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Jyestha Purnima 2023: ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत और पूजा का विधि-विधान, परिवार में सुख-शांति के लिए करें ये खास उपाय

हिंदू धर्म में व्रत एवं त्योहार का विशेष महत्व है. हिंदू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन का विशेष महात्म्य है. इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा 2023 शनिवार, 3 जून को है. मान्यता है कि इस दिन कुछ खास उपाय करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. (Jyestha Purnima 2023)

Jyestha Purnima 2023
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2023
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Published : Jun 2, 2023, 8:55 AM IST

करनाल: हिंदू धर्म में दिनों की गणना पंचांग के आधार पर की जाती है और जिस दिन जो तिथि होती है उस दिन पंचांग के आधार पर उसका हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. 3 जून को हिंदू पंचांग के अनुसार जेष्ठ महीने की पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा. ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ज्येष्ठ पूर्णिमा कहा जाता है. इस बार पूर्णिमा 2 दिन मनाई जा रही है. 3 जून को व्रत रखने का महत्व है, जबकि 4 तारीख को गंगा में स्नान करने का महत्व है. इस दिन गंगा नदी में स्नान करने बाद दान करने का बहुत ज्यादा महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन जो भी मनुष्य इस दिन गंगा में स्नान करता है, उसके सभी पाप दूर हो जाते हैं. साथ ही उसके पितर भी प्रसन्न होते हैं. तो आइए जानते हैं ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा के व्रत में पूजा का विधि विधान.

ज्येष्ठ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ के अनुसार हिंदू पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ पूर्णिमा का प्रारंभ आने वाली 3 जून को दिन शनिवार को सुबह 11:16 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन अगले दिन 4 जून रविवार को सुबह 9:11 मिनट पर होगा. पंडित विश्वनाथ ने बताया कि पूर्णिमा के दिन व्रत 3 जून को रखा जाएगा. जबकि पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान 4 जून को शुभ होगा.

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर बन रहे हैं शुभ योग: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार कई शुभ योग बन रहे हैं. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन तीन शुभ योग का संयोग बन रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन रवि योग सुबह 5: 23 मिनट से 6:06 मिनट तक रहेगा, जबकि शिव योग दोपहर 2:48 मिनट तक है. इसके तुरंत बाद ही हिंदू पंचांग के अनुसार सिद्ध योग प्रारंभ हो रहा है.

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत चंद्रोदय का समय: हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा का व्रत 3 जून को रखा जाएगा. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का उदय शाम 6:39 मिनट पर होगा इस समय के दौरान जो भी इंसान व्रत रख रहा है चंद्र दर्शन करने के बाद अपना व्रत खोलें.

पूर्णिमा व्रत पूजा विधि: हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा का व्रत सूर्य उदया तिथि के साथ 3 जून को रखा जा रहा है. इस दिन मनुष्य को जल्दी उठकर स्नान इत्यादि करके व्रत रखने का प्रण लेना चाहिए. व्रत रखने का संकल्प के बाद मंदिर इत्यादि में जाकर विधि विधान से दीप जलाकर पूजा पाठ करें. इसी दौरान भगवान सत्यनारायण की पूजा अर्चना भी करें. पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का बहुत ज्यादा महत्व होता है.

इस दिन सनातन धर्म के लोग अपने घर पर भगवान सत्यनारायण की पूजा की रखते हैं. जिससे घर में सुख समृद्धि आती है. इसके अलावा उसके परिवार पर भगवान सत्यनारायण की कृपा बनी रहती है. रात के समय चंद्रमा के दर्शन करने बाद चंद्रमा को जल देते हुए पूजन भी करें. इस दिन चंद्रमा को खुश करने के लिए सफेद रंग की चीजें जैसे मोती, दही, चावल, सफेद कपड़े, चांदी, सफेद फूल इत्यादि दान करने चाहिए. जो लोग इस दिन भगवान चंद्रमा की पूजा करने के बाद इन चीजों का दान करते हैं इससे उनका चंद्रमा मजबूत होता है और उन पर चंद्रमा की कृपा बनी रहती है. साथ ही ऐसा करने से चंद्र दोष भी दूर हो जाते हैं. पूर्णिमा 4 जून को 9:11 पर समापन हो रही है, इसलिए 4 जून को गंगा स्नान करने का बहुत ज्यादा महत्व होता है. माना जाता है कि जो भी पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करता है गंगा मां उसके सारे कष्ट और दोष दूर कर देती हैं और उसके पापों का नाश करती हैं.

ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व: हिंदू शास्त्रों में ज्येष्ठ पूर्णिमा का बहुत ज्यादा महत्व बताया गया है. इस दिन भगवान भोलेनाथ के लिए अमरनाथ की यात्रा करने के लिए भी श्रद्धालु जाते हैं. इस महीने में गर्मी पूरे चरम सीमा पर होती है इसलिए इस महीने में ठंडी चीजों के दान करने का बहुत ज्यादा महत्व होता है. माना जाता है कि जो भी ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भक्त भगवान श्री हरि विष्णु व लक्ष्मी माता की पूजा करता है तो उसकी जिंदगी की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं.

इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का और कथा करने का भी बहुत ज्यादा महत्व है. ऐसा करने से उसके परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है. इस दिन माता लक्ष्मी को खुश करने के लिए तो ॐ श्रीं श्रीये नम: मंत्र का जाप करें, इससे माता प्रसन्न होती हैं. माना जाता है कि जिस भी व्यक्ति के विवाह में कोई बाधा आ रही है वह इस दिन पूर्णिमा के दौरान अपनी इच्छा अनुसार गरीब व जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं. इससे उनकी यह बाधा दूर हो जाती है.

