एक अन्य मान्यता यह भी है कि सती सावित्री ने अपने पति सत्यवान की मृत्यु होने के बाद जब यमराज से उनके पति को जीवित करने के लिए कहा तो उन्होंने सत्यवान को जीवित नहीं किया. उसके बाद सती सावित्री ने अन्न और जल त्याग कर अपने पति के विलाप में बैठ गई थीं. यमराज से प्रार्थना करने लगी कि उसके पति की जान लौटा दें. काफी देर होने के बाद भी वह वहां से नहीं उठीं तब यमराज ने सती सावित्री को वर मांगने के लिए कहा तो सती सावित्री ने अपने पति की जान वापस लौटाने के चलते उनसे कई बच्चों की मां बनने का वरदान मांगा था. उनके गहरे प्यार और पवित्रता को देखकर यमराज ने सत्यवान के प्राण लौटा दिए थे. मान्यता है कि तभी से सभी सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ के व्रत को रखती आ रही हैं.

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करवा चौथ व्रत का विधि-विधान.

करनाल: हिंदू पंचांग के अनुसार आज (बुधवार, 1 नवंबर को) करवा चौथ का व्रत है. करवा चौथ का व्रत कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे बड़ा और अहम व्रत होता है, क्योंकि इस व्रत को सुहागिन अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. इस व्रत को रखकर वह भगवान से अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं.महिलाएं जन्म-जन्म के साथ का भगवान से वरदान भी मांगती हैं. आइए आपको बताते हैं कि सुहागिन महिलाएं कैसे इस व्रत को रखें ? व्रत रखने के दौरान किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखें ?. वैसे करवा चौथ व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त 1 नवंबर को शाम के 5:36 बजे से शुरू होकर शाम के 6:54 बजे तक है. इस दिन पूजा का अमृत काल मुहूर्त शाम 7:34 बजे से शुरू होकर 9:13 बजे तक रहेगा. इस दौरान करवा चौथ की पूजा करने का सबसे अच्छा समय है.

करवा चौथ व्रत का महत्व: पंडित विश्वनाथ ने बताया सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत काफी महत्व रखता है. मान्यता है कि जो भी महिला अपने पति की लंबी उम्र के लिए सही विधि विधान से व्रत को रखती हैं तो भगवान महिला को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इससे दांपत्य जीवन प्रेम और स्नेह से भरा रहता है. इस व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं.

करवा चौथ व्रत विधि विधान: करवा चौथ के व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखने से पहले सुबह सूर्योदय से पहले स्नान इत्यादि सरगी खाकर व्रत रखने का प्रण लेती हैं. फिर वह भगवान भोलेनाथ के परिवार की पूजा अर्चना करती हैं. उसके बाद अपने पति से व्रत रखने का आशीर्वाद लेती हैं. दिन के दूसरे पखवाड़े तक वह बिना खाए पिए रहती हैं. प्रत्येक राज्य की अपनी संस्कृति के अनुसार दिन के दूसरे पखवाड़े के दौरान करवा चौथ व्रत की कथा सुनती हैं या पढ़ती हैं.

माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व: व्रत कथा सुनने के दौरान महिलाओं को एक थाली में एक कलश में पानी, फल और देसी घी का दीपक जलाकर रखना चाहिए. अपनी इच्छा अनुसार पैसे भी रखना चाहिए. हरियाणा की रीति के अनुसार कुछ सुहागिन महिलाएं अपनी थाली किसी बुजुर्ग महिला को नए वस्त्र देने के लिए भी रखती हैं. उसके बाद रात के समय वह छलनी में से चंद्रमा देवता के दर्शन करने के बाद अपने पति का दर्शन करती हैं. फिर अपना व्रत खोलती हैं. अगर कोई महिला बिना चंद्र देव के दर्शन किए ही पानी पी लेती है तो उसका व्रत खंडित हो जाता है. इस दिन भगवान श्री गणेश के माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व होता है.

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करवा चौथ का शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि का आरम्भ 31 अक्टूबर को रात के 9:30 पर होगा, जबकि इसका समापन 1 नवंबर को रात के 9:19 बजे होगा इसलिए करवा चौथ का व्रत उदया तिथि के अनुसार 1 नवंबर को रखा जाएगा. करवा चौथ व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त 1 नवंबर को शाम के 5:36 बजे से शुरू होकर शाम के 6:54 बजे तक है. इस दिन पूजा का अमृत काल मुहूर्त शाम 7:34 बजे से शुरू होकर 9:13 बजे तक रहेगा. इस दौरान करवा चौथ की पूजा करने का सबसे अच्छा समय है.

करवा चौथ व्रत पौराणिक कथा: करवा चौथ व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती, श्री गणेश और चंद्रमा की पूजा करती हैं. मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ के लिए इस व्रत को रखा था. वहीं, एक अन्य मान्यता यह भी है कि सती सावित्री ने अपने पति सत्यवान की मृत्यु होने के बाद जब यमराज से उनके पति को जीवित करने के लिए कहा तो उन्होंने सत्यवान को जीवित नहीं किया. उसके बाद सती सावित्री ने अन्न और जल त्याग कर अपने पति के विलाप में बैठ गई थीं. यमराज से प्रार्थना करने लगी कि उसके पति की जान लौटा दें. काफी देर होने के बाद भी वह वहां से नहीं उठीं तब यमराज ने सती सावित्री को वर मांगने के लिए कहा तो सती सावित्री ने अपने पति की जान वापस लौटाने के चलते उनसे कई बच्चों की मां बनने का वरदान मांगा था. उनके गहरे प्यार और पवित्रता को देखकर यमराज ने सत्यवान के प्राण लौटा दिए थे. मान्यता है कि तभी से सभी सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ के व्रत को रखती आ रही हैं.

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Last Updated : Nov 1, 2023, 6:40 AM IST
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