ये भी पढ़ें: यहां होती है भगवान शिव के पुत्र की अस्थियों की पूजा, उत्तर-दक्षिण भारत के मिलन का केंद्र बनेगा यह स्थल

करनाल: हिंदू धर्म में दिनों की गणना पंचांग के आधार पर की जाती है और जिस दिन जो तिथि होती है उस दिन पंचांग के आधार पर उसका हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. 3 जून को हिंदू पंचांग के अनुसार जेष्ठ महीने की पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा. ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ज्येष्ठ पूर्णिमा कहा जाता है. इस बार पूर्णिमा 2 दिन मनाई जा रही है. 3 जून को व्रत रखने का महत्व है, जबकि 4 तारीख को गंगा में स्नान करने का महत्व है. इस दिन गंगा नदी में स्नान करने बाद दान करने का बहुत ज्यादा महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन जो भी मनुष्य इस दिन गंगा में स्नान करता है, उसके सभी पाप दूर हो जाते हैं. साथ ही उसके पितर भी प्रसन्न होते हैं. तो आइए जानते हैं ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा के व्रत में पूजा का विधि विधान.

ज्येष्ठ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ के अनुसार हिंदू पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ पूर्णिमा का प्रारंभ आने वाली 3 जून को दिन शनिवार को सुबह 11:16 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन अगले दिन 4 जून रविवार को सुबह 9:11 मिनट पर होगा. पंडित विश्वनाथ ने बताया कि पूर्णिमा के दिन व्रत 3 जून को रखा जाएगा. जबकि पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान 4 जून को शुभ होगा.

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर बन रहे हैं शुभ योग: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार कई शुभ योग बन रहे हैं. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन तीन शुभ योग का संयोग बन रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन रवि योग सुबह 5: 23 मिनट से 6:06 मिनट तक रहेगा, जबकि शिव योग दोपहर 2:48 मिनट तक है. इसके तुरंत बाद ही हिंदू पंचांग के अनुसार सिद्ध योग प्रारंभ हो रहा है.

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत चंद्रोदय का समय: हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा का व्रत 3 जून को रखा जाएगा. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का उदय शाम 6:39 मिनट पर होगा इस समय के दौरान जो भी इंसान व्रत रख रहा है चंद्र दर्शन करने के बाद अपना व्रत खोलें.

पूर्णिमा व्रत पूजा विधि: हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा का व्रत सूर्य उदया तिथि के साथ 3 जून को रखा जा रहा है. इस दिन मनुष्य को जल्दी उठकर स्नान इत्यादि करके व्रत रखने का प्रण लेना चाहिए. व्रत रखने का संकल्प के बाद मंदिर इत्यादि में जाकर विधि विधान से दीप जलाकर पूजा पाठ करें. इसी दौरान भगवान सत्यनारायण की पूजा अर्चना भी करें. पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का बहुत ज्यादा महत्व होता है.

इस दिन सनातन धर्म के लोग अपने घर पर भगवान सत्यनारायण की पूजा की रखते हैं. जिससे घर में सुख समृद्धि आती है. इसके अलावा उसके परिवार पर भगवान सत्यनारायण की कृपा बनी रहती है. रात के समय चंद्रमा के दर्शन करने बाद चंद्रमा को जल देते हुए पूजन भी करें. इस दिन चंद्रमा को खुश करने के लिए सफेद रंग की चीजें जैसे मोती, दही, चावल, सफेद कपड़े, चांदी, सफेद फूल इत्यादि दान करने चाहिए. जो लोग इस दिन भगवान चंद्रमा की पूजा करने के बाद इन चीजों का दान करते हैं इससे उनका चंद्रमा मजबूत होता है और उन पर चंद्रमा की कृपा बनी रहती है. साथ ही ऐसा करने से चंद्र दोष भी दूर हो जाते हैं. पूर्णिमा 4 जून को 9:11 पर समापन हो रही है, इसलिए 4 जून को गंगा स्नान करने का बहुत ज्यादा महत्व होता है. माना जाता है कि जो भी पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करता है गंगा मां उसके सारे कष्ट और दोष दूर कर देती हैं और उसके पापों का नाश करती हैं.

ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व: हिंदू शास्त्रों में ज्येष्ठ पूर्णिमा का बहुत ज्यादा महत्व बताया गया है. इस दिन भगवान भोलेनाथ के लिए अमरनाथ की यात्रा करने के लिए भी श्रद्धालु जाते हैं. इस महीने में गर्मी पूरे चरम सीमा पर होती है इसलिए इस महीने में ठंडी चीजों के दान करने का बहुत ज्यादा महत्व होता है. माना जाता है कि जो भी ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भक्त भगवान श्री हरि विष्णु व लक्ष्मी माता की पूजा करता है तो उसकी जिंदगी की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं.

इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का और कथा करने का भी बहुत ज्यादा महत्व है. ऐसा करने से उसके परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है. इस दिन माता लक्ष्मी को खुश करने के लिए तो ॐ श्रीं श्रीये नम: मंत्र का जाप करें, इससे माता प्रसन्न होती हैं. माना जाता है कि जिस भी व्यक्ति के विवाह में कोई बाधा आ रही है वह इस दिन पूर्णिमा के दौरान अपनी इच्छा अनुसार गरीब व जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं. इससे उनकी यह बाधा दूर हो जाती है.

